UPSC Success Story: जब एक रिक्शा चालक का बेटा बना IAS अधिकारी
गोविंद की पढ़ाई और उनके आईएएस बनने का सपना उनके पिता नारायण जैसवाल के लिए सबसे बड़ा उद्देश्य बन गया.;
IAS गोविंद जैसवाल की सफलता की कहानी संघर्ष, मेहनत और अपने सपनों को साकार करने की मिसाल है. वाराणसी के रहने वाले गोविंद जैसवाल के पिता कभी 35 रिक्शों के मालिक थे, लेकिन समय के साथ पारिवारