1300 प्रकाश वर्ष दूर, ब्रह्मांड में दिखी पृथ्वी जैसे ग्रह की पहली झलक

1300 प्रकाश वर्ष दूर हॉप्स-315 तारे के चारों ओर वैज्ञानिकों ने खनिजों के जमने की प्रक्रिया देखी, जो पृथ्वी जैसे पथरीले ग्रहों के जन्म की शुरुआत है।;

Update: 2025-07-28 04:43 GMT

खगोल विज्ञान के इतिहास में पहली बार वैज्ञानिकों ने एक नवजात तारे के चारों ओर ग्रहों के बनने की शुरुआती प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। अंतरराष्ट्रीय खगोलशास्त्रियों की एक टीम ने ‘हॉप्स-315’ (HOPS-315) नामक एक नवजात तारे के इर्द-गिर्द खनिज कणों के ठोस होने की प्रक्रिया को दर्ज किया है, जो पृथ्वी से लगभग 1300 प्रकाश वर्ष दूर ओरायन नक्षत्र समूह में स्थित है। इस दुर्लभ अवलोकन को चिली में स्थित ‘अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA)’ रेडियो टेलीस्कोप और ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST)’ की मदद से अंजाम दिया गया।

यह अध्ययन ग्रहों के निर्माण की उस शुरुआती स्थिति को उजागर करता है जब खनिज धूल के कण आपस में टकराकर धीरे-धीरे पृथ्वी जैसे पथरीले ग्रहों का रूप लेते हैं। नीदरलैंड्स के लीडेन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और इस शोध की मुख्य लेखिका मेलिसा मैक्ल्योर ने Nature पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा, “हमने पहली बार सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे के चारों ओर ग्रह निर्माण की बिल्कुल प्रारंभिक अवस्था को पहचाना है।

नवजात तारे और प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क की कहानी

हॉप्स-315 जैसे तारे विशाल गैस और धूल के बादल के गुरुत्वाकर्षण से ढहने के बाद बनते हैं। ऐसे नवजात तारों के चारों ओर शेष बची हुई गैस, बर्फ और धूल एक घूमती हुई डिस्क के रूप में व्यवस्थित हो जाती है, जिसे प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क कहा जाता है – यही वह क्षेत्र होता है जहाँ नए ग्रहों की नींव रखी जाती है। समय के साथ, यह डिस्क ठंडी होने लगती है और उसमें मौजूद सूक्ष्म कण आपस में चिपककर बड़े पथरीले ‘प्लैनेटेसिमल’ (ग्रहों के पूर्वरूप) बनाते हैं, जो आगे चलकर ग्रह बनते हैं या छोटे खगोलीय पिंडों के रूप में ही रह जाते हैं।

हमारे सौरमंडल के निर्माण के समय, पृथ्वी की कक्षा के समीप सबसे पहले जो ठोस कण बने, वे सिलिकॉन मोनोऑक्साइड (SiO) युक्त खनिज थे। यही कण चिपक कर पृथ्वी जैसे पथरीले ग्रहों के बीज बने। कुछ SiO युक्त खनिज प्राचीन उल्कापिंडों में फंसकर आज तक सुरक्षित हैं जो वैज्ञानिकों को ग्रह निर्माण के आरंभिक चरणों का अध्ययन करने में मदद करते हैं।

हॉप्स-315 में दिखा ग्रह निर्माण का सबसे पहला चरण

अब वैज्ञानिकों ने हॉप्स-315 के चारों ओर SiO की ठोस और गैसीय दोनों अवस्थाओं को देखा है। JWST ने इन पदार्थों की रासायनिक संरचना को उनके अवशोषण स्पेक्ट्रम के माध्यम से पहचाना – हर अणु इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में विशिष्ट तरंगदैर्ध्य को अवशोषित करता है, जिससे उनकी पहचान संभव होती है।

हॉप्स-315 की डिस्क में वैज्ञानिकों ने पहली बार गर्म SiO गैस के साथ-साथ SiO युक्त सिलीकेट खनिजों की उपस्थिति दर्ज की। यह क्षेत्र लगभग 1200 केल्विन तक गर्म था – इतनी गर्मी चट्टानों को गैस में बदल सकती है। बाद में ये गैसें ठंडी होकर फिर से ठोस खनिज में बदल गईं – यही वे ‘कच्चे माल’ हैं जिनसे भविष्य के ग्रह बनते हैं।

