आप ने सभी 70 उम्मीदवार किए घोषित, सत्ता-विरोधी लहर पर 'सीमित बदलाव' की रणनीति

आप की तरफ से दिल्ली की सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया गया है. इस दौरान 20 सीटों पर बदलाव किये गए हैं. पार्टी ने 4 सीटों पर मौजूदा विधायकों के बच्चों या पत्नी को उम्मीदवार बनाया है.;

Update: 2024-12-15 16:03 GMT

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 70 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने चौथी और आखिरी लिस्ट भी जारी कर दी, जिसमें ज्यादातर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया गया है। हालाँकि पुरानी तीन सूचियों की बात करें तो देखा गया है कि सत्ता-विरोधी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ बदलाव भी किए गए हैं। अंतिम सूची में केवल दो सीटों पर ही बदलाव हुए हैं, जिसमें से एक मौजूदा विधायक की जगह उनकी पत्नी को टिकट दिया गया है।


दो सीटों पर बदलाव: क्या है संदेश?

1. कस्तूरबा नगर: मौजूदा विधायक मदन लाल का टिकट काटा गया है। माना जा रहा है कि कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को ये जानकारी मिली थी कि स्थानीय लेवल पर मौजूदा विधायक के प्रति थोड़ी नाराज़गी थी, जिसे देखते हुए पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

2. उत्तम नगर: विधायक नरेश बालियान की जगह उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके पीछे की सीधी वजह नरेश बालियान का जेल में होना है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बालियान को गैंगस्टर नंदू के साथ आपराधिक षडयंत्र में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है और नरेश बालियान के खिलाफ मकोका के तहत मुकदमा भी दर्ज किया है।
इन बदलावों को सत्ता-विरोधी लहर को साधने का एक सटीक कदम माना जा रहा है। पार्टी ने अपने अधिकांश विधायकों पर भरोसा जताते हुए संकेत दिया है कि वह अपने काम के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है।

आखिरी लिस्ट में मौजूदा विधायकों पर भरोसा: क्या है वजह?
आम आदमी पार्टी ने आखिरी लिस्ट में केवल दो चेहरों को बदला है, जो यह दर्शाता है:

1. स्थिर लोकप्रियता: पार्टी को लगता है कि अधिकांश विधायकों के प्रति जनता का भरोसा बरकरार है।

2. काम का रिकॉर्ड: "आप" सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी के क्षेत्रों में जो काम किए हैं, पार्टी उसे अपना मुख्य चुनावी एजेंडा मान रही है।

3. जनाधार की स्थिरता: पार्टी को लगता है कि मौजूदा विधायकों का स्थानीय जनाधार सुरक्षित है।

बीजेपी के फॉर्मूले का असर?

विश्लेषकों का मानना है कि "आप" ने कहीं न कहीं भाजपा के 'चेहरा बदलो, वोट पाओ' फॉर्मूले को अपनाया है। भाजपा कई राज्यों में सत्ता-विरोधी लहर का सामना करने के लिए मौजूदा विधायकों/सांसदों की जगह नए उम्मीदवार उतारती रही है। "आप" ने भी कुछ पुराने चेहरों को बदलकर यही रणनीति अपनाई है। हालांकि, यह बदलाव बहुत सीमित है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी को अपने जनाधार पर मजबूत विश्वास है।


आम आदमी पार्टी ने 20 विधायकों के टिकट काटे, नए चेहरों को मौका
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने बड़े बदलाव किए हैं। पार्टी ने 20 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि यह फैसला पार्टी नेतृत्व ने जनता के फीडबैक और विधायकों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए किया है।

मुख्य बदलाव:
पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अब पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा से चुनाव लड़ेंगे।
राखी बिड़लान को मंगोलपुरी से हटाकर मादीपुर सीट से उतारा गया है।
तिमारपुर के दिलीप पांडेय, नरेला के शरद चौहान और मुंडका के धर्मपाल लाकड़ा जैसे कई विधायकों को टिकट नहीं दिया गया है।
कुछ सीटों पर हाल ही में पार्टी में शामिल हुए बाहरी नेताओं को टिकट दिया गया है।

कारण और रणनीति:
पार्टी ने यह कदम एंटी-इनकंबेंसी को दूर करने और जनता से बेहतर जुड़ाव स्थापित करने के लिए उठाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बदलाव विकास और ईमानदारी को प्राथमिकता देने के लिए आवश्यक था।

विरोध और प्रतिक्रिया:
टिकट कटने के बाद कुछ विधायकों और कार्यकर्ताओं के बारे में ऐसी जानकारी आई कि टिकट काटने से वो नाराज हैं, ऐसे में तिमारपुर में पार्टी पदाधिकारियों ने सामूहिक इस्तीफा भी दिया लेकिन खुद दिलीप पाण्डेय ने सोशल मीडिया पर नाराज़गी जैसी बात को गलत बताया और कहा कि जो कोई भी कार्यकर्त्ता नाराज़ हैं तो वे उन्हें समझायेंगे लेकिन दिलीप पाण्डेय टिकट कटने से नाराज़ नहीं है ।
आम आदमी पार्टी की नई रणनीति से यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इसे किस तरह स्वीकार करती है। क्या यह बदलाव AAP को 2025 में फिर से सत्ता दिलाएगा, यह चुनावी नतीजों से पता चलेगा।

चौथी लिस्ट में बदलाव न होना क्या दर्शाता है :
एक ओर जहाँ पार्टी ने पहले जारी की 3 सूचियों में कई विधायकों के टिकट काटें तो वहीँ चौथी लिस्ट में सिर्फ एक का । ऐसे में क्या चौथी सूची में जिन भी मौजूदा विधायकों को टिकट दी गयी है क्या उनके प्रति जनता में ज़रा भी नाराज़गी नहीं है या फिर इन सीटों पर पार्टी को कोई और विकल्प नहीं मिला।

चुनाव प्रचार और मुख्य मुद्दे
"आप" केजरीवाल सरकार के 5 साल के प्रदर्शन को लेकर जनता के बीच जाएगी।

1. शिक्षा और स्वास्थ्य: सरकारी स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों की प्रशंसा पार्टी के लिए प्रमुख मुद्दा होगी।

2. बिजली-पानी: मुफ्त बिजली और पानी योजना को पार्टी अपनी बड़ी उपलब्धि बताएगी।

3. महिलाओं को आर्थिक सहायता देने का फैसला भी आगामी चुनाव में आप के लिए अहम कदम साबित हो सकता है।

क्या कहता है विपक्ष?
भाजपा और कांग्रेस ने अपने अपने स्तर पर आप द्वारा जारी की गयी सूची का आंकलन किया है। कांग्रेस ने भी 21 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. लेकिन भाजपा ने अभी तक कोई सूची जारी नहीं की है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि इस बार दिल्ली में उसके सहयोग के बिना सरकार नहीं बनेगी।
वहीँ भाजपा का कहना है कि इस बार दिल्ली की जनता में आप के प्रति नाराज़गी है और भाजपा दिल्ली में भी सरकार बनाएगी।
आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सूची दर्शाती है कि पार्टी अपनी उपलब्धियों और मौजूदा विधायकों पर भरोसा करके चुनाव लड़ने जा रही है। हालांकि, सत्ता-विरोधी लहर से बचने के लिए पार्टी ने कुछ बदलाव किए हैं, लेकिन क्या ये बदलाव उपयोगी साबित होंगे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि "आप" की यह रणनीति चुनावों में कितनी सफल होती है।


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