क्या बिश्नोई बनेगा मुंबई का डॉन? बाबा सिद्दीकी मर्डर से क्या है कनेक्शन
लॉरेंस बिश्नोई की छोटी-मोटी गैंगस्टर से लेकर अंतरराष्ट्रीय कुख्याति तक के सफर को जानना महत्वपूर्ण है. क्योंकि वह उत्तर भारत का एक गैंगस्टर है, जो शुरू में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में सक्रिय था.
Lawrence Bishnoi: सत्या में राम गोपाल वर्मा का काल्पनिक पात्र भीकू म्हात्रे समुद्र के किनारे एक चट्टान पर खड़ा है और मुंबई के ऊंचे-ऊंचे कंक्रीट के असमान फैलाव को देखते हुए पूछता है, "मुंबई का राजा कौन है?" वहीं, इसी बीच ये सवाल उठने लगे हैं कि अब इस ऐतिहासिक सीन को रियल लाइफ में दोहराया जा सकता है. यह सवाल तब उठा, जब बाबा सिद्दीकी की नाटकीय हत्या की घटना हुई. क्योंकि क्या बिश्नोई ने पर्याप्त ताकत जुटा ली है? क्या उसका मुंबई में कोई नेटवर्क है या उसे शहर की स्थानीय जानकारी है? क्या वह दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, वरदराजन मुदलियार और अरुण गवली जैसे पुराने दौर के गैंगस्टरों की तरह अंडरवर्ल्ड पर राज कर सकता है?
बिश्नोई का सफर
इन सवालों के जवाब के लिए बिश्नोई की छोटी-मोटी गैंगस्टर से लेकर अंतरराष्ट्रीय कुख्याति तक के सफर को जानना महत्वपूर्ण है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बिश्नोई उत्तर भारत का एक गैंगस्टर है, जो शुरू में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में सक्रिय था. वह पहली बार राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आया, जब उसने जोधपुर की अदालत में पेश होने पर सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी थी. सलमान पर 1998 में राजस्थान में पारिवारिक ड्रामा फिल्म हम साथ साथ हैं की शूटिंग के दौरान दो काले हिरणों का शिकार करने और उन्हें मारने का आरोप लगाया गया था. बिश्नोई समुदाय ने राजस्थान में सलमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. समुदाय काले हिरण की रक्षा करना अपना आध्यात्मिक कर्तव्य मानता है. क्योंकि इसे उनके 14वीं सदी के आध्यात्मिक नेता गुरु महाराज जंबाजी का अवतार माना जाता है. समुदाय जानवरों पर शक्ति के किसी भी आक्रामक प्रदर्शन से नफरत करता है.
सलमान खान को धमकी
शुरुआत में इसे पब्लिसिटी स्टंट बताकर खारिज कर दिया गया था. लेकिन जून 2018 में हरियाणा पुलिस द्वारा बिश्नोई के प्रमुख सहयोगी संपत नेहरा को गिरफ्तार किए जाने के बाद मुंबई पुलिस को सलमान को दी गई धमकी पर ध्यान देना पड़ा. नेहरा मुंबई गए थे और उन्होंने सलमान के बांद्रा स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट का मुआयना किया था, ताकि यह देखा जा सके कि बॉलीवुड स्टार को निशाना बनाने के लिए किस तरह का हथियार उपयुक्त रहेगा. उन्होंने सलमान की बालकनी की तस्वीरें लीं, जहां से कभी-कभी सलमान बाहर जमा अपने प्रशंसकों का अभिवादन करते हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बिश्नोई ने नेहरा को सलमान को निशाना बनाने का काम सौंपा था. लेकिन नेहरा को समय रहते गिरफ्तार कर लिया गया और इस प्रयास को विफल कर दिया गया. लेकिन, उसके बाद से ही बिश्नोई ने सलमान को निशाना बनाने की अपनी कोशिशें तेज़ कर दी हैं.
साल 2022 में बिश्नोई गिरोह द्वारा गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सलमान को फिर से एक धमकी भरा पत्र मिला, जिसमें कहा गया कि उनका भी गायक जैसा ही हश्र होगा।. इस साल की शुरुआत में फिल्मस्टार के घर पर गोलीबारी की गई थी. फरवरी में पुलिस को पता चला कि पनवेल में उनके फार्महाउस के आसपास सलमान को निशाना बनाने की एक और योजना है. पुलिस ने वहां तैनात एक हिट टीम के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया.
जेल में बिश्नोई
एक पुलिस अधिकारी, जिसने कई मामलों में बिश्नोई से लंबी पूछताछ की है, ने बताया कि हालांकि यह सारा उत्पात बिश्नोई गिरोह द्वारा मचाया गया है. लेकिन इसका सरगना 2015 में गिरफ्तारी के बाद से पिछले नौ वर्षों से जेल में बंद है. अधिकारी ने द फेडरल को बताया कि हम उसके खिलाफ (हाल की घटनाओं के लिए) एफआईआर दर्ज कर रहे हैं. लेकिन वह इन सभी मामलों में खुद को निर्दोष बता सकता है. इस आधार पर कि वह जेल में रहा है, जेल अधिकारियों की निगरानी में रहा है और वह इन सभी अपराधों का मास्टरमाइंड नहीं हो सकता. विषय की संवेदनशीलता के कारण नाम न बताने की शर्त पर बात करने वाले अधिकारी ने कहा कि भविष्य में भी पुलिस को लॉरेंस पर सभी मामले थोपना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि वह हिरासत में है.
