अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ने SEBI के खिलाफ केस दायर किया

जेन स्ट्रीट अदालत में सेबी को चुनौती दे रही है, आरोप लगाते हुए कि नियामक ने बाज़ार में हेरफेर से जुड़े आरोपों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ रोक लिए। यह मामला उस समय आया है जब सेबी ने पहले जेन स्ट्रीट पर डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से मुनाफ़ा कमाने का आरोप लगाकर पाबंदी लगाई थी।;

Update: 2025-09-05 01:44 GMT
जुलाई 2025 में सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाज़ारों से बैन कर दिया था, आरोप था कि उसने डेरिवेटिव्स में हेरफेर करके मुनाफ़ा कमाया।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में केस दायर किया है, आरोप लगाते हुए कि भारत के बाजार नियामक सेबी ने आरोपों का जवाब देने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ और डेटा उपलब्ध नहीं कराया।

यह मामला सेबी और अमेरिकी ट्रेडिंग दिग्गज के बीच ताज़ा टकराव है। जुलाई 2025 में सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाज़ारों से बैन कर दिया था, आरोप था कि उसने डेरिवेटिव्स में हेरफेर करके मुनाफ़ा कमाया। बाद में कंपनी को फिर से ट्रेडिंग की अनुमति मिल गई जब उसने कथित अवैध कमाई 4,844 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में जमा कर दी।

SAT में अपील

यह नवीनतम मामला SAT में दायर हुआ, जो सेबी के आदेशों के खिलाफ अपील का पहला मंच है। रॉयटर्स के मुताबिक, अपील में SAT से निर्देश मांगे गए हैं कि वह सेबी को जेन स्ट्रीट को गुम दस्तावेज़ उपलब्ध कराने का आदेश दे।

जेन स्ट्रीट-सेबी विवाद

सेबी द्वारा जेन स्ट्रीट पर की गई कार्रवाई विदेशी निवेशक पर की गई सबसे सख़्त कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है। सेबी के अनुसार, इस वॉल स्ट्रीट ट्रेडर ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 तक भारतीय डेरिवेटिव्स से 4.23 अरब डॉलर का मुनाफ़ा कमाया, जिसमें से 567 मिलियन डॉलर अवैध कमाई मानी गई।

उस समय भारत का फ्यूचर्स और ऑप्शंस मार्केट जबरदस्त उछाल पर था। 2023 में भारत में डेरिवेटिव्स का कारोबार कैश मार्केट के मूल्य से 422 गुना था। जबकि अन्य वैश्विक बाजारों में यह अनुपात 5 से 15 गुना तक ही था।

सेबी की जांच में पता चला कि जेन स्ट्रीट ने निफ्टी बैंक के शेयरों को कैश और फ्यूचर्स मार्केट में बड़े पैमाने पर खरीदा, जिससे इंडेक्स की कीमत ऊपर गई। फिर, उन्हीं दिनों की सुबह कंपनी ने इंडेक्स पर डेरिवेटिव्स के जरिए शॉर्ट पोजीशन ली। बाद में शेयरों को कैश और फ्यूचर्स मार्केट में बेच दिया। जेन स्ट्रीट की भारी-भरकम पोजीशन्स ने इंडेक्स को नीचे धकेल दिया और कंपनी ने शॉर्ट्स से मुनाफ़ा कमाया।

प्रतिबंध के बाद शुरुआती समय में कारोबार पर असर पड़ा। NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में इंडेक्स ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर—जो एफ एंड ओ सेगमेंट में रिस्क अपेटाइट और कैपिटल डिप्लॉयमेंट का मुख्य संकेतक है—में गिरावट आई।

जेन स्ट्रीट का बचाव

जेन स्ट्रीट का कहना है कि नियामक की पाबंदियाँ "मानक हेजिंग प्रथाओं और डेरिवेटिव्स व अंडरलाइंग मार्केट्स के संबंधों की गलतफहमी" पर आधारित हैं।

आगे क्या?

जेन स्ट्रीट और सेबी के बीच कानूनी लड़ाई अब महीनों तक खिंच सकती है, क्योंकि इसमें आरोप जटिल हैं और दांव बड़ा है। जेन स्ट्रीट के लिए सेबी की पूरी जांच रिपोर्ट तक पहुंच होना बेहद अहम है ताकि वह साबित कर सके कि उसके सौदे वैध हेजिंग स्ट्रैटेजी थे, न कि हेरफेर।

अगर SAT, जेन स्ट्रीट के पक्ष में जाता है और सेबी को गुम दस्तावेज़ उपलब्ध कराने का आदेश देता है, तो नियामक की जांच के अहम पहलुओं को फिर से खोला जा सकता है।

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