नोएडा में 2 साल से चल रहा था फर्जी कॉल सेंटर, 9 महिलाओं समेत 11 गिरफ्तार

पुलिस को ये भी मालूम चला कि इस फर्जी कॉल सेंटर की आड़ में लोन और बीमा पॉलिसी के नाम पर दूर दराज जैसे बिहार, झारखण्ड आदि जगहों के लोगों को ठगा जा रहा है. सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया.

Update: 2024-07-07 07:33 GMT

Fake Call Centre Scam: इन्श्योंरेंस कंपनी में काम करने के दौरान दो दोस्तों ने खुद का कुछ बड़ा करने का सोचा. लेकिन पैसे की कमी के चलते सीधे रास्ते के बजाये दोनों ने जालसाजी का रास्ता चुना. दोनों ने खुद का एक फर्जी कॉल सेंटर खोला और दूर दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को फर्जी बिमा पालिसी बेचने और लोन दिलाने के नाम पर ठगी का धंधा करने लगे. लेकिन इनकी ये जालसाजी बहुत लम्बी नहीं चल पायी और नोएडा पुलिस ने इन लोगों को धर दबोचा. दरअसल ये दोनों नोएडा के होशियारपुर गाँव में किराये की प्रॉपर्टी में एक फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे, जहाँ इन लोगों ने फीमेल कॉलर्स को काम पर रखा हुआ था. पुलिस कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 9 लड़कियां हैं.

ये हुई है बरामदगी

पुलिस ने इन लोगों के पास से 25 मोबाइल फ़ोन, 81 डाटा शीत, 1 रजिस्टर, 1 कलि डायरी और दो फर्जी अधर कार्ड बरामद किये हैं. इसके अलावा पुलिस को उस बैंक अकाउंट का पता चला है, जिसमे ठगी की रकम जमा करायी जाती थी. पुलिस का दावा है कि ये बैंक अकाउंट भी इस गैंग ने 10 हजार रूपये प्रति माह के किराए पर लिया हुआ था. इस कलि डायरी में इनके कॉल सेंटर का हिसाब है. पुलिस का दावा है कि ये लोग पिछले 2 साल से ये फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे.

क्या है पुलिस का कहना

डीसीपी क्राइम शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि थाना सेक्टर 49 प्रभारी और क्राइम रिस्पांस टीम को सूचना मिली कि होशियापुर गांव की शर्मा मार्केट में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है. पुलिस को ये भी मालूम चला कि इस फर्जी कॉल सेंटर की आड़ में लोन और बीमा पॉलिसी के नाम पर दूर दराज जैसे बिहार, झारखण्ड आदि जगहों के लोगों को ठगा जा रहा है. इ सूचना के आधार पर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए कॉल सेंटर पर छापेमारी करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया. इनमे से 9 महिलाएं/युवतियां थी और दो पुरुष ( जो मास्टरमाइंड हैं ). दोनों पुरुष आरोपियों के नाम आशीष कुमार उर्फ़ अमित और जितेन्द्र कुमार वर्मा के रूप में की गयी. सभी 9 आरोपी युवती/महिलाओं को थाने से ही जमानत दे दी गयी. उनका कहना था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कॉल सेंटर में नौकरी का ऐड देख कर आशीष और जितेन्द्र से संपर्क किया था, जिसके बाद इन्हें नौकरी मिल गयी. इन्हें कॉल करने के लिए नम्बर उपलब्ध कराये जाते थे और एक परफोर्म दिया जाता था, जिसमें किस तरह से क्या बात करनी है ये सब लिखा होता था. इन लोगों को पॉलिसी करने के बदले कमीशन दी जाती थी, मतलब फोन पर जितने लोगों को भला फुसला कर पॉलिसी करेंगे, उतनी कमीशन मिलेगा.

200 से ज्यादा लोगों के साथ कर चुके थे ठगी

पुलिस का दावा है कि गिरोह के सरगना आशीष कुमार और जितेंद्र कुमार ने इस कॉल सेंटर के माध्यम से झारखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों के लोगों को लोन व बीमा पॉलिसी दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाया और उनके साथ ठगी की. पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस के सामने खुलासा किया है कि ये लोग अबतक 200 से अधिक लोगों को अपने जाल में फंसा चुके हैं. उनके साथ करोड़ों रुपये की ठगी की है. पूछताछ के दौरान आशीष कुमार उर्फ अमित ने खुलासा किया कि वो इस कॉल सेंटर का संचालन कर रहा था. उसने बताया कि एनसीआर क्षेत्र के बाहर के कई राज्य के लोगों को मोटी कमाई के लालच में लोन व बीमा पॉलिसी के नाम पर धोखाधड़ी करता था. आशीष डीयू से कॉमर्स ग्रेजुएट है.

10 हजार रूपये महीने पर बैंक अकाउंट लिया किराये पर

पुलिस का कहना है कि इन लोगों के पास से एक बैंक अकाउंट की डिटेल मिली है., जिसमें ठगी की रकम जमा करवाई जाती थी. ये अकाउंट नम्बर लोगों को दिया जाता था और उनसे इस अकाउंट में ही रकम जमा करवाने के लिए कहा जाता था. पुलिस जाँच में पता चला है कि ये ये बैंक अकाउंट कर्णाटक निवासी अरविन्द नामक व्यक्ति का है. आरोपियों ने खुलासा किया है कि इन लोगों ने अरविन्द से उसका बैंक अकाउंट किराये पर ले लिया था. उसका ATM कार्ड अपने पास रख लिया था. जैसे ही रकम बैंक अकाउंट में जमा होती तो ये लोग ATM कार्ड से रकम निकलवा लेते थे.

लेप्स हो चुकी पॉलिसी को दोबारा से शुरू कराने के नाम पर करते थे ठगी

पुलिस का कहना है कि पूछताछ में दोनों ने खुलासा किया है कि इन लोगों ने ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाया, जिनकी बिमा पॉलिसी बीच में ही बंद हो गयी या किसी कारण से लेप्स हो गयी. इन ठगों की तरफ से ऐसे लोगों के पास कॉल जाता और ये उन्हें झांसा देते थे कि आपकी लेप्स पॉलिसी को फिर से शुरू करवा देंगे और बदले में अच्छे रिटर्न देंगे. इतना ही नहीं ये पॉलिसी पर मोटा लों दिलवाने का भी दावा करते थे. जो भी इनके झांसे में आता तो उससे प्रोसेसिंग फीस, लेट फीस आदि के नाम रकम वसूल लेते थे. रकम अकाउंट में आते ही उस व्यक्ति का नम्बर ब्लाक कर दिया जाता था. हाल ही में इस गैंग ने झारखण्ड के एक व्यक्ति से 5 लाख रूपये ठगे थे.

फर्जी पहचान पर खरीदते थे सिम, वो भी सड़क किनारे लगी कैनोपी से

पुलिस जाँच में ये बात सामने आई है कि आशीष और जितेन्द्र सड़क किनारे सिम बेचने वाले लोगों से फर्जी आधार कार्ड पर सिम खरीदते थे. इसके अलावा इन लोगों ने ये भी दावा किया है कि इन्होने ढाई हजार रूपये में 10 हजार लोगों का डाटा ख़रीदा था, ये डाटा ऐसे लोगों का था, जिनकी पॉलिसी लेप्स हो चुकी होती थी या फिर जिहोने लोन के लिए आवेदन किया होता था.

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