बदरपुर: यहां जनता राजनीतिक दलों को नहीं, चेहरा देखकर देती है वोट
delhi assembly election: विधानसभा सीट बदरपुर साल 1993 में अस्तित्व में आई थी. यहां की जनता राजनीतिक दलों की अपेक्षा चेहरों को महत्व देती है;
Badarpur assembly constituency: दिल्ली विधानसभा तारीखों को लेकर आज चुनाव आयोग ऐलान करने वाला है. ऐसे में ये तस्वीर साफ हो जाएगी कि मतदान से लेकर मतगणना की तारीख क्या होगी? हालांकि, सभी राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव की आहट से ही तैयारियां शुरू कर ही है और प्रचार अभियान में जुट गई हैं. यहां तक कि पार्टियों ने अपने कई उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी है. घोषित हो चुके प्रत्याशियों ने अब अपने-अपने इलाकों में जाकर प्रचार अभियान में तेजी ला दी है. ऐसे में द फेडरल आपको राजधानी के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से रूबरू करा रहा है. इसी कड़ी में आज बदरपुर विधानसभा सीट (Kondli) को जानने की कोशिश करते हैं.
दक्षिण पूर्वी जिले की विधानसभा सीट बदरपुर साल 1993 में अस्तित्व में आई थी. यहां की जनता चुनाव में राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों की अपेक्षा चेहरों को अधिक महत्व देती है. यही वजह है कि यह बस 2-3 चेहरे ही विधानसभा की शुरुआत से ही चुनाव जीतते नजर आते हैं. यहां साल 1993 के पहले विधानसभा चुनाव में जनता दल के रामवीर सिंह बिधूड़ी विधायक चुने गए थे. इसके बाद 1998 में कांग्रेस के राम सिंह नेताजी ने जीत का परचम लहराया. वहीं, आप आदमी पार्टी (आप) यहां से महज एक बार साल 2015 में ही जीत हासिल कर पाई है.
साल 1993 में जनता दल के रामवीर सिंह बिधूड़ी ने जीत हासिल की. इसके बाद 1998 कांग्रेस की टिकट पर राम सिंह नेताजी चुनाव जीते. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में रामवीर सिंह बिधूड़ी एनसीपी के उम्मीदवार बने और जीत हासिल की. इसके बाद राम सिंह नेताजी ने बीएसपी के टिकट पर जीत दर्ज की. साल 2013 रामवीर सिंह बिधूड़ी भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद आप के नारायण दत्त शर्मा ने साल 2015 में जीत हासिल की. वहीं, फिर से 2020 के चुनाव में रामवीर सिंह बिधूड़ी भाजपा के विधायक बने.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता- 3,38,425
पुरुष- 1,91,634
महिला- 1,46,740
ट्रांसजेंडर- 51
स्थानीय मुद्दे
बदरपुर के इलाके में सड़कों की हालत खस्ता है. सड़के काफी संकरी है, जिस वजह से सड़कों पर अक्सर जाम लग जाता है. इलाके में जल निकासी की समस्या अभी भी कायम है. असामाजिक तत्वों की भरमार है. खुलेआम झपटमारी होना होना आम बात है.