जमकर लड़ी कांग्रेस तो AAP-BJP में किसका अधिक नुकसान, 3 प्वाइंट्स में समझें
Delhi Election 2025 में अगर कांग्रेस पूरे दमखम के साथ लड़ती है तो किसका खेल खराब होगा। आम आदमी पार्टी को अधिक नुकसान होगा या बीजेपी को समझने की कोशिश करेंगे।;
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की लड़ाई 2015 और 2020 से अलग नजर आ रही है। दलबदलुओं को टिकट देने से परहेज करने वाली आप को इस दफा टिकट देने में संकोच नहीं हुआ। दलबदलू विचारधारा को अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) ने भी आत्मसात कर लिया क्यों कि लड़ाई आसान नहीं है। अब लड़ाई आसान नहीं कि बात हम नहीं कर रहे बल्कि सियासत की समझ रखने वाले महिला सम्मान योजना, संजीवनी स्कीम, साफ पानी का वादा, अंबेडकर स्कॉलरशिप स्कीम, ऑटो ड्राइवर में देख रहे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस ने 47 नामों का ऐलान कर दिया है। उस लिस्ट में देवेंद्र सहरावत (बिजवासन से टिकट), आदर्श शास्त्री (द्वारका से टिकट), अब्दुल रहमान (सीलमपुर से टिकट) ऐसे नाम हैं जो कांग्रेस का दामन थामने से पहले आप का हिस्सा थे।
पहले एंटी इंकम्बेंसी की गणित समझिए। अगर आप ध्यान से देखें तो एंटी इंकम्बेंसी (Anti Incumbency) भारत के चुनाव की खासियत रही है। लेकिन अब प्रो इंकम्बेंसी (Pro Incumbency) शब्द का इस्तेमाल बढ़ गया है। पहले किसी भी पार्टी के लिए पांच साल, दस साल सत्ता में रहने का मतलब हार होता था। दिल्ली को खुद उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं। लेकिन अब तस्वीर बदली नजर आती है। जैसे लोकसभा के चुनाव में बीजेपी (BJP) को नुकसान ना होना। आप को पिछले 10 साल में किसी तरह का नुकसान ना हो। ऐसा लगता है कि राजनीतिक दलों ने तोड़ निकाल लिया है। मसलन मौजूदा उम्मीदवारों के टिकट को काट देना, लोकलुभावन योजनाओं का ऐलान कर देना। क्या ऐसी सूरत में अरविंद केजरीवाल को फायदा मिल सकता है। इस सवाल के जवाब में सियासी पंडित कहते हैं कि अगर सत्ता विरोधी मतों का बंटवारा हुआ तो आप को राहत है। लेकिन एक पेंच यह है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के ही मतों में सेंधमारी कर सत्ता पर विराजमान हुई। अब यदि कांग्रेस (Congress) अपने वोट बैंक को हासिल करने में कामयाब होती है तो आप की राह आसान नहीं रहने वाली है।
आम आदमी पार्टी साल 2013 में सियासी पिच पर उतरी और 30 फीसद वोट शेयर (Aam Aadmi Party Vote Share) पाने में कामयाब रही। 70 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। कांग्रेस को 25 फीसद वोट शेयर और 8 सीटें मिलीं। लेकिन 2015 में तस्वीर पूरी तरह बदली। आप को 54.6 फीसद वोट, 67 सीट जबकि कांग्रेस को महज 9.7 फीसद मत मिले। अगर 2020 के नतीजों को देखें तो आप का वोट शेयर 53 फीसद और कांग्रेस के वोट शेयर में पांच फीसद की और कमी आ गई। अगर बीजेपी (BJP Vote Share) के वोट शेयर तो देखें तो 2013 में 33.1, 2015 में 32.8 और 2020 में 38.5 फीसद था। यानी कि आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में इजाफा कांग्रेस की कीमत पर हुई। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर कांग्रेस अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने में कामयाब रही तो तस्वीर बदल सकती है।
अब यदि आप 2013, 2015, 2020 के वोट शेयर को देखें तो बीजेपी अपने वोट शेयर को बचाए रखने में कामयाब रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर मामला त्रिकोणीय हुआ (Delhi Assembly Traingular Fight) और कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ी तो बीजेपी को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही ऐसी सीटें जहां मुकाबला बेहद करीबी हो वहां कांग्रेस को मिले वोट बीजेपी और आप दोनों की किस्मत का फैसला करने में निर्णायक होंगे। इसे आप 2020 में लक्ष्मी नगर विधानसभा के नतीजों से समझ सकते हैं। इस सीट पर जीत और हार का फैसला 1200 मतों के कम अंतर से हुआ था।