दिल्ली का वही रामलीला मैदान लेकिन तस्वीर होगी अलग, 20 फरवरी को शपथ ग्रहण

Delhi CM News: दिल्ली का अगला सीएम कौन होगा। अभी बीजेपी ने नाम नहीं तय किया है। लेकिन ताजपोशी की तारीख सामने आ चुकी है। 20 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ होगा।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-02-17 08:33 GMT

Delhi CM swearing-in ceremony:  दिल्ली के चुनाव नतीजे 8 फरवरी को घोषित हुए थे। उस खास दिन पत्रकारों ने दिल्ली बीजेपी प्रभारी जय पांडा से सवाल पूछा कि दिल्ली का सीएम कौन होगा और शपथ ग्रहण की तारीख क्या होगी। करीब 10 दिन बीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने सवाल दागा। सीएम आतिशी ने पूछा कि 10 दिन बीत गए। लेकिन सेहरा किसके सिर बंधने वाला है पता नहीं। हालांकि अब वो तारीख सामने आ चुकी है जिसका बेसब्री से हर किसी को इंतजार था। दिल्ली के अगले सीएम को रामलीला मैदान में शाम साढ़े चार बजे शपथ दिलाई जाएगी। यहां पर हम आपको बताएंगे कि रामलीला मैदान का ही चयन क्यों किया गया।

ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है रामलीला मैदान
दिल्ला का रामलीला मैदान ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है। वैसे तो इस मैदान को रामलीला मंचन के लिए बनाया गया था। लेकिन बदलते समय के साथ यह सियासी दलों के शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बन गया। यह जगह इस वजह से भी खास है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाई थी। अन्ना हजारे उस आंदोलन के बड़े चेहरे के तौर पर उभरे। लोगों में इस जगह ने उम्मीद जगाई कि अब कुछ बड़ा बदलाव होने वाला है। जन आंदोलन के जरिए दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी उदय हुआ। उस आम आदमी पार्टी ने 2013 में 15 साल की उस सत्ता को उखाड़ फेंका जिसे अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार का दूसरा पर्याय मानते थे। यह बात अलग है कि 49 दिन की सरकार के जब वो मुखिया बने तो कांग्रेस की मदद लेने में गुरेज नहीं की।

केजरीवाल ने तीन बार ली शपथ

दिल्ली की राजनीति में रामलीला मैदान बदलाव का केंद्र बन गया। 2015 और 2020 में जब आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई तो शपथ ग्रहण के लिए इसी मैदान का चयन किया। लेकिन 2025 में तस्वीर बदल गई है। आप की झाड़ू सत्ता की सड़क से फिसली और बीजेपी अपने कमल के फूल को खिलाने में कामयाब हुई। 27 साल के हार के सूखे को जीत में बदला। कहने का अर्थ यह कि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने एक स्थापित दल को सत्ता से बाहर किया ठीक वैसे ही 27 साल बाद बीजेपी ने केजरीवाल की पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। सियासी जानकारों के मुताबिक राजनीति में सियासी भाव का अपना अलग महत्व होता है। जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान को बदलाव का वाहत बताया यूं कहें कि बदलाव की तस्वीर के तौर पर पेश किया। ठीक वैसे ही बीजेपी भी रामलीला मैदान को बदलाव के वाहक के तौर पर पेश कर रही है। 

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