दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: कांग्रेस बनाम आप, क्या सच में कांग्रेस का ‘हाथ बदलेगा हालात’?
जिस तरह से कांग्रेस ने कई बड़े उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार का चुनाव अपनी खोई हुई जमीं वापस पाने के लिए लड़ रही है और उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी आप है।;
By : Abhishek Rawat
Update: 2025-01-04 11:24 GMT
Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, और सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। जहां आम आदमी पार्टी (AAP) सत्ता बचाने की कोशिश में जुटी है, वहीं कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए आक्रामक अंदाज में मैदान में उतरी है। बीजेपी, जो पिछले चुनावों में विपक्षी भूमिका में रही, इस बार भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की तैयारी में है। लेकिन चर्चा का केंद्र कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच की प्रतिद्वंद्विता बनती दिख रही है।
2024 के लोकसभा चुनावों में साथ खड़े रहने के बाद दोनों पार्टियों के बीच ( ख़ास तौर से हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद ) जो तल्खी बढ़ी है, वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में साफ नजर आ रही है। कांग्रेस की ‘हाथ बदलेगा हालात’ की रणनीति और उम्मीदवारों के चयन से यह साफ है कि पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
कांग्रेस का बदला हुआ रुख: आक्रामक रणनीति की ओर
अगर हम दिल्ली विधानसभा की बात करें तो कांग्रेस का इतिहास गौरवशाली रहा है। 1998 से 2013 तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही। लेकिन आम आदमी पार्टी के उदय और बीजेपी की मजबूती के बीच पार्टी ने अपनी पकड़ खो दी। अब, लगभग एक दशक बाद, कांग्रेस नेतृत्व ने बदले हुए रुख के साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया है।
48 उम्मीदवारों के नाम का हो चुका है एलान
कांग्रेस ने अब तक 48 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। इनमें कई बड़े नाम और अनुभवी नेता शामिल हैं। पार्टी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों को चुनौती देने के लिए तैयार है।
कौन कौन प्रमुख उम्मीदवार उतारे गए हैं मैदान में
कालकाजी से अलका लांबा बनाम आतिशी:
कांग्रेस ने कालकाजी सीट से अलका लांबा को टिकट दिया है, जहां से मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ रही हैं। लांबा के अनुभव और आतिशी की लोकप्रियता के कारण यह सीट दिल्ली के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक बन गई है।
केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित:
नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित को उतारकर कांग्रेस ने यह दिखाया है कि वह सीधी लड़ाई के लिए तैयार है। संदीप, जो पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं, पार्टी के लिए एक मजबूत चेहरा हैं। इसके साथ ही संदीप दीक्षित जिस तरह से प्रचार प्रसार में जुट गए हैं और जिस तरह से हमलावर होकर आप और बीजेपी के खिलाफ बात रख रहे हैं, वो स्पष्ट करता है कि कांग्रेस किस इरादे से मैदान में उतरी है।
बादली से देवेंद्र यादव : कांग्रेस ने बादली सीट से प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। देवेंद्र यादव इस सीट से पहले भी दो बार विधायक रह चुके हैं। वो छात्र राजनीती में भी रहे हैं और बादली के ही मूल निवासी हैं। देवेंद्र यादव की दावेदारी ये दर्शाती है कि कांग्रेस पूरी तरह से अपनी वापसी चाहती है, तभी प्रदेश अध्यक्ष को भी मैदान में उतारा है।
चांदनी चौक से मुदित अग्रवाल : चांदनी चौक सीट भी कांग्रेस की सीट रही है लेकिन 2013 के बाद से ये सीट कांग्रेस से छीन गयी है। आम आदमी पार्टी ने इस सीट से पुनर्दीप सिंह साहनी (सैबी) को उम्मीदवार बनाया है। सैबी के पिता प्रह्लाद सिंह साहनी अभी इसी सीट से विधायक हैं। साहनी 2015 और 2020 दोनों चुनाव में आप से इसी सीट से विधायक हैं। उससे पहले वो कांग्रेस के विधायक रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने इस सीट से यहीं के मूल निवासी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। मुदित अग्रवाल कांग्रेस में दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष भी हैं।