JWST ने रासायनिक संघटन का विश्लेषण किया, जबकि ALMA ने इन पदार्थों की स्थिति का निर्धारण किया। ALMA की मदद से वैज्ञानिकों ने SiO जेट्स को खोजा, जो 100 किमी/सेकंड की गति से बाहर निकल रहे थे। वहीं JWST ने SiO गैस को लगभग 10 किमी/सेकंड की गति से तारे के पास स्थित क्षेत्र में दर्ज किया, जो हमारे सौरमंडल की क्षुद्रग्रह पट्टी के क्षेत्र के बराबर है। इससे पता चलता है कि SiO गैस का एक हिस्सा ठंडा होकर ठोस धूल में बदल रहा है – जैसे भाप पानी में बदलती है।

उल्कापिंडों जैसे खनिज, नई दुनिया की शुरुआत

शोधकर्ताओं ने हॉप्स-315 की डिस्क के एक छोटे हिस्से में ऐसे ही खनिजों की पहचान की, जो प्राचीन उल्कापिंडों में भी पाए गए हैं। इसका मतलब यह है कि पृथ्वी जैसे ग्रहों की रचना का यह क्षेत्र हमारे सौरमंडल के प्रारंभिक निर्माण क्षेत्र से मेल खाता है।SiO और लौह युक्त गैस अपेक्षा से कम मात्रा में पाए गए – यह संकेत है कि ये तत्व पहले ही बन रहे ग्रहों के बीजों द्वारा अवशोषित हो चुके हैं। “हम वास्तव में उन्हीं खनिजों को देख रहे हैं, उसी स्थान पर, जैसे हमारे सौरमंडल की क्षुद्रग्रह पट्टी में मिलते हैं,” लीडेन यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर और सह-लेखक लोगन फ्रांसिस कहते हैं।

हॉप्स-315: हमारे सौरमंडल का शिशु संस्करण

हॉप्स-315 को Herschel Orion Protostar Survey में स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप की मदद से खोजा गया था। यह उन 410 युवा तारों में से एक है जिन्हें इस सर्वे ने पहचान दी थी – नवजात से लेकर विकसित तारों तक की श्रेणी में। हॉप्स-315 ने खगोलशास्त्रियों का ध्यान विशेष रूप से इसलिए खींचा क्योंकि इसमें क्रिस्टलीय सिलीकेट खनिज पाए गए – जो ग्रह निर्माण की शुरुआत का संकेत है। साथ ही, इस तारे की स्थिति ऐसी है कि उसके डिस्क को सामने से देखा जा सकता है, जो आमतौर पर संभव नहीं होता क्योंकि नवजात तारे अक्सर गैस-जेट्स से अपने डिस्क को ढक लेते हैं।

इसका प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क 35 खगोलीय इकाइयों (AU) तक फैला है  ठीक पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी जितना  और इसका आकार व द्रव्यमान उस समय के सूर्य के समान है। यह तारा सूर्य जितना ही बड़ा बनने की राह पर है मैक्ल्योर कहती हैं।

अब तक यह सवाल बना हुआ था कि क्या पथरीले ग्रह बर्फ रेखा (जहां पानी जमता है) से दूर बनते हैं या SiO-समृद्ध क्षेत्रों में तारे के पास। हॉप्स-315 इसका जवाब देता है पथरीले खनिज तारे के करीब बनते हैं।

हमारे अतीत को जानने की खिड़की

मरेल वांट हॉफ, जो पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, इंडियाना में खगोलशास्त्री और सह-लेखिका हैं उनका कहना है कि हम यही जानने की कोशिश कर रहे थे कि कहीं ब्रह्मांड में हमारे सौरमंडल का शिशु संस्करण है या नहीं कहती हैं  “हॉप्स-315 वह आदर्श प्रणाली है जो हमें यह समझने देती है कि हमारे अपने सौरमंडल में कौन-से घटनाक्रम हुए होंगे।

हॉप्स-315 की खोज और उसके चारों ओर ग्रह निर्माण की पहली झलक ने खगोल विज्ञान को एक नया आयाम दिया है। यह न केवल ग्रहों की उत्पत्ति को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि हमारे जैसे पथरीले ग्रह ब्रह्मांड में और भी बनते होंगे और शायद जीवन के लिए उपयुक्त स्थितियां भी हैं।

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