ऐसी है इकबाल की प्रेरणादायक सोच और मेहनत की मिसाल, जिससे आपको मिलेगी Motivation
इकबाल बताते हैं कि उन्हें पढ़ने का शौक बचपन से था.;
इकबाल ने सिर्फ पढ़ाई ही नहीं की, बल्कि हर चुनौती से लड़ने की कला भी सीखी. उनके लिए रात-दिन की मेहनत, सीमित संसाधन और आर्थिक तंगी कोई बाधा नहीं बनी, बल्कि उन्होंने हर मुश्किल को एक नई ऊर्जा के रूप में लिया. उनके जीवन में ऐसे कई पल आए जब वो थक सकते थे. हार मान सकते थे, लेकिन उन्होंने संघर्ष को ही अपनी शक्ति बना लिया.
इकबाल बताते हैं कि उन्हें पढ़ने का शौक बचपन से था. उनके गांव में अच्छे स्कूल की सुविधा नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी हालात को दोष नहीं दिया. मैंने वही किताबें बार-बार पढ़ीं, लेकिन हर बार कुछ नया सीखा. उन्होंने खुद ही पुराने नोट्स, इंटरनेट और सीमित गाइड्स से पढ़ाई जारी रखी. ये दिखाता है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो किसी भी संसाधन की कमी मायने नहीं रखती.
इकबाल के माता-पिता ने भले ही ज्यादा पढ़ाई ना की हो, लेकिन उन्हें शिक्षा का महत्व पता था. उनकी मां कासिदुन निस ने रोज घर के कामों से खाली समय निकालकर बेटे की चिंता की और पिता मकबूल अहमद ने साइकिल मरम्मत की कमाई से जितना हो सका, इकबाल की पढ़ाई में लगाया.
उनके भाई सैयद ने घर की जिम्मेदारियां संभालीं ताकि इकबाल बिना चिंता के पढ़ सके. समय प्रबंधन को इकबाल ने सबसे अहम माना. उन्होंने पढ़ाई के साथ न्यूजपेपर पढ़ना, मॉक टेस्ट देना और पुराने प्रश्नपत्र हल करना कभी नहीं छोड़ा. उनका फोकस केवल किताबी ज्ञान पर नहीं, बल्कि समझ पर था. उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और हर दिन एक लक्ष्य तय करके चलते थे.
UPSC के बाद क्या सोचते हैं इकबाल?
अब जब इकबाल UPSC क्लियर कर चुके हैं, तो उनका सपना है कि वो गांव-देहात तक बेहतर प्रशासन, शिक्षा और रोजगार के अवसर पहुंचाएं. मैं चाहता हूं कि किसी और इकबाल को मेरी तरह संघर्ष न करना पड़े. इकबाल की कहानी हमें सिखाती है. गरीबी कभी भी सपनों की सीमा नहीं बन सकती. छोटे कस्बे से भी बड़ा सपना शुरू हो सकता है. सही सोच, मेहनत और आत्म-विश्वास से कोई भी परीक्षा पास की जा सकती है.