टेलीकॉम कंपनियों ने किया CNAP का ट्रायल शुरू, अब फर्जी-स्पैम कॉल्स से मिलेगा छुटकारा
केंद्र सरकार और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के दबाव के बाद टेलीकॉम कंपनियों ने देश के कुछ इलाकों में कॉलर आईडी सेवाओं का ट्रायल शुरू कर दिया है.
Calling Name Presentation: केंद्र सरकार और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के दबाव के बाद दूरसंचार ऑपरेटरों ने देश के कुछ इलाकों में कॉलर आईडी सेवाओं का ट्रायल शुरू कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों ने मुंबई और हरियाणा में यह ट्रायल शुरू किया है. वहीं, टेलीकॉम कंपनियां आने वाले हफ्तों में और शहरों को जोड़ने की योजना बना रही हैं. इस सर्विस का नाम कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) रखा गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, CNAP को स्पैम और धोखाधड़ी वाली कॉल को रोकने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें हाल के दिनों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. CNAP की सटीकता का अंदाजा लगाने के लिए सीमित संख्या में परीक्षण शुरू हो रहे हैं, जिसमें इनकमिंग कॉल के दौरान फोन करने वाले का नाम शो होने लगेगा.
एक टेलीकॉम कंपनी के एक अफसर ने कहा कि हम ट्रायल्स के परिणामों को दूरसंचार विभाग के साथ शेयर करेंगे, ताकि प्रस्तावित सेवा का व्यावहारिक और न्यायोचित दृष्टिकोण लिया जा सके. वहीं, ट्राई ने पहले कहा था कि सरकार को अधिसूचना की तिथि से उपयुक्त कट-ऑफ तिथि के बाद भारत में बेचे जाने वाले सभी मोबाइल फोन पर CNAP उपलब्ध कराने के लिए उचित निर्देश जारी करने चाहिए.
हालांकि, दूरसंचार ऑपरेटरों ने तकनीकी चुनौतियों का हवाला देते हुए इस कदम का विरोध किया था. रिलायंस जियो ने कहा है कि यह अनिवार्य सेवा नहीं होनी चाहिए. इसमें सिग्नलिंग पर लोड बढ़ने और देरी होने और इंटरकनेक्शन से संबंधित मुद्दों पर कई तकनीकी समस्याएं होंगी. वहीं, एयरटेल ने कहा कि इसको लागू करने में तकनीकी-व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. CNAP को गोपनीयता कानूनों का पालन करने की जरूरत होगी. वोडा आइडिया ने कहा कि CNAP को एक वैकल्पिक सेवा के रूप में पेश किया जाना चाहिए और इसे दूरसंचार कंपनियों पर अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए.