TCS के CEO की ₹26 करोड़ की सैलरी ने छेड़ी बहस, 12,000 कर्मचारियों की छंटनी के बीच उठे सवाल

जैसे ही TCS ने छंटनी की घोषणा की, कंपनी के CEO की ₹26.52 करोड़ की वार्षिक सैलरी पर सवाल उठने लगे हैं। ये बहस छिड़ गई है कि जब हजारों कर्मचारियों की नौकरी जा रही है, तब शीर्ष नेतृत्व को इतना वेतन मिलना क्या उचित है?;

Update: 2025-07-29 11:45 GMT
मुंबई: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) के CEO के. कृतिवासन को वित्त वर्ष 2024-25 में ₹26.5 करोड़ सैलरी के तौर पर मिले

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने ऐलान किया है कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान वह अपनी वर्कफोर्स का 2% घटाएगी। इसका मतलब है कि लगभग 12,000 कर्मचारियों की छंटनी होगी, जिसमें ज़्यादातर मिड-लेवल और सीनियर मैनेजमेंट के कर्मचारी शामिल होंगे। TCS, भारत की सबसे बड़ी IT सेवा कंपनी है और इसे अक्सर IT क्षेत्र की दशा-दिशा तय करने वाली कंपनी माना जाता है। पहले इसे सरकारी नौकरी जैसी स्थिरता वाली कंपनी के रूप में देखा जाता था।

CEO की सैलरी पर विवाद

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, TCS के CEO के. कृतिवासन ने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल ₹26.52 करोड़ की सैलरी ली। इसमें ₹1.39 करोड़ बेस सैलरी, ₹2.12 करोड़ भत्ते और अन्य लाभ, और ₹23 करोड़ कमीशन शामिल हैं।

सोशल मीडिया यूजर्स पूछ रहे हैं कि कि जब कंपनी 12,000 कर्मचारियों को निकाल रही है, तो CEO और टॉप लीडरशिप थोड़ी सैलरी क्यों नहीं छोड़ सकती? उसने लिखा, “अगर CEO ₹3 करोड़ की जगह ₹2.5 करोड़ लें, तो उनकी जिंदगी नहीं बिगड़ेगी। लेकिन 12,000 परिवारों की जिंदगी तो पूरी तरह तबाह हो जाएगी अगर वेतन शून्य हो गया।

एक अन्य ने लिखा, “एक ‘मजबूत और भविष्य के लिए तैयार कंपनी’ बनाने के लिए 12,000 कर्मचारियों को निकालना जरूरी है। CEO को ₹26 करोड़ सालाना मिलते हैं, लेकिन इन हजारों लोगों की जिंदगी कोई मायने नहीं रखती।”

एक यूजर ने बढ़ा-चढ़ाकर कहा, “क्या ये उचित है कि चेयरमैन सालाना ₹150 करोड़ वेतन लें, जबकि हजारों की छंटनी हो रही हो?”

एक और ने चिंता जताते हुए लिखा, “मुनाफे में चल रही TCS का 12,000+ कर्मचारियों को हटाना बेहद चिंताजनक है, भले ही इसे 'फ्यूचर-रेडी' कहकर जायज ठहराया जा रहा है। इस फैसले का मानवीय मूल्य बहुत ज्यादा है, खासकर तब जब कंपनी का मुनाफा 6% बढ़ा है। इसे ज्यादा संवेदनशील तरीके से किया जाना चाहिए था।”

CEO का बचाव और प्रतिक्रिया

जहां कुछ लोग CEO की सैलरी घटाने की मांग कर रहे हैं, वहीं कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने कहा कि TCS कोई चैरिटी संस्था नहीं है।

CEO और MD के. कृतिवासन ने Moneycontrol को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “जहां स्किल्स का मिसमैच है या जहां हम किसी को उचित तरीके से तैनात नहीं कर पाए हैं, वहीं छंटनी की जा रही है।”

एक यूजर जॉयल के जोसेफ ने लिखा, “यह तुलना बेहद मूर्खतापूर्ण है। छंटनी पैसे बचाने के लिए नहीं बल्कि वर्कफोर्स में ओवरसप्लाई के कारण की जा रही है। CEO को इसलिए वेतन मिल रहा है क्योंकि वह काम कर रहे हैं। कर्मचारी को इसलिए निकाला गया क्योंकि उसके पास करने के लिए काम नहीं था।”

एक और यूजर ने व्यंग्य में कहा, “तो फिर यही तर्क पूरे भारत पर लागू हो, अगर हर टैक्स देने वाला 10% और टैक्स दे दे तो गरीबी खत्म हो जाएगी। अगर आप अपनी घरेलू सहायिका को ₹5000 अतिरिक्त दे दें, तो वो अपनी ज़िंदगी बेहतर बना सकती है।”

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