अन्य प्रमुख उम्मीदवार:
मनीष सिसोदिया की जंगपुरा सीट पर कांग्रेस ने फरहाद सूरी को उतारा है, जो दिल्ली के पूर्व महापौर रहे हैं। फरहाद सूरी की माँ ताजदार बाबर कांग्रेस की दिग्गज नेता रही हैं, जो मिंटो रोड सीट से दो बार विधायक भी रही हैं। यही वजह है कि इस सीट पर भी कांग्रेस की तरफ से एक ठोस उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है। इसके अलावा, पार्टी ने अपने पुराने नेताओं और नए चेहरों का संयोजन करते हुए रणनीतिक रूप से उम्मीदवारों का चयन किया है।
AAP पर कांग्रेस का सीधा हमला
कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए अपने चुनाव प्रचार का केंद्र बनाया है। पार्टी का मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को बड़े वादे करके धोखा दिया।
कथित शराब घोटाला :
आम आदमी पार्टी की शराब नीति में कथित घोटालों को लेकर कांग्रेस ने सीधे केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि यह मुद्दा दिल्ली की जनता के साथ अन्याय का उदाहरण है और इसे चुनावी मंच पर जोर-शोर से उठाया जाएगा।
केजरीवाल पर सीधे हमले:
कांग्रेस नेताओं ने केजरीवाल की कार्यशैली और वादाखिलाफी को लेकर कड़े शब्दों में आलोचना की है। संदीप दीक्षित ने उन्हें ‘आदतन झूठा’ करार देते हुए कहा कि केजरीवाल ने जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ किया है। सिर्फ इतना ही नहीं संदीप दीक्षित ने यहाँ तक कहा है कि आप और बीजेपी दोनों मिल कर दिल्ली का चुनाव लड़ती रही हैं, तभी आप पिछले चुनाव तक ये कहती रही हैं कि केंद्र में मोदी और दिल्ली में केजरीवाल।
त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ता दिल्ली चुनाव
दिल्ली का चुनावी परिदृश्य इस बार त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। हालांकि, पिछले चुनावों में बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी रही थी, लेकिन कांग्रेस की वापसी की कोशिशों से समीकरण बदल सकते हैं।
AAP के सामने चुनौतियां:
आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। पार्टी को न केवल अपनी सरकार बचानी है, बल्कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों से मुकाबला करना है।
कांग्रेस की वापसी की कोशिश:
कांग्रेस की तरफ से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि इस चुनाव में किसी भी स्थिति में अपनी खोई हुई जमीं को जितना हो सके उतना वापिस पाना है। ये विधानसभा चुनाव इस बार उसकी राजनीतिक पुनर्स्थापना के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। पार्टी ने अपने प्रचार अभियान को धारदार बनाने और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का प्रयास किया है।
क्या ‘हाथ बदलेगा हालात’?
कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में अपनी रणनीति को ‘हाथ बदलेगा हालात’ नारे से मजबूत किया है। पार्टी का कहना है कि वह जनता के विश्वास को दोबारा जीतने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि, अब भाजपा ने भी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में भाजपा ने अपने कई बड़े नेताओं को मैदान में उतारा है, जिसने ये स्पष्ट कर दिया है कि इस बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय होने जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की आक्रामक रणनीति और उम्मीदवारों का चयन उसे कितनी सफलता दिलाता है। वहीं, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांग्रेस कितनी जगह बना पाती है, यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
दिल्ली के सियासी रण की अग्निपरीक्षा
दिल्ली का चुनाव इस बार न केवल राज्य की राजनीति को बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेगा। आम आदमी पार्टी के लिए यह सत्ता बचाने का चुनाव है, बीजेपी के लिए इसे हासिल करने का, और कांग्रेस के लिए अपनी खोई जमीन वापस पाने का।