SP-TMC का दिल्ली में खेला! AAP को किया सपोर्ट, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस पड़ी अलग-थलग

Delhi election: दिल्ली में कांग्रेस अकेले ही राजनीतिक लड़ाई के लिए तैयार है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में आप को इंडिया ब्लॉक के दो सहयोगी समर्थन दे रहे हैं.;

Update: 2025-01-08 18:15 GMT

Delhi Assembly election: हरियाणा- महाराष्ट्र में कांग्रेस (Congress) को मिली हार के बाद से ही इंडिया गठबंधन (india block) में दरारें पड़नी शुरू हो गई थीं. लोकसभा में बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी कांग्रेस (Congress) गठबंधन का नेतृत्व करते हुए दिखाई दे रही थी. हालांकि, विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन ने कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व पर सवाल खड़े करने शूरू कर दिए थे. ममता बनर्जी के सबसे पहले बगावती सूर उठे और इसका समर्थन कई क्षेत्रीय दलों ने भी किया. फिलहाल अभी दिल्ली विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. कभी लोकसभा सीट में बीजेपी के खिलाफ सहयोगी रहीं आप और कांग्रेस (Congress) दिल्ली चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं. ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजिमी था कि इंडिया गठबंधन (india block) के बाकी दल आप और कांग्रेस (Congress) में से किसका सपोर्ट करेंगे. हालांकि, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) और ममता बनर्जी की टीएमसी ने इन सवालों पर उस समय विराम लगा दिया, जब उन्होंने कांग्रेस (Congress) की बजाय आप को सपोर्ट करने का संकेत दिया.

दिल्ली में कांग्रेस (Congress) अकेले ही राजनीतिक लड़ाई के लिए तैयार है. क्योंकि विुधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को इंडिया ब्लॉक के दो सहयोगी समर्थन दे रहे हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस (Congress) और आप दिल्ली में सहयोगी थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में वे प्रतिद्वंद्वी के रूप में लड़ेंगे.

केजरीवाल ने बुधवार को घोषणा की कि ममता बनर्जी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप का समर्थन करने की घोषणा की है. आप प्रमुख ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि टीएमसी ने दिल्ली चुनावों में आप को समर्थन देने की घोषणा की है. मैं व्यक्तिगत रूप से ममता दीदी का आभारी हूं. धन्यवाद दीदी. आपने हमेशा हमारे अच्छे और बुरे समय में हमारा समर्थन और आशीर्वाद दिया है. केजरीवाल की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम आपके साथ हैं @आम आदमी पार्टी". वहीं, कल टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा था कि दिल्ली की जनता विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराएगी. घोष ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि आप सरकार फिर से वहां आएगी और भाजपा हारेगी.

ममता का समर्थन केजरीवाल के लिए बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा. क्योंकि 5 फरवरी को होने वाले चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा से है. तृणमूल प्रमुख दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का समर्थन करने वाली दूसरी क्षेत्रीय नेता हैं. इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की थी. अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आप के "महिला अदालत" अभियान में अखिलेश ने कहा था कि जिस तरह से आप सरकार ने काम किया है, हमें लगता है कि उन्हें यहां काम करने का एक और मौका मिलना चाहिए.

अखिलेश यादव की दो लाइन की अपील इस बात का साफ संकेत थी कि सपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) का नहीं, बल्कि आप का समर्थन कर रही है. कांग्रेस के लिए यह राजनीतिक अलगाव कोई नई बात नहीं है. हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी हार से कमजोर हुई पार्टी को इंडिया ब्लॉक के भीतर क्षेत्रीय सहयोगियों से कड़ी चुनौती मिल रही है. ममता और अखिलेश का यह रुख आश्चर्यजनक नहीं है. क्योंकि हाल के दिनों में कई इंडिया ब्लॉक सहयोगियों ने विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस के साथ खुलकर मतभेद जाहिर किए हैं.

ममता बनर्जी कांग्रेस की सबसे मुखर आलोचक रही हैं और उन्होंने इस पुरानी पार्टी के तहत इंडिया ब्लॉक (india block) के कामकाज पर खुले तौर पर सवाल उठाए हैं. ममता ने गठबंधन की कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत भी दिया और उन्हें शरद पवार और लालू प्रसाद सहित कई नेताओं का समर्थन भी मिला. ममता ने कहा कि अगर वे शो नहीं चला सकते तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं मोर्चे का नेतृत्व नहीं करती. जो लोग वहां नेतृत्व की स्थिति में हैं, उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए. लेकिन फिर भी, मैं क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के साथ अपने संबंध बनाए रख रही हूं. अगर मुझे जिम्मेदारी दी जाती है. हालांकि मैं ऐसा नहीं चाहती तो मैं इसे पश्चिम बंगाल से चला सकती हूं.

कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन (india block) में उत्तर प्रदेश में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अखिलेश यादव ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ प्रमुख मुद्दों पर अलग रास्ता अपनाया. समाजवादी पार्टी ने अडानी "रिश्वत" मुद्दे पर कांग्रेस (Congress) के हमले में शामिल होने से इनकार कर दिया. क्योंकि अखिलेश ने कहा कि संभल में हिंसा की घटनाएं कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं और इस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. कांग्रेस, जिसका दिल्ली से पूरी तरह सफाया हो चुका है, को अपनी खोई हुई राजनीतिक जगह को फिर से हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई और उसका वोट शेयर चिंताजनक रूप से कम हो गया. कांग्रेस, जिसने कई सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, मतदाताओं को लुभाने के हालिया चलन के अनुरूप दिल्ली के लोगों को कई कल्याणकारी योजनाओं का वादा कर रही है.

बुधवार को पार्टी ने दिल्ली में सत्ता में आने पर 25 लाख रुपये तक के मुफ्त स्वास्थ्य बीमा के लिए "जीवन रक्षा योजना" शुरू करने का वादा किया. वरिष्ठ कांग्रेस (Congress) नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दावा है कि प्रस्तावित योजना पार्टी के लिए गेम-चेंजर होगी. पार्टी ने पहले 'प्यारी दीदी योजना' की घोषणा की थी. जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में आने पर महिलाओं को 2,500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता देने का वादा किया गया था. इन योजनाओं के बावजूद दिल्ली में अपनी उपस्थिति महसूस कराने के लिए इस सबसे पुरानी पार्टी को काफी प्रयास करने होंगे. विडंबना यह है कि गांधी परिवार सहित इसका कोई भी वरिष्ठ नेता इस चुनौती को लेने के लिए जमीन पर नहीं है. वरिष्ठ नेतृत्व की अनुपस्थिति में, दिल्ली कांग्रेस (Congress) के नेताओं द्वारा अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चौतरफा हमले ने पहले ही इंडिया ब्लॉक में हलचल पैदा कर दी है.

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने आप और कांग्रेस के बीच तीखी लड़ाई पर चिंता व्यक्त की और कहा कि लड़ाई राष्ट्रीय राजधानी और देश में भाजपा के खिलाफ होनी चाहिए. राउत ने कहा कि कांग्रेस और आप लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ रहे थे. हालांकि, विधानसभा चुनावों में जो स्थिति बनी है, उससे ऐसा लगता है कि वे भाजपा की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी लड़ाई भाजपा के खिलाफ होनी चाहिए - दिल्ली और देश में.

Tags:    

Similar News