केजरीवाल का 'जाट कार्ड' क्या करेगा काम, ओबीसी स्टेटस देने की मांग
Delhi Assembly Election 2025 से ठीक पहले आम आदमी पार्टी ने जाट कार्ड खेला है। अरविंद केजरीवाल ने ओबीसी स्टेटस देने की मांग की है।;
Delhi Assembly Election 2025: आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण पर बड़ा दांव चला है। प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक आधार देखते हुए जाट समाज को ओबीसी का दर्जा मिलना चाहिए। केंद्र सरकार के कॉलेज, यूनिवर्सिटी या किसी भी संस्था में दिल्ली के जाट समाज (Jat Community Reservation) को आरक्षण नहीं मिलता है। कितनी विडंबना है कि दिल्ली के अंदर राजस्थान के जाट को आरक्षण मिलता है लेकिन दिल्ली वाला हकदार नहीं। यही नहीं पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी दिल्ली के जाट सिर्फ चुनाव के समय याद आते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा
- दिल्ली के जाटों को सिर्फ धोखा मिला
- 10 साल से आरक्षण के नाम पर धोखा
- ओबीसी स्टेटस देना जरूरी
- राजस्थान के जाट को दिल्ली में आरक्षण
- दिल्ली के जाटों को क्यों नहीं
- दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में पांच जातियां
- केंद्र सरकार की लिस्ट में इन जातियों को नहीं शामिल किया गया।
'आखिर वादाखिलाफी क्यों'
केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी के दोहरे रवैये को आप ऐसे समझ सकते हैं। 10 साल पहले साल 2015 में जाट समाज के नेताओं को बीजेपी वालों ने घर पर बुलाया। वादा किया कि ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा। चार साल बाद साल 2019 में फिर वादा किया गया। जाट समाज से जुड़े नेता गृहमंत्री के घर गए फिर भरोसा दिया गया। लेकिन नतीजा सिफर रहा।
जाट आरक्षण के दांव के पीछे वजह
अब अरविंद केजरीवाल ने जाट कार्ड क्यों खेला है उसे आप इस आंकड़े से समझ से सकते हैं। दिल्ली में करीब 7.50 फीसद जाट वोटर हैं। अगर 1.5 करोड़ मतदाताओं के हिसाब से देखें तो यह संख्या करीब साढ़े आठ लाख के करीब है। जाट समाज की सबसे बड़ी आबादी पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में हैं जो कम से कम 10 विधानसभाओं के नतीजों को प्रभावित करते हैं। हाल ही में आप के बड़े चेहरे रहे कैलाश गहलोत बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं उसका असर यह हुआ कि आप की पकड़ जाट समाज में कमजोर हुई है। इस वजह से केजरीवाल ने जाट आरक्षण का कार्ड खेला है।
दिल्ली की सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि जनता अब डिलिवरी में यकीन करती है। चुनाव के ऐन मौके पर इस तरह की मांग को पब्लिक अच्छी तरह से समझती है। अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो दस साल से ये खुद सत्ता में रहे हैं ऐसे में सवाल इनसे भी होंगे कि आप लोगों ने क्या किया था। अगर इस चुनाव को ध्यान से देखें तो आम आदमी पार्टी की तरफ से हर दिन कुछ ना कुछ ऐलान किए जा रहे हैं। इससे पचा चलता है कि उन्हें सत्ता विरोधी लहर का अहसास है। ऐसे में इस तरह के मामले सामने आते रहेंगे ताकि विरोधी दलों पर भी दबाव बन सके।