फ़र्ज़ी पुलिसकर्मी बनकर ठगी करने वाला गिरोह गिरफ्तार

लखनऊ में एक ऐसा गिरोह पुलिस की गिरफ्त में आया है जो फ़र्ज़ी पुलिसकर्मी बनकर लोगों से ठगी करते थे।गिरोह के सदस्य लोगों से निवेश करवाते थे और उसी गैंग के सदस्य फ़र्ज़ी पुलिस टीम बनकर उनको गिरफ्तार करते थे।;

Update: 2025-07-17 11:28 GMT
फ़र्ज़ी पुलिस टीम बनकर लोगों को ठगता था गिरोह

लखनऊ में नक़ली पुलिस टीम बनाकर लोगों से ठगी करने का गिरोह सामने आया है।चार लोगों को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि गैंग बनाकर ये लोग आम लोगों को ठगते थे।लोगों से ठगी करने के लिए न सिर्फ ये नकली पुलिस के रूप में ख़ुद को पेश करते थे बल्कि तमंचा लगा के लोगों को असली पुलिस होने का एहसास कराते थे।

लखनऊ में फ़र्ज़ी पुलिस टीम बनकर लोगों से ठगी करने का मामला सामने आया है।गोमतीनगर पुलिस ने सरगना अंजनी कुमार समेत चार फ़र्ज़ी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने विशाल कुमार,रामबहादुर,राम प्रसाद और अंजनी कुमार को गिरफ्तार किया है जो सुनियोजित तरीके से पुलिस का वेश बनाकर लोगों को रौब में लेकर धोखाधड़ी करते थे।यह गिरोह फ़र्ज़ी SOG टीम बकर लोगों के सामने आते थे और कभी-कभी खुद को क्राइम ब्रांच की टीम के सदस्य बताते थे। गिरोह बहुत चालाकी दे अपने कम को अंजाम देता था।

गिरोह निवेश के नाम पर पैसा लेकर डबल करने

का झांसा भी लोगों को देते थे।गिरफ्तार किए गए ठगों के कब्ज़े से 500-500 रूपये के नोट की साइज के 30 चिल्ड्रन बैंक की गड्डिया मिली हैं। इसके साथ ही 8 गड्डी जिनके ऊपर 500 रूपये का असली नोट लगा और नीचे चिल्ड्रन बैंक के नोट थे बरामद हुए हैं।इसके अलावा 30 हज़ार रुपए भी मिले हैं।ठगों के पास से तमंचा और कारतूस भी बरामद हुआ है।

आइसक्रीम का ठेला लगाने वाले राजकुमार ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी।राजकुमार ने पुलिस को बताया था कि कुछ लोगों ने उससे संपर्क कर पैसा निवेश करने और उसे डबल करने की बात कही थी।राजकुमार ने कुछ पैसा लगाया और उसके कुछ दिन बाद गैंग का एक सदस्य पैसा रिटर्न करने आया।इसमें ऊपर एक 500 का नोट लगा था और नीचे सब चिल्ड्रेन बैंक के नोट थे।उसी समय फ़र्ज़ी एसोजी टीम बनकर इसी गिरोह के सदस्य वहाँ पहुँचे और जो असली पैसा था वो और को नक़ली नोट थे वो सब लेकर और निवेश करने आए व्यक्ति की फ़र्ज़ी गिरफ्तारी करके वहाँ से चले जाते हैं।शिकायत मिलने पर पुलिस ने जब कार्रवाई की तब मामले का खुलासा हुआ कि अपने ही साथी को निवेश के बहाने लोगों के पास भेजते थे।झांसे में आने पर पैसा लेकर चले जाते थे।बाद में और पैसा लेने के लिए पहुंचते थे।तभी इसी गिरोह के सदस्य नकली पुलिस कर्मी बनकर आते थे और पैसा लेकर और फ़र्ज़ी गिरफ्तारी दिखाकर चले जाते थे।

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