50% अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात ठप, लाखों नौकरियां खतरे में
अमेरिका के 50% टैरिफ से भारत के टेक्सटाइल, ज्वेलरी, झींगा जैसे श्रम-प्रधान निर्यात ठप, लाखों नौकरियां खतरे में आ चुकी हैं।;
विडंबना यह है कि अमेरिका के 50% टैरिफ ने भारत के उन श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्रों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया है, जो बड़ी संख्या में रोज़गार देते हैं जैसे कि टेक्सटाइल, कपड़ा व परिधान, रत्न व आभूषण, चमड़ा व फुटवियर, और मरीन प्रोडक्ट्स। इसके विपरीत, पूंजी और तकनीक-प्रधान क्षेत्रों इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, ऑटो और ऑटो कंपोनेंट को अपेक्षाकृत कम चोट पहुँची है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 30 जुलाई को 25% ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ और 6 अगस्त को अतिरिक्त 25% ‘पेनल्टी टैरिफ’ (जो 27 अगस्त से लागू होगा) की घोषणा के बाद श्रम-प्रधान क्षेत्रों में नए ऑर्डर आना बंद हो गए हैं। यहां तक कि पुराने ऑर्डर की शिपमेंट भी रुक गई है। इन क्षेत्रों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है, जिससे लाखों मज़दूरों की नौकरियां तुरंत खतरे में आ गई हैं। दूसरी ओर, जिन क्षेत्रों पर असर कम है, वे बड़े उद्योगों के अधीन हैं और अपेक्षाकृत कम रोज़गार पैदा करते हैं।
अमेरिका में प्रतिस्पर्धा में पिछड़ता भारत
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के महानिदेशक व सीईओ अजय साहा के अनुसार, भारत के कुल अमेरिकी निर्यात का 55% हिस्सा प्रभावित है, जबकि 45% हिस्सा ‘छूट सूची’ में है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और फार्मा सेक्टर शामिल हैं। साहा का कहना है कि 50% टैरिफ के बाद भारत अपने दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशियाई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 30% और यूरोपीय संघ की तुलना में 35% पिछड़ गया है।
दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया पर 19-20% टैरिफ, यूरोपीय संघ, जापान और कोरिया पर 15%, और चीन पर 30% टैरिफ लगता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने प्रभावित क्षेत्रों से कहा है कि वे 3 हफ्ते प्रतीक्षा करें, उम्मीद है कि 15 अगस्त को ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में यूक्रेन शांति समझौता हुआ तो अमेरिका टैरिफ में नरमी ला सकता है।
टेक्सटाइल, कपड़ा और परिधान
भारत का टेक्सटाइल, कपड़ा और परिधान निर्यात मूल्य के लिहाज से भले ही छोटा हो (अमेरिका को कुल निर्यात का 3.4%, लगभग 10 अरब डॉलर) और मुनाफ़ा मार्जिन भी बेहद कम हो, लेकिन यह सबसे पहले प्रभावित होने वाला सेक्टर रहा। अप्रैल में अमेरिका के 10% बेस टैरिफ के बाद अब 50% टैरिफ ने उत्पादन पूरी तरह रोक दिया है। मैनमेड एंड टेक्निकल टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष भद्रेश दोढिया का कहना है कि 3-4 लाख मज़दूर, जिनमें आधे परिधान क्षेत्र के हैं, तत्काल छंटनी की कगार पर हैं।
अमेरिकी खरीदार 25% टैरिफ तो झेल सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त 25% पेनल्टी टैरिफ से भारत की प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाती है। रोज़गार बचाने के लिए मंत्रालय ब्याज सब्सिडी, 2 साल का मोराटोरियम, सॉफ्ट लोन, जीएसटी थ्रेशहोल्ड बढ़ाने, घरेलू बाज़ार में बिक्री की अनुमति और एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है। वहीं उद्योग मांग कर रहा है कि मैनमेड फाइबर पर ‘उलटे’ जीएसटी ढांचे (इनपुट पर 18%, यार्न पर 12%, फैब्रिक पर 5%) को सुधारा जाए।
कुछ कंपनियां अपना अमेरिकी कारोबार वियतनाम, इंडोनेशिया और अफ्रीका शिफ्ट करने की योजना बना रही हैं, बाकी घरेलू बाजार में माल बेचने की तैयारी में हैं।
रत्न और आभूषण
इलेक्ट्रॉनिक्स के बाद अमेरिका को भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात रत्न व आभूषण (हीरा समेत) है, जो कुल का 11.5% (लगभग 10 अरब डॉलर) है। यह भी टेक्सटाइल जितना ही श्रम-प्रधान है। जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन किरीट भंसाली के अनुसार स्थिति “असहनीय” है — सभी गतिविधियां रुकी हैं और कोई नया ऑर्डर नहीं है। लगभग 1.7 लाख नौकरियां खतरे में हैं, कुछ इकाइयां दुबई शिफ्ट होने की सोच रही हैं।
आंध्र प्रदेश के झींगा किसान
अप्रैल में 10% सार्वभौमिक टैरिफ के बाद से ही आंध्र प्रदेश के झींगा किसान परेशान थे। अब 50% टैरिफ के साथ 5.7% काउंटरवेलिंग ड्यूटी और 3.96% एंटी-डंपिंग ड्यूटी जोड़कर कुल शुल्क लगभग 59.7% हो गया है। प्रॉन फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आईपीआर मोहन राजू के अनुसार, आंध्र प्रदेश अमेरिका को भारत के झींगा निर्यात का 80% (9 लाख टन) करता है। कीमतें सभी श्रेणियों में 50 रुपये प्रति किलो गिर चुकी हैं।
राजू को डर है कि अमेरिकी ऑर्डर पूरी तरह इक्वाडोर चले जाएंगे, जो भारत से बड़ा उत्पादक है और टैरिफ से मुक्त है। मेक्सिको को 15% टैरिफ लगता है लेकिन उसका उत्पादन छोटा है। छोटे और सीमांत किसान (70-80%) सीधे प्रभावित हैं, जबकि जिनके खेत बड़े किसानों या कंपनियों को लीज पर दिए गए हैं, वे फिलहाल बचे हुए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा पर कम असर
भारत का सबसे बड़ा अमेरिकी निर्यात इलेक्ट्रॉनिक्स (18.4%) है, जिसमें स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उत्पाद ‘छूट सूची’ में हैं। केवल पीसीबी, चार्जर, इन्वर्टर, सोलर पैनल आदि प्रभावित हैं, जिनके लिए यूरोप, मध्य-पूर्व और लैटिन अमेरिका में नए बाजार तलाशे जा रहे हैं।फार्मास्यूटिकल्स (11.3%) और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद (4.9%) पूरी तरह ‘छूट सूची’ में हैं। ऑटो पर 25% वैश्विक टैरिफ है, लेकिन मेक्सिको और कनाडा को शून्य टैरिफ मिलता है।
नायरा एनर्जी की मुश्किलें
रूसी तेल खरीदकर भारत-रूस सहयोग का प्रतीक बनी नायरा एनर्जी अब सबसे बड़ी कीमत चुका रही है। यूरोपीय संघ ने 18 जुलाई को रूस के साथ तेल व्यापार के लिए उस पर प्रतिबंध लगाए, जिससे वैश्विक शिपर और फाइनेंसर उससे दूर हो गए। अब एसबीआई ने भी यूरोपीय संघ और अमेरिका के प्रतिबंधों के डर से उसकी विदेशी लेन-देन रोक दी है।