सात पुलिस कर्मियों की टीम, महीने भर की छानबीन, ऐसे पकड़ में आया बाइक चोरी गैंग

कहते हैं न कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और उनसे बच पाना नामुमकिन होता है. एक ऐसी ही वारदात से महाराष्ट्र की पुलिस भी परेशान थी. लेकिन पुलिस ने ऐसी बिसात बिछाई कि अपराधी बच न सके.

Update: 2024-11-04 10:37 GMT

Maharashtra police: चोर-बदमाश अपराध करने के कई तरह के तरीके अपनाते हैं. वहीं, पुलिस भी इनकी धरपकड़ के लिए नई चालें चलती रहती हैं. आजकल वाहन चोरी बड़ी समस्या बनते जा रहा है. कई नये गैंग और लोग इसमें शामिल होते हैं. इस वजह से पुलिस का इनको पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन कहते हैं न कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और उनसे बच पाना नामुमकिन होता है. एक ऐसी ही वारदात से महाराष्ट्र की पुलिस भी परेशान थी. लेकिन इसके लिए वहां कि पुलिस ने ऐसी बिसात बिछाई कि अपराधी बच न सके.

महाराष्ट्र के पुणे और आसपास के इलाकों से बाइक चोरी की लगातार शिकायतें आ रहीं थीं. शिकायत के बाद पुलिस जांच करती है. लेकिन कोई सुराग नहीं मिलता है. हालांकि, पुलिस की छानबीन लगातार जारी रहती है. इसी बीच पुलिस को सूचना मिलती है. कि मराठवाड़ा इलाके के धराशिव, लातूर और बीड जिलों में कुछ सेकंड हैंड बाइक बेची गई हैं. पुलिस को समझने में देर नहीं लगती है ये बाइकें चोरी की हैं. अब पुलिस टीम गठित की जाती है औऱ टीम में क्राइम ब्रांच की यूनिट-6 के 7 पुलिस कर्मियों को रखा जाता है.

पुलिस टीम सादी वर्दी में गांव पहुंचकर खुद को मजदूर बताते हैं और खेतों में काम करने लगते हैं. इसके साथ ही ये गांव के बाजारों में घुमकर चोरी बाइकों की तफ्तीश शुरू करते हैं. इस दौरान पता चलता है कि सेकंड हैंड बाइक अक्सर गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजार या मेले में बेची जाती हैं. वहां ये लोग गांव वालों को बताते थे कि बाइक बैंक द्वारा लोन न चुकाने पर जब्त की गई है, इसलिए कम कीमत पर बेची जा रही हैं. सीधे-साधे गांव वाले उनकी बातों में आकर सस्ते कीमत की चक्कर में बाइक खरीद लेते थे.

गैंग के लोग अक्सर सस्ती बाइकों को निशाना बनाते थे. क्योंकि ये आसानी से बिक जाती थीं और किसी को बेचने पर शक भी नहीं होता था. ये लोग पुलिस और आरटीओ के पकड़ में भी नहीं आते थे. क्योंकि बेचने से पहले ये बाइक पर नकली नंबर प्लेट लगा देते थे और गांव वाले भी शहर की तरफ नहीं आते थे. इसलिए चोरी की बाइकें पकड़ में नहीं आते थे.

हालांकि, पुलिस वालों ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी तफ्तीश जारी रखी. इस दौरान पुलिस टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी और कल्लम के गोविंदपुर निवासी युवराज सुदर्शन मुंडे और परमेश्वर भैरवनाथ मिस्त्री को गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों चोरी की बाइक बेचते हुए रंगे हाथ पकड़े गए थे. उनकी निशानदेही पर पुलिस ने अजय रमेश शिंदे और सचिन प्रदीप कदम को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि गैंग का मास्टरमाइंड अजय रमेश शिंदे कॉमर्स में ग्रेजुएट है. पुलिस ने एक महीने के ऑपरेशन के दौरान करीब 34 लाख रुपये कीमत की 100 चोरी की बाइकें जब्त कीं.

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