नरेला के मिजाज को पढ़ना मुश्किल, कभी कांग्रेस कभी BJP अब AAP पसंद
Narela Constituency News: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दलों ने कमर कस ली है। यहां हम आपको नरेला विधानसभा के बारे में बताएंगे।;
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा के लिए चुनावी तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सियासी पारा चढ़ रहा है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि एक बार फिर दिल्ली की जनता से मन बना लिया है गद्दी अरविंद केजरीवाल के हाथ में देनी है। लेकिन बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) का मानना है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। जनता का मन और मिजाज आम आदमी पार्टी को हराने का बन चुका है इंतजार सिर्फ चुनावी तारीख और नतीजों का रहेगा। इन सबके बीच हम आप को नरेला विधानसभा (Narela Constituency) के बारे में बताएंगे। इस विधानसभा में कौन से मुद्दे हावी हैं। क्या सियासी समीकरण है और क्यों आप, बीजेपी, कांग्रेस तीनों को भरोसा है कि जीत का सेहरा उनके सिर बंधने वाला है।
नरेला विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या 268573 (Narela Constituency Voters) है जिनमें पुरुष 146771 और महिला 121795। यानी कि पुरुष और महिला वोटर्स के बीच फर्क बहुत अधिक नहीं है। भौगोलिक तौर पर देखें तो यह दिल्ली के उत्तरी छोर हरियाणा के साथ सीमा साझा करता है। 2020 के चुनावी नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में थे। आप के शरद चौहान (2020 Sharad Chauhan Winner) को करीब 52 फीसद, बीजेपी के नीलदमन खत्री को करीब 41 फीसद और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुंडु को करीब साढ़े तीन फीसद मत मिले थे। 2015 में भी आप के शरद चौहान को जीत मिली थी. हालांकि 2013 में इस सीट पर बीजेपी के नीलदमन खत्री ने जीत दर्ज की थी।
नरेला, विधानसभा उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र (Narela Part of Northwest Loksabha)का हिस्साा है। अगर बड़े चुनाव की बात करें यानी लोकसभा में बीजेपी (BJP) और विधानसभा में आप (Aam Aadmi Party)का कब्जा है। 1993 से इस सीट पर अब तक सात दफा चुनाव हुए हैं। तीन बार कांग्रेस, 2 बार बीजेपी और 2 बार आप ने बाजी मारी है। यानी कि पारंपरिक तौर पर कांग्रेस का गढ़ रहा है जिसे बीजेपी और आप ने छीन लिया। इस इलाके के बारे में कहा जाता है कि आप वोटर्स के मिजाज को आसानी से पढ़ नहीं सकते।
वोटिंग से कुछ दिन पहले ही तस्वीर थोड़ी साफ होती है। मतदान के दिन करीब करीब अहसास होने लगता है कि हवा किस तरफ बह रही है। 1993 के चुनाव में यहां पहली जीत बीजेपी ने दर्ज की थी। उसके बाद कांग्रेस को मौका मिला। शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस (Congress) ने जीत के सिलसिले को बरकरार रथा। लेकिन 2013 के बाद तस्वीर बदली। 2013 में बीजेपी और उसके बाद इस सीट पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का कब्जा है। अगर 2020 के चुनावी नतीजे को देखें तो आप और बीजेपी के बीच जीत और हार के अंतर का फासला 25 फीसद से घटककर 11 फीसद रह गया है।