अधिकारी ने बताया कि अब उसे अपने साथियों से बात करने की जरूरत नहीं है और कई बार तो उसे उन साथियों की पहचान भी नहीं होती, जो उसकी ओर से हत्याएं करते हैं. यह संभव है कि वह जेल में ही किसी को मौखिक रूप से निर्देश देता हो. ये निर्देश देश के बाहर बैठे उसके साथियों को दिए जाते हैं और वे एक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए एक हिट टीम तैयार करते हैं.
एनआईए शामिल
मूसेवाला की हत्या के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैंगस्टर-नार्को तस्करी-आतंकवाद गठजोड़ की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को लाने का फैसला किया. बिश्नोई गिरोह के खिलाफ जांच का हिस्सा रहे एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने द फेडरल को बताया कि यह पाया गया कि बिश्नोई अपने आपराधिक साम्राज्य को बिना किसी बाधा के चलाने के लिए प्रमुख जेल अधिकारियों की हथेलियों को चिकना करके जेल प्रणाली में आसानी से हेरफेर कर रहा था. जेल अधिकारियों को खुश रखने से जेल के अंदर उसकी सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी. अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गैंगस्टर-नार्को-आतंकवाद गठजोड़ की जांच एनआईए को सौंपने का निर्देश दिया है. पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि लॉरेंस को साबरमती जेल भेजने का फैसला किया गया, ताकि उसके सहयोगियों तक उसकी पहुंच खत्म हो जाए. अगर मौका मिलता तो लॉरेंस को साबरमती जेल में नहीं भेजा जाता. वह इस कदम के सख्त खिलाफ था. लेकिन बाबा सिद्दीकी की हत्या से संकेत मिलता है कि लॉरेंस साबरमती जेल से भी अपनी गतिविधियों को जारी रखने का रास्ता ढूंढने में कामयाब रहा.
सिद्दीकी की हत्या का मकसद
हालांकि, मुंबई पुलिस के लिए मुख्य सवाल यह है कि सिद्दीकी को क्यों निशाना बनाया गया? इसका मकसद क्या था? नाम न बताने की शर्त पर महाराष्ट्र पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जैसा कि बिश्नोई गिरोह ने दावा किया है, प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि राजनेता को सलमान खान से उनकी निकटता के कारण निशाना बनाया गया. महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी ने द फेडरल को बताया कि जांच की यह सबसे विश्वसनीय लाइन है. लेकिन, अभी तक हमने मामले में केवल उन लोगों से पूछताछ की है, जिन्हें सिद्दीकी की हत्या के असली मकसद के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हम इस बारे में और अधिक स्पष्टता तब प्राप्त कर सकते हैं, जब हम लॉरेंस और हत्या की योजना बनाने वाले उसके प्रमुख सहयोगियों से पूछताछ करेंगे.
बिल्डर-राजनेता गठजोड़
इसका एक और पहलू भी है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सिद्दीकी बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं को लेकर अधिकारियों के साथ सार्वजनिक रूप से झगड़े में शामिल थे. क्या सिद्दीकी का इन पुनर्विकास परियोजनाओं का विरोध उनकी हत्या के पीछे की वजह था? मुंबई पुलिस अभी इस पर कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं है, बस इतना कह रही है कि सभी पहलुओं की जांच की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि बिल्डरों और राजनेताओं का एक मजबूत लॉबी इन पुनर्विकास परियोजनाओं में रुचि रखता है. लेकिन सिद्दीकी के विरोध के कारण ये परियोजनाएं रुकी हुई हैं. मुंबई के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर द फेडरल को बताया कि आज मुंबई में 1990 के दशक जैसी खुली अंडरवर्ल्ड गतिविधि देखने को नहीं मिलती. लेकिन अगर सतह के नीचे खरोंचें तो पता चलेगा कि बिल्डरों, राजनेताओं और पुलिस का एक मजबूत गठजोड़ अभी भी शहर में मुश्किल इलाकों में रियल एस्टेट परियोजनाओं को बिना किसी बाधा के पूरा करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि बस इतना ही है कि सड़कों पर खून बहना बंद हो गया है. क्योंकि यह किसी के हित में नहीं है.
मुंबई में शांति
इस पृष्ठभूमि में सिद्दीकी की हत्या बिश्नोई द्वारा मुंबई अंडरवर्ल्ड में पैर जमाने की कोशिश हो सकती है. इससे उसे और बदनामी मिलती है और उसकी पहुंच का पता चलता है. महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि लेकिन कुछ निहित स्वार्थी तत्व हैं, जो मुंबई की शांति को भंग नहीं करना चाहते हैं. इसके अलावा, मुंबई अंडरवर्ल्ड में पैर जमाने के लिए स्थानीय इलाकों और लोगों की गहन जानकारी वाले स्थानीय नेटवर्क की जरूरत होती है, जो लॉरेंस के पास नहीं है. मुंबई में आप लोकल ट्रेन में अपने बगल में बैठे व्यक्ति की कीमत का अंदाजा नहीं लगा सकते. इसलिए किसी बाहरी व्यक्ति के लिए बिना नेटवर्क के काम करना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि मुंबई के 1990 के दशक के उन काले दिनों में वापस जाने की संभावना नगण्य है, जब शहर पर अंडरवर्ल्ड का राज था. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है. लेकिन यह हत्या एक असामान्य घटना है. उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस को सिद्दीकी हत्या की गहन जांच करनी चाहिए, ताकि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके.