हिमा रिपोर्ट पर कोर्ट की खरी खरी
केरल उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है, जिसने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ व्यवस्थित यौन शोषण और शोषण का खुलासा किया है। न्यायमूर्ति के हेमा समिति का गठन 2017 में किया गया था और रिपोर्ट 2019 में प्रस्तुत की गई थी। लेकिन कानूनी लड़ाई के बाद इसका संशोधित संस्करण 19 अगस्त को ही जारी किया गया। अदालत ने राज्य से पूछा कि पूरी रिपोर्ट होने के बावजूद वह चार साल से क्या कर रही थी। पूरी रिपोर्ट एसआईटी को सौंपी जाएगी पूरी रिपोर्ट मांगी गई अदालत ने राज्य को निर्देश दिया कि वह रिपोर्ट में उल्लिखित महिलाओं की शिकायतों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंप दे। अदालत ने यह भी कहा कि वह मीडिया को घटना को कवर करने से नहीं रोकेगी। “समाज में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए आप क्या कर रहे हैं? सिर्फ फिल्म उद्योग ही नहीं। स्थिति खराब है और वह भी हमारे जैसे राज्य में। हमारे राज्य में महिलाओं की आबादी ज़्यादा है। यह हमारे लिए अल्पसंख्यकों का मुद्दा नहीं है