भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप का टैरिफ हमला, कई क्षेत्रों में भारी असर की आशंका
ट्रंप के टैरिफ हमले से भारत के तेल से लेकर टेक्सटाइल, व्यापार से लेकर निवेश और रोजगार तक असर गहराता हुआ दिखाई दे रहा है. अगर स्थिति पर जल्दी नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था को एक दीर्घकालिक झटका दे सकता है।;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ और पैनेल्टी भारत की अर्थव्यवस्था को कई स्तरों पर गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं। अगर यह निर्णय जल्द वापस नहीं लिया गया तो इसका असर केवल भारत-अमेरिका व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत के रूस और ईरान के साथ व्यापार, रुपये की कीमत, निवेश, बाज़ार की भावना और रोजगार पर भी गहरा असर पड़ेगा।
यह टैरिफ ट्रंप द्वारा भारत के प्रति नाराजगी का परिणाम है, क्योंकि भारत ने अमेरिकी कृषि और डेयरी क्षेत्रों के लिए अपने बाज़ार पर्याप्त रूप से नहीं खोले हैं और न ही टैरिफ रियायतें दी हैं। इसके अतिरिक्त भारत द्वारा रूस से हथियार और तेल खरीदने पर भी अमेरिका ने अज्ञात दंड लगाने का फैसला किया है, जिससे प्रभाव और भी गंभीर हो गया है।
तेल व्यापार पर असर
भारत की सार्वजनिक तेल कंपनियों — इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने रूस से स्पॉट मार्केट में तेल खरीदना बंद कर दिया है। ये कंपनियां देश की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 60% नियंत्रित करती हैं और अपने 40% कच्चे तेल की खरीद स्पॉट मार्केट से करती हैं। प्राइवेट कंपनी नायरा एनर्जी, जो रूस की रोसनेफ्ट के स्वामित्व में है और देश की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी चलाती है, उसे भी 18 जुलाई को यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।
साथ ही, अमेरिका ने 31 जुलाई को ईरान से जुड़ी गतिविधियों के लिए 8 और भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, जिससे ईरान से तेल आयात की रही-सही संभावना भी खत्म हो गई।
कपड़ा, रत्न और आभूषण उद्योग में हड़कंप
सूरत और मुंबई के कपड़ा, रत्न और आभूषण उद्योगों में घबराहट का माहौल है। अचानक टैरिफ में भारी वृद्धि ने छोटे व्यापारियों को अंधेरे में डाल दिया है, क्योंकि उनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक कीमतें अब खत्म हो गई हैं। सिर्फ सूरत की ही 35% कपड़ा निर्यात अमेरिका को होती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से इन क्षेत्रों में पहले से ही वैश्विक मांग में गिरावट के कारण दबाव था और अब टैरिफ का असर बड़े पैमाने पर नौकरी छिनने का कारण बन सकता है।
GDP पर संभावित असर
भारत का अमेरिका के साथ माल व्यापार बहुत बड़ा है। अप्रैल-मई 2025 में यह $17 अरब रहा, जो भारत के कुल $76.8 अरब के निर्यात का 22% है। FY24 में भारत ने अमेरिका के साथ $35 अरब का व्यापार अधिशेष (surplus) अर्जित किया, जबकि चीन के साथ $85 अरब का घाटा हुआ। FY24 में भारत-अमेरिका का कुल व्यापार $119.7 अरब रहा, जो भारत के GDP (₹84 प्रति डॉलर के हिसाब से \$3598.9 अरब) का 3.3% है। अगर ये टैरिफ एक साल तक बने रहते हैं तो विशेषज्ञों के अनुसार भारत की GDP वृद्धि दर 20–40 बेसिस पॉइंट तक गिर सकती है और FY26 में यह 6% या उससे भी नीचे जा सकती है। जबकि RBI ने FY26 के लिए 6.5% और आर्थिक सर्वेक्षण ने 6.3–6.8% वृद्धि का अनुमान दिया है।
रुपया और निवेश पर असर
रुपया गिरकर ₹87.7 प्रति डॉलर तक पहुंच गया है — यह लगभग ऑल-टाइम लो (₹87.95) के करीब है। शेयर बाज़ार प्रभावित है,और विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार पैसा निकाल रहे हैं। FY25 में FDI गिरकर सिर्फ $353 मिलियन रह गया — जो FY05 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। FY21 में यह $43 अरब था। RBI अब ब्याज दर में कटौती पर विचार कर सकता है ताकि निर्यातकों को राहत दी जा सके, जबकि US Fed ने अपनी दरें यथावत रखी हैं — इससे दोनों देशों के बीच ब्याज दरों का अंतर भी फंड फ्लो पर असर डालेगा।