डीयूटीए का NEP पर प्रहार: संसाधनों के अभाव में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
डूटा की तरफ से दावा किया गया है कि केंद्र सरकार NEP लागू करते हुए कहीं न कहीं छात्रों के साथ ट्रायल करना चाह रही है, जो सारासार गलत है. शिक्षा में एक्सपेरिमेंट तो चलता है लेकिन ट्रायल नहीं.;
NEP And Incomplete Infrastructure : दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) ने नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत शुरू हो रहे चार वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम पर गंभीर सवाल उठाए हैं. DUTA का कहना है कि पर्याप्त संसाधनों के बिना इस प्रोग्राम को लागू करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.
NEP पर DUTA की चिंताएं: 'छात्रों पर हो रहा प्रयोग'
DUTA के अध्यक्ष अजय भागी ने सीधे शब्दों में कहा है कि NEP के नाम पर छात्रों के साथ "ट्रायल" किया जा रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा में प्रयोग हो सकते हैं, लेकिन ट्रायल नहीं. चार वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम का चौथा साल कैसे चलेगा, यह एक बड़ी चिंता है, क्योंकि इसके लिए जरूरी सुविधाएं जैसे लैब, लाइब्रेरी, उपकरण और क्लासरूम उपलब्ध नहीं हैं.
क्लासरूम में भीड़ और शिक्षा की गुणवत्ता
DUTA ने बताया कि EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण लागू होने के बाद क्लासरूम में छात्रों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. पहले जहां एक क्लास में 40 छात्र होते थे, वहीं अब यह संख्या 80 तक पहुंच गई है. इसका सीधा असर पढ़ाई की गुणवत्ता पर पड़ेगा, क्योंकि एक शिक्षक के लिए इतने छात्रों पर ध्यान देना मुश्किल होगा.
शिक्षकों की कमी और अधूरे वादे
एसोसिएशन ने शिक्षकों की कमी और उनकी सेवा शर्तों को लेकर भी आवाज उठाई है. हजारों शिक्षक सालों से एडहॉक पर पढ़ा रहे हैं, लेकिन उनकी पिछली सेवाओं को पूरी तरह से नहीं जोड़ा जा रहा है. DUTA ने मांग की है कि UGC ड्राफ्ट में पे-स्केल की चर्चा हो और M.Phil/Ph.D. इंक्रीमेंट को रोका न जाए, जिसे अब प्रमोशन के समय देने की बात कही जा रही है. इसके अलावा, 2019 में EWS सीटें बढ़ाने का जो वादा किया गया था, वह भी 6 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है.
राष्ट्रपति को याचिका: DUTA का विरोध जारी
इन सभी मुद्दों को लेकर DUTA ने राष्ट्रपति को एक ऑनलाइन याचिका भी भेजी है, जिस पर लगभग 2000 शिक्षकों ने हस्ताक्षर किए हैं. DUTA का कहना है कि वे छात्रों के हितों के लिए लगातार लड़ते रहे हैं और NEP के नाम पर हो रहे इस तरह के "ट्रायल" का पुरजोर विरोध करते हैं.
डूटा की प्रमुख मांगों में निम्न है -
एम.फिल. और पीएचडी. के लिए वेतन वृद्धि को बरकरार रखा जाए
पिछली सेवाओं (विशेषकर ऐड-हॉक/समकक्ष) की पूर्ण और निष्पक्ष मान्यता दी जाए
समयबद्ध और पारदर्शी पदोन्नति प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए
शोध अवकाश के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं
वरिष्ठ प्रोफेसर के पदों पर मनमाने प्रतिबंध हटाए जाएं