दिल्ली चुनाव: मुस्तफाबाद सीट पर दिलचस्प मुकाबला, AAP के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति

मुस्तफाबाद सीट ऐसी सीट है जहाँ लगभग हर चुनाव में जनता ने अलग अलग पार्टी को मौका दिया है लेकिन पिछले 10 सालों से आप को ही सीट पर जीत मिली है। इस बार किसे जीत मिलेगी ये देखने वाली बात होगी।;

Update: 2025-01-04 18:10 GMT

Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली की राजनीति में मुस्तफाबाद विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा का केंद्र रही है। यह सीट न केवल मुस्लिम बहुल है, बल्कि यहां के चुनावी नतीजे हमेशा अप्रत्याशित रहे हैं। पिछले तीन चुनावों में तीन अलग-अलग दलों ने यहां जीत दर्ज की है, जिससे आगामी चुनाव में फिर से कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है और इस बार समीकरण भी काफी अलग बनते नज़र आ रहे हैं।


पिछले चुनावों का इतिहास
मुस्तफाबाद सीट की बात करें तो 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर पहला चुनाव कांग्रेस ने जीता था। कांग्रेस उम्मीदवार हसन अहमद ने बीजेपी के योगेंद्र कुमार शर्मा को महज 979 वोटों के अंतर से हराकर कांग्रेस का खाता खोला था। इसके बाद 2013 में कांग्रेस ने फिर से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) के मैदान में आने के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। इस बार भी हसन अहमद ने जीत हासिल की और बीजेपी के जगदीश प्रधान को 1,896 वोटों के अंतर से हराया।

2015 में बीजेपी ने दर्ज की जीत
वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव हुए और आप की आंधी आई। दिल्ली में आप ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की। लेकिन मुस्तफाबाद सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। बीजेपी के जगदीश प्रधान ने जीत दर्ज की। बीजेपी के जगदीश प्रधान ने इस सीट पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के हसन अहमद को 6,031 वोटों के अंतर से हराया था।

2020 में आप ने दर्ज की जीत
अब बात करते हैं 2020 के विधानसभा चुनाव की। इस चुनाव में मुस्तफाबाद की जनता ने फिर से अपना इरादा बदला। इस बार आम आदमी पार्टी के हाजी युनूस ने शानदार जीत दर्ज करते हुए 53.20% वोट हासिल किए और बीजेपी के जगदीश प्रधान को 20,704 मतों के बड़े अंतर से हराया।

2025 में क्या बन रहे हैं समीकरण?
अब 2025 का विधानसभा चुनाव आ चुका है। अब मुस्तफाबाद सीट के समीकरण बदल चुके हैं और इस बार एक और नयी पार्टी ने यहाँ पर जोरदार दस्तक दी है। ये पार्टी है असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM, जिसने यहाँ से ताहिर हुसैन को अपना प्रत्याशी बनाया है। ताहिर हुसैन आप से पार्षद चुने गए थे लेकिन 2020 में हुए दंगों में तारिक हुसैन के शामिल होने की बात सामने आई और इस मामले में ताहिर हुसैन को गिरफ्तार कर लिया गया। ताहिर हुसैन को लेकर राजीनीति भी काफी हुई और कहीं न कहीं आप ने खुद को इससे अलग कर लिया।
आज की बात करें तो ताहिर हुसैन के प्रति यहाँ के मुस्लिम वर्ग में काफी सहानुभूति है। दूसरी तरफ AAP ने इस बार हाजी युनूस की जगह आदिल अहमद खान को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अली मेहदी पर फिर से भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार के नाम का एलान होना बाकी है।

क्या है जातिय और धार्मिक समीकरण
मुस्तफाबाद सीट की बात करें तो यहाँ पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 40% से अधिक है, जो किसी भी दल के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के कारण AAP को इस बार सत्ता विरोधी लहर से नुकसान हो सकता है। इससे भी ज्यादा नुकसान ताहिर हुसैन के मैदान में खड़े होने से यहाँ का मुस्लिम वोटर फिलहाल एक राय नहीं बना पा रहा है। कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही दल इसे भुनाने की कोशिश में हैं। देखना होगा कि आखिर जनता के सर जीत का सहरा बांधती है।


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