मां की मौत के बाद भी नहीं रुकी Ankita Chaudhary, UPSC की परीक्षा पास कर बनी IAS अफसर
IAS अंकिता चौधरी (ankita chaudhary) ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को पास करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.;
हमारे देशभर की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है यूपीएससी. इसकी तैयारी करने के लिए काफी कई उम्मीदवार कई सारे संर्घष से गुजरना पड़ा है. साथ ही उनके सामने कई मुश्किलें आती है, जिन्हें कई लोग सामना करन के लिए तैयार रहते हैं. या यू कहें ये परीक्षा तैयारी कराने के साथ- साथ आपकी भी परीक्षा लेती है. इस परीक्षा को पास करना इतनी आसान बात नहीं है, लेकिन इसके बाद भी कई लोग इस परीक्षा को पास करते हैं. उन्हीं में एक से छात्र की कहानी हम आपको अपनी इस स्टोरी में बताएंगे. जिन्होंने अपनी मां के देहांत के भी कभी हार नहीं मानी और बुरी परिस्थितियों में भी इस परीक्षा की तैयारी की और आईएएस बनकर उभरी.
अंकिता चौधरी रोहतक में मेहम जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने इंडस पब्लिक स्कूल से अपनी पढ़ाई की है और फिर उसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदू कॉलेज में केमिस्ट्री से ग्रेजुएशन की है. उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ- साथ यूपीएससी की परीक्षा देनी की तैयारी शुरु कर दी थी. केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद अंकिता ने आईआईटी दिल्ली से मास्टर डिग्री भी ले ली थी. अपनी मास्टर कंप्लीट होने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिन-रात एक कर दी थी.
अंकिता काफी सिंपल परिवार और मिडिल क्लास फैमली से थी. अंकिता के पिता किसी एक कंपनी में अकाउंटेंट का काम करते हैं और उनकी मां घर को संभालती थी. अंकिता बचपन से ही काफी होशियार थी. उनका पढ़ने- लिखने का काफी शौक था. साल 2017 में अंकिता ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा की थी. पहले प्रयास में उनको सिर्फ और सिर्फ असफलता ही हाथ लगी.
इस हार के बाद उन्होंने कभी हार नहीं मानी बल्कि अपनी गलतियों से सीखा और एक बार फिर परीक्षा देने की तैयारी की. इसी दौरान उनके घर में एक बहुत बड़ा हादसा हो जाता है. जिसके बाद वो पूरी तरह से टूट गई थी. उनकी मां की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद वो काफी अकेला महसूस करती थी. बेटी को ऐसा देखकर उनके पिता ने अंकिता को हौसला दिया. फिर साल 2018 में अंकिता एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा को देती हैं. लेकिन इस बार उनकी हार नहीं बल्कि जीत होती है और उनकी कड़ी मेहनत के दम पर 14वीं रैंक के साथ आईएएस बनीं.