क्या है मामला
नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी राकेश पवारिया ने बताया कि दयालपुर थाना पुलिस को 9 अक्टूबर को एक प्रॉपर्टी पर कब्जे को लेकर पीसीआर कॉल मिली थी. उस कॉल पर एसआई रवि को जाँच अधिकारी के तौर पर भेजा गया. पुलिस को दो पार्टियाँ मिली. संजय कुमार और तौहीद मलिक. दोनों ने खुद को प्रॉपर्टी का मालिक बताया. लेकिन तौहीद उस सम्पति के मालिकाना हक़ वाले दस्तावेज पेश नहीं कर सका. इसी बीच एसआई रवि के पास गृह मंत्री के ओएसडी होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने फ़ोन पर तौहीद की ओर से सिफारिश की और केंद्रीय गृह मंत्री का हवाला देते हुए धमकाया भी. इसके बाद कथित ओएसडी ने एसआई रवि को कई बार फोन करके धमकाते हुए तौहीद का फेवर लेने के लिए कहा. इसके बाद उस कथित ओएसडी ने सब डिवीज़न के एसीपी दीपक चंद्र को भी फोन करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री का ओएसडी बताया और उन पर भी प्रभाव जमाया. लेकिन बात घूम फिर कर दयालपुर थाने पर पहुँच गयी.
दयालपुर एसएचओ के पास जाना बना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाला कदम
पुलिस के अनुसार कथित ओएसडी को जब काम बनता नज़र नहीं आया तो वो दयालपुर थाने पहुंचा और फिर एसएचओ इंस्पेक्टर अतुल त्यागी से मिला. उसने अपना परिचय दिया, जिसके बाद स्वाभाविक तौर पर उसे सम्मान दिया गया क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत ही आती है. लेकिन उस कथित ओएसडी ने जिस तरह से बात करनी शुरू की और तड़ी दिखाना शुरू किया तो वो स्वाभाव एसएचओ को बड़ा अटपटा सा लगा. वो कथित ओएसडी लगातार यही जोर दे रहा था कि तौहीद को सम्पति का कब्ज़ा मिलना चाहिए. कागज दिखाने के नाम पर कुछ बात ही नहीं. जब एसएचओ आरोपी के दबाव में नहीं आए और संपत्ति के दस्तावेज पेश करने के लिए कहा, तो ये कथित ओएसडी तिलमिला उठा और धमकी के लहजे में थाने से ये कहते हुए चला गया कि डीसीपी उन्हें दस्तावेज सौंपने का निर्देश देंगे. आरोपी की इन हरकतों पर शक होने पर इंस्पेक्टर अतुल त्यागी ने तुरंत ही आला अधिकारियों को सारी बात से अवगत करवाया. आला अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद तुरंत ही डीडी एंट्री पर पर्चा किया गया. इसके बाद उसकी तलाश शुरू की गयी. मोबाइल नंबर के जरिए उसकी जानकारी जुटाई गयी. एसआई जुगनू त्यागी, रवि पूनिया, हेड कांस्टेबल पुष्पेंद्र, रोहित हुड्डा, दीपक, कृष्ण, कांस्टेबल मोनू पूनिया आदि की टीम ने उसे नोएडा सेक्टर-51 से गिरफ्तार कर लिया गया.
आरोपी की पहचान 43 वर्षीय नवीन कुमार के तौर पर की गयी. पुलिस ने इसके पास से वारदात में इस्तेमाल मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किया है.
लोगों को राज्यसभा की सदस्यता दिलाने के नाम पर ठगता था
डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि आरोपी नवीन कुमार लोगों को राज्यसभा का सदस्य बनाने व ओएनजीसी में नौकरी के नाम पर ठगी व धोखाधड़ी की वारदातों में शामिल रहा है. इससे पहले भी वो कई बार पकड़ा जा चुका है और जेल भी गया है. उसने बताया कि लगभग 2-3 साल पहले उसकी मुलाकात ताज मोहम्मद नामक व्यक्ति से हुई थी. taj मोहम्मद जमीन हड़पने में संलिप्त था. 10-15 दिन पहले ताज मोहम्मद और रवि उसके पास आए और बताया कि उन्होंने तौहीद नामक व्यक्ति के साथ मिलकर दिल्ली के बृजपुरी में एक प्लॉट पर कब्जा करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए हैं. उसे रुपयों का लालच देकर पुलिस को मैनेज करने के लिए कहा गया.
ये मामले पहले से हैं दर्ज
पुलिस के अनुसार नवीन कुमार के खिलाफ 2024 में शिकायतकर्ता नरेंद्र सिंह से राज्यसभा की सदस्यता दिलाने के नाम पर दो करोड़ ठगे, किशनगढ़ थाने में केस दर्ज है.
- 2018 में संदीप नाम व्यक्ति से ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी, अपराध शाखा में केस दर्ज.
- 2016 में द्वारका नार्थ थाणे में ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के बहाने ठगी का मामला दर्ज है.