अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध पर अस्थायी विराम, दोनों देशों ने मिलाया हाथ
शायद अमेरिका ने जिस तरह व्यापार युद्ध की कल्पना की थी, मामला वैसा नहीं रहा। अब वार्ता की दिशा तय करने में चीन की भूमिका प्रमुख होती जा रही है और अमेरिका उससे आवश्यक रियायतें मांगता दिख रहा है;
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अमेरिका और चीन, ने व्यापार तनाव को कम करने के लिए एक फ्रेमवर्क पर सैद्धांतिक सहमति बना ली है। लंदन में दो दिन चली गहन वार्ता के बाद, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि यह समझौता पिछले महीने जेनेवा में हुए करार को व्यावहारिक रूप देने का काम करेगा।
लेकिन दूसरी बैठक के बाद अब यह साफ होता जा रहा है कि शायद अमेरिका ने जिस तरह व्यापार युद्ध की कल्पना की थी, मामला वैसा नहीं रहा। अब वार्ता की दिशा तय करने में चीन की भूमिका प्रमुख होती जा रही है और अमेरिका उससे आवश्यक रियायतें मांगता दिख रहा है, खासतौर पर महत्वपूर्ण इनपुट्स की आपूर्ति बहाल करने को लेकर।
पहले दौर की वार्ता: जेनेवा में अमेरिकी दबाव
जेनेवा में पहले दौर की बातचीत में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल, जिसकी अगुवाई वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट कर रहे थे, ने चीन से अनुरोध किया था कि दोनों देश एक-दूसरे पर लगाए गए टैरिफ में एकसमान कटौती करें। इसकी वजह यह थी कि अमेरिका में उच्च टैरिफ के कारण घरेलू बाजार में वस्तुओं की कमी और कीमतों में भारी बढ़ोतरी जैसी समस्याएं दिखने लगी थीं।
लंदन में मुख्य मांग: रियर अर्थ मैग्नेट्स पर रोक हटे
अब लंदन में अमेरिका ने चीन से कहा है कि वह रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर लगे प्रतिबंधों को “निलंबित या हटा” दे। इन प्रतिबंधों के कारण ऑटो निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली जैसे क्षेत्रों में सप्लाई-चेन की भारी समस्या खड़ी हो गई है। यह बैठक 5 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई फोन वार्ता के बाद आयोजित की गई थी, जिसकी पहल व्हाइट हाउस ने की थी।
जेनेवा समझौते को लागू करने की तैयारी
लंदन वार्ता के बाद अमेरिका के वाणिज्य सचिव लुटनिक ने कहा, “हमने जेनेवा में बने सहमति बिंदुओं को लागू करने के लिए एक फ्रेमवर्क तय कर लिया है।” उन्होंने कहा कि अब दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की मंजूरी के बाद इस समझौते को लागू किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के वाणिज्य उपमंत्री ली चेंगगांग ने भी कहा कि "दोनों पक्षों ने 5 जून की फोन वार्ता और जेनेवा बैठक में बनी सहमतियों को लागू करने के लिए एक फ्रेमवर्क पर सैद्धांतिक सहमति प्राप्त की है।"
रेयर अर्थ निर्यात पर चीन की पकड़
रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर चीन का नियंत्रण वार्ता का अहम विषय रहा। बीजिंग ने इन पर पूर्ण निर्यात प्रतिबंध तो नहीं लगाया है, लेकिन प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि इससे भारी देरी और आपूर्ति संकट पैदा हो गया है।
खासतौर पर नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बेहद जरूरी हैं। ये EV मोटरों, पावर स्टीयरिंग, वाइपर मोटर्स और ब्रेकिंग सिस्टम में उपयोग होते हैं। चीन का इन मैग्नेट्स पर लगभग एकाधिकार है।
समझौते का उल्लंघन और दोतरफा आरोप
जेनेवा वार्ता के बाद अमेरिका और चीन ने टैरिफ युद्ध पर अस्थायी विराम की घोषणा की थी, लेकिन उसके बाद दोनों ने एक-दूसरे पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया। अमेरिका ने कहा कि चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं की, जबकि चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने उसे सेमीकंडक्टर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी तकनीकों की सप्लाई सीमित कर दी है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमिसन ग्रीयर ने कहा था कि चीन ने अभी तक मैग्नेट्स पर निर्यात प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है। हालांकि चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि कुछ निर्यात लाइसेंस स्वीकृत किए जा चुके हैं।
मई में जेनेवा वार्ता का परिणाम
मई में हुई जेनेवा वार्ता के बाद, टैरिफ दरें अधिकतम 145% तक पहुंच गई थीं। ट्रंप ने स्विट्ज़रलैंड में हुई बातचीत को “टोटल रीसेट” कहा, जिसमें अमेरिका ने चीन पर टैरिफ को 30% और चीन ने अमेरिका से आयात पर शुल्क को 10% तक घटा दिया था। दोनों पक्षों ने 90 दिन की समयसीमा में अंतिम समझौता करने की बात कही थी।
चीन को मिलती बढ़त
अमेरिका के लिए समस्या यह है कि तब से चीन ने रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिका अब रियायतों के लिए चीन पर निर्भर हो गया है।
चीन के प्रतिबंधों का असर अब अन्य देशों पर भी पड़ने लगा है। जापान की हमामात्सु स्थित सुज़ुकी मोटर्स ने कहा है कि वह अपनी लोकप्रिय स्विफ्ट हैचबैक कार का उत्पादन रोकने पर विचार कर रही है, क्योंकि चीन के प्रतिबंधों के कारण जरूरी मैग्नेट्स नहीं मिल पा रहे हैं।
भारत पर असर नहीं, लेकिन सतर्कता बरकरार
भारत में प्रमुख ऑटो निर्माता मारुति सुज़ुकी ने कहा है कि चीन के इन प्रतिबंधों का तत्काल कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन उद्योग सरकार से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है।