दिल्ली की झुग्गियों पर सियासी दलों की नजर, आखिर क्या है वजह
Delhi Election 2025L दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले मतदाता अहम हैं। लेकिन उनका कहना है कि अच्छा होता कि सियासी दल उन्हें सिर्फ वोट ना समझते।;
Delhi Assembly Election 2025: पांच फरवरी की चुनावी परीक्षा की तैयारी में तीनों दलों यानी आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली। 2025 का दिल्ली चुनाव तीनों दलों के लिए अलग अलग वजहों से अहम है। अगर आप (Aam Aadmi Party) को जीत मिलती है तो तीसरी दफा दिल्ली की गद्दी पर कब्जा। अगर जीत बीजेपी की झोली में तो डबल इंजन की सरकार। अगर कांग्रेस (Congress) को जीत मिलती है तो दस साल बाद खाता खुलेगा। अब इस कवायद में सियासी चेहरे वोटर्स के पास जा रहे हैं उन्हें अपने काम गिना रहे हैं, वादे कर रहे हैं कि मुस्तकबिल सुधार देंगे बस एक और मौका दो।
झुग्गी झोपड़ी भी अहम
दिल्ली की लड़ाई में पूर्वांचली, जाट, गुर्जर, पंजाबी, अनुसूचित जाति समाज के साथ साथ राजनीतिक दलों का झुग्गियों पर जोर है। झुग्गियों पर जोर इस वजह से क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि जीत की लंबी लकीर इनकी मदद से ही खींची जा सकती है। लेकिन झुग्गीवाले इतने अहम क्यों हैं. इनकी अपनी समस्या क्या है। उसे भी समझने की कोशिश करेंगे।
दिल्ली में कुल 675 झुग्गियां
दिल्ली में कुल 675 झुग्गी बस्तियां हैं, इनमें करीब 10 फीसद मतदाता रहते हैं। दिल्ली में कुल वोटर्स की संख्या 1 करोड़ 55 लाख है। यानि कि 15 लाख के करीब वोटर्स झुग्गियों में रहते हैं। अगर 10 हजार से अधिक मतदाता वाले झुग्गियों की बात करें तो आंकड़े कुछ इस तरह के हैं।
10 हजार से अधिक वोट वाली झुग्गियां
- आर के पुरम में 24 झुग्गियां मतदाता की संख्या 10894
- कालकाजी में 17 झुग्गियां वोटर्स की संख्या 10587
- बादली में 13 झुग्गियां वोटर्स 10387
- मॉडल टाउन में 13 झुग्गियां वोटर्स 11966
- मोती नगर में 34 झुग्गियां वोटर्स 25021
- तुगलकाबाद में 83 झुग्गियां 23,495 वोटर्स
पांच हजार से अधिक वोट वाली झुग्गियां
- बिजवासन में सात झुग्गियां 6 574 वोट
- दिल्ली कैंट में 11 झुग्गियां 7 हजार से अधिक वोट
- महरौली में 9 झुग्गियां 8 हजार से अधिक मत
- जंगपुरा में 20 झुग्गियां 9 हजार से अधिक मत
- देवली में 6 झुग्गियां 9 हजार से अधिक मत
- शाहदरा में 16 झुग्गियां 8 हजार से अधिक वोट
- सीमापुरी में 17 झुग्गियां 7 हजार से अधिक मत
इस दाग से मुक्ति चाहिए
हालांकि इन झुग्गियों में रहने वालों का कहना है कि वो इस दाग से मुक्ति चाहते हैं। झुग्गी वालों का कहना है हकीकत यह है कि सियासी दल उन्हें सिर्फ वोट की तरह देखते हैं। रैलियों में झंडा डंडा उठाने वाले। वो लोग चाहते हैं कि समाज उन्हें सम्मान के नजरिए से देखे। रेवड़ी से अधिक उन्हें सशक्त बनाने पर काम होना चाहिए। जहां तक बात वादों की है तो चुनावी बेला पर बड़ी बड़ी बात कही जाती है। लेकिन वोट खत्म होते ही राजनीतिक दल बिसार देते हैं।