दिल्ली एनसीआर में तिहाड़ जेल का वार्डन चला रहा था पार्टी ड्रग MDMA बनाने की फैक्ट्री
NCB का दावा है कि तिहाड़ जेल का वार्डन एक कारोबारी के साथ मिलकर कासना इंडस्ट्रियल एरिया, गौतमबुद्ध नगर में MDMA बनाने की फैक्ट्री चला रहा था. इस काम में मैक्सिकन सीजेएनजी ड्रग कार्टेल (कार्टेल डी जलिस्को नुएवा जेनरेशन) भी शामिल है.;
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-10-29 09:59 GMT
MDMA Illegal Lab : नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( NCB ) ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के साथ मिलकर एनसीआर में चल रही ड्रग बनाने की एक फैक्ट्री लैब का भंडाफोड़ किया है. इस लैब में पार्टी ड्रग मेथामफेटामाइन ( MDMA ) बनायी जा रही थी, जो न केवल दिल्ली एनसीआर व देश के अन्य हिस्सों में सप्लाई की जा रही थी बल्कि विदेशों में भी भेजी जा रही थी. ये लैब गौतमबुद्ध नगर के इंडस्ट्रियल एरिया में सुचारू थी. सबसे बड़ी बात ये है कि नशे के इस कारोबार में तिहाड़ जेल का एक वार्डन भी शामिल है, जो इस लैब में पार्टनर है.
कैसे हुआ भंडाफोड़
एनसीबी के ओपरेशन यूनिट के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह लगातार इस बात पर जोर देते हैं कि देश के ड्रग्स का सफाया होना चाहिए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए एनसीबी निरंतर इस प्रयास में जुटी रहती है कि नशे के कारोबार को जड़ से ख़त्म किया जा सके. इसी क्रम में NCB और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने संयुक्त तौर पर काम करते हुए नॉएडा में चल रही MDMA बनाने की लैब का भंदोफोड़ किया है.
सूचना के आधार पर की गयी कार्रवाई
डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि एक सूचना मिली कि अन्य देशों को निर्यात करने और भारत में खपत के लिए मेथामफेटामाइन जैसी सिंथेटिक दवाओं ( ड्रग्स ) के उत्पादन के लिए दिल्ली एनसीआर में एक प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है, जिसमें मैक्सिकन सीजेएनजी ड्रग कार्टेल (कार्टेल डी जलिस्को नुएवा जेनरेशन) के सदस्य भी शामिल हैं. इस सूचना पर व्यापक तौर पर काम किया गया और फिर एनसीबी ने 25 अक्टूबर 2024 को जिला गौतमबुद्ध नगर के कासना औद्योगिक क्षेत्र में एक कारखाने में दबिश देकर तलाशी अभियान चलाया. उस लैब से एसीटोन, सोडियम हाइड्रोक्साइड, मेथिलीन क्लोराइड, प्रीमियम ग्रेड इथेनॉल, टोल्यूनि, रेड फॉस्फोरस, एथिल एसीटेट आदि जैसे रसायन और निर्माण के लिए आयातित मशीनरी भी बरामद की गयी. इस नेटवर्क का लिंक दिल्ली एनसीआर में कई जगहों पर पाया गया, इस वजह से दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को भी इस ऑपरेशन में शामिल किया गया.
तिहाड़ जेल का वार्डन भी था शामिल
प्रारंभिक जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि दिल्ली का एक व्यवसायी, जो छापेमारी के समय कारखाने के अंदर ही पाया गया था, तिहाड़ जेल के वार्डन के साथ मिल कर नशे के इस अवैध कारखाने को चला रहा था. वो वार्डन भी इस लैब के लिए विभिन्न स्रोतों से मेथम्फेटामाइन के निर्माण के लिए आवश्यक रसायनों की खरीद और मशीनरी के आयात में सहायक था. इस मामले में लिप्त व्यवसायी को पहले राजस्व खुफिया विभाग (डीआरआई) ने भी एनडीपीएस मामले यानी नशे के कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया था. उसी दौरान तिहाड़ जेल में बंद होने के चलते उसकी मुलाकात जेल वार्डन से हुई थी और फिर ये दोनों जुर्म की दुनिया में पार्टनर बन गए.
मुंबई के एक केमिस्ट से मंगवाते थे नशे के केमिकल
डीडीजी ज्ञानेश्वर के अनुसार MDMA को तैयार करने के लिए जो केमिकल व दवाओं की जरुरत पड़ती थी वो मुंबई के एक केमिस्ट के माध्यम से मंगाई जा रही थीं. दवा की गुणवत्ता का परीक्षण दिल्ली में रहने वाले मैक्सिकन कार्टेल के एक सदस्य द्वारा किया जाता था. इस जानकारी के सामने आने के बाद सभी 4 व्यक्तियों को एनसीबी ने गिरफ्तार कर लिया और 27 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. इन सभी 4 आरोपियों को 3 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
जाँच के दौरान इस ड्रग सिंडिकेट के एक महत्वपूर्ण सदस्य और दिल्ली स्थित व्यवसायी के करीबी सहयोगी को दिल्ली के राजौरी गार्डन क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया और उसे संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा. एनसीबी अब इस गैंग के आगे और पीछे के संबंध, वित्तीय कनेक्शन और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के माध्यम से आरोपियों द्वारा अर्जित की गयी संपत्तियों का पता लगाने में जुटी है.
इस वर्ष देश के अलग अलग हिस्सों में पकड़ी गयी हैं ड्रग्स बनाने वाली लैब/फैक्ट्री
NCB के अनुसार इस वर्ष 2024 में NCB ने गुजरात के गांधीनगर और अमरेली, राजस्थान के जोधपुर और सिरोही और मध्य प्रदेश के भोपाल में पांच स्थानों पर ऐसी प्रयोगशालाओं का भंडाफोड़ किया है. इस महीने की शुरुआत में, भोपाल के बागरोदा औद्योगिक एस्टेट में गुजरात एटीएस के साथ एक संयुक्त अभियान में एक प्रयोगशाला का भंडाफोड़ किया गया था, जहाँ से ठोस और तरल रूपों में लगभग 907 किलोग्राम मेफेड्रोन और मशीनरी के साथ लगभग 7000 किलोग्राम विभिन्न रसायन जब्त किए गए थे.
तेजी से बढ़ रहीं हैं MDMA बनाने की लैब
NCB की तरफ से ये दावा किया गया है कि जाँच के दौरान ये बात सामने आई है की पिछले कुछ समय में मेथामफेटामाइन और मेफेड्रोन जैसी सिंथेटिक दवाओं के उत्पादन में इजाफा हुआ है. इसे तैयार करने वाली अवैध लैब तेजी से लगाई जा रही हैं. इसके पीछे की वजह इसकी कम लागत को माना जा रहा है. ड्रग माफिया तेजी से औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसी गुप्त प्रयोगशालाएं स्थापित करने की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां सामग्री और मशीनरी के परिवहन, प्रयोगशालाओं से उत्पन्न अपशिष्ट और रासायनिक प्रसंस्करण के दौरान चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण अनावश्यक रूप से सतर्क न हों.
NCB लगातार अलग अलग राज्यों की पुलिस को इन अवैध लैब के लिए दे रहा है प्रशिक्षण
NCB ने ये भी दावा किया है कि सिंथेटिक दवाओं के निर्माण और तस्करी की इस प्रवृत्ति के बारे में स्थानीय पुलिस को संवेदनशील बनाने और गुप्त प्रयोगशालाओं का पता लगाने की उनकी क्षमता का निर्माण करने के लिए, एनसीबी लगातार देश के विभिन्न हिस्सों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. इस महीने की शुरुआत में, यूएसए की ड्रग प्रवर्तन एजेंसी (डीईए) के सहयोग से अहमदाबाद में 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था.