भाजपा की जीत का क्या है ‘निर्मला’ कनेक्शन?

Delhi election: दिल्ली में बीजेपी की इस प्रचंड जीत में मिडिल क्लास परिवारों की सबसे अहम भूमिका रही.;

Update: 2025-02-08 16:30 GMT

Delhi election result: साल १९े98 से दिल्ली की सत्ता में वापसी की कवायद में लगी बीजेपी (BJP) ने आखिरकार अपना सपना पूरा कर ही लिया. बिना मुख्यमंत्री के चेहरे और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े इस चुनाव में बीजेपी (BJP) ने 27 साल बाद अपने सूखे को खत्म किया और प्रचंड बहुमत के साथ नई सरकार बनाने के लिए वापस लौटी. पिछले एक दशक से केंद्र और दिल्ली की आप सरकार के बीच चल रहे टकराव के चलते इस केंद्र शासित प्रदेश के विकास की गति पर ब्रेक लग गए थे. लेकिन पीएम मोदी के चुनाव अभियान के दौरान किया गए डबल इंजन सरकार का वादे पर दिल्ली की जनता ने मुहर लगाते हुए डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को बाय-बाय कहा.

दिल्ली में बीजेपी (BJP) की इस प्रचंड जीत में मिडिल क्लास परिवारों की सबसे अहम भूमिका रही. क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में मध्यवर्गीय मतदाताओं का अच्छी खासी तादाद है और इसके आप से भाजपा (BJP) की पक्ष में आते ही दिल्ली के सियासी समीकरण बदल गए. इस बदलाव के पीछे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अहम कड़ी माना जा रहा है. क्योंकि दिल्ली चुनावों से कुछ दिन पहले उन्होंने एक ऐतिहासिक बजट पेश किया था.

मध्यवर्गीय लामबंदी

परंपरागत रूप से राजनीतिक रूप से निष्क्रिय माने जाने वाले दिल्ली के मध्यवर्गीय मतदाता शायद भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय राजधानी में पुनरुद्धार का निर्णायक कारण बने. जबकि मध्यवर्ग ने आम चुनावों में भारी समर्थन भाजपा (BJP) को दिया था. लेकिन उसने विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को पसंद किया था. इसकी वजह मुख्य रूप से बिजली और पानी के बिलों पर दी जाने वाली छूट थी. हालांकि, इस बार मध्यवर्गीय वोटिंग पैटर्न में बदलाव देखा गया. केंद्रीय बजट में घोषित टैक्स छूट ने वित्तीय बोझ से जूझ रहे मिडिल क्लास के साथ गहरा संबंध स्थापित किया।

बजट की घोषणाएं

अपने बजट भाषण में सीतारमण ने मिडिल क्लास के लिए टैक्स छूट की घोषणा की. जिसमें हर साल 12 लाख रुपये तक आय वाले लोगों के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई गई. दिल्ली के मतदाताओं में 60 प्रतिशत से अधिक मध्यवर्गीय होने के कारण, यह घोषणा भाजपा (BJP) के लिए एक बड़ा चुनावी हथियार साबित हुई. सीतारमण के भाषण के तुरंत बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम को एक चुनावी मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने दिल्ली में एक चुनावी रैली में कहा कि बजट ने मध्यवर्गीय और पूर्वांचली मतदाताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी है. इतना ही नहीं, खुद पीएम मोदी ने इस मैसेज को चुनावी रैली में जन-जन तक पहुंचाया.

मुफ्त रेवड़ी बनाम वित्तीय स्थिरता

बीजेपी (BJP) और आप दोनों ने कल्याणकारी उपायों के साथ मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की. आप के वादों में महिलाओं के लिए प्रति माह 2,100 रुपये और छात्रों के लिए मेट्रो किराए में 50 प्रतिशत की छूट शामिल थी. इसके जवाब में भाजपा ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं के लिए 2,500 रुपये की वित्तीय सहायता, रसोई गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी और होली तथा दिवाली पर एक मुफ्त सिलेंडर देने की घोषणा की. इसके अतिरिक्त भाजपा ने छात्रों के लिए मेट्रो यात्रा में 4,000 रुपये वार्षिक लाभ और 'मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक सम्मान योजना' के तहत कौशल विकास के लिए 10,000 रुपये तक की राशि देने का वादा किया, ताकि वह मध्यवर्गीय मतदाताओं को आकर्षित कर सके.

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