मुंबई में 77 साल की बुजुर्ग महिला को एक महीने तक बनाये रखा डिजिटल अरेस्ट

ठगों ने महिला को इस तरह से प्रभाव में लिया कि वो लम्बे समय तक किसी के सामने ये बात ही नहीं रख पायीं और उन्होंने डर की वजह से अपने और पति के जॉइंट अकाउंट से 3 करोड़ 80 लाख रूपये ठगों को ट्रान्सफर कर दिए.

Update: 2024-11-26 10:31 GMT

Digital Arrest : मुंबई से एक हैरान और परेशान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां एक 77 वर्षीय महिला को डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी का शिकार बनाया गया। महिला से 3 करोड़ 80 लाख रूपये ठगे गए. इस मामले में आरोपियों ने महिला को फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर डराया और एक महीने तक अपने जाल में फंसायें रखा। इस ठगी की कहानी न सिर्फ हैरान करने वाली है, बल्कि यह डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के बारे में चेतावनी भी देती है।


मोडस ओपेरेंडी
सबसे पहले, महिला को एक वॉट्सऐप कॉल आई, जिसमें कहा गया कि उनके नाम से एक पार्सल ताइवान भेजा गया था और उसमें संदिग्ध सामग्री, जैसे पासपोर्ट, बैंक कार्ड और नशीली दवाएं पाई गईं। जब महिला ने इससे इंकार किया, तो कॉल करने वाले ने बताया कि उनका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है और उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। इसके बाद महिला को और डराया गया, और उसे फर्जी पुलिस अधिकारी IPS आनंद राणा और जॉर्ज मैथ्यू का नाम लेकर कहा गया कि उन्हें इस मामले की जांच के लिए मदद करनी होगी।

डिजिटल अरेस्ट और विश्वास का छल
अरेस्ट का डर दिखा कर महिला से स्काई ऐप डाउनलोड करवाई गयी और फिर कहा गया कि 24 घंटे इसे चालू रखना है और इसमें बने रहना है। आरोपियों ने एक महीने तक उसे ऑनलाइन निगरानी में रखा। महिला से कहा गया कि वह किसी को इस बारे में न बताएं और यदि किसी ने पूछा तो वह बताएं कि वह प्रॉपर्टी खरीदने जा रही हैं। पहले उन्होंने महिला से 15 लाख रूपये ट्रान्सफर करवाए. महिला को विश्वास में लेने के लिए आरोपियों ने वो रकम वापस लौटा दी. लेकिन, जब महिला ने अपने और पति के जॉइंट अकाउंट से और पैसे ट्रांसफर किए तो आरोपियों ने वो रकम वापस नहीं लौटाई बल्कि उससे और रकम मांगते रहे. तब महिला को शक हुआ और उसने ये बात अपनी बेटी को बताई।

पुलिस की मदद और बचाव के उपाय
महिला की बेटी ने तुरंत पुलिस से मदद लेने की सलाह दी, और अंत में महिला ने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और क्राइम ब्रांच इसकी जांच कर रही है।

डिजिटल अरेस्ट से न डरें
यह घटना यह साफ करती है कि डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं, और यह जरूरी है कि हम हमेशा सतर्क रहें। कुछ जरूरी सावधानियां इस प्रकार हैं:
1. कभी भी अनजान कॉल्स या मैसेज का जवाब न दें। यदि आपको किसी अजनबी से कॉल या मैसेज मिलता है, तो उसे नजरअंदाज करें। कभी भी अपने व्यक्तिगत विवरण किसी अनजान व्यक्ति को न दें।
2. ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करें - किसी भी ऐप या लिंक पर क्लिक करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह विश्वसनीय हो। स्काईप ऐप और अन्य अनजान ऐप्स से दूर रहें।
3. अधिकारिक जांच की पुष्टि करें - यदि आपको किसी सरकारी एजेंसी या अधिकारी का कॉल आता है, तो उसकी सत्यता की पुष्टि करने के लिए आधिकारिक नंबर पर संपर्क करें।
4. आपातकालीन हेल्पलाइन का उपयोग करें - यदि आपको शक हो कि आप ठगी का शिकार हो रहे हैं, तो तुरंत अपने परिवार को सूचित करें और पुलिस की मदद लें।

प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई कार्रवाई है ही नहीं
जिस तरह से देश में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले बड़े हैं, उनसे सरकार भी चिंतित है, खासतौर से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर. यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी भी जनता को सचेत करते हुए ये कह चुके हैं कि डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई भी प्रक्रिया है ही नहीं और तमाम क़ानूनी एजेंसियां इस तरह की कार्रवाई करती ही नहीं. इसलिए ऐसी कॉल से डरे नहीं तुरत पुलिस को इसकी सूचना दें.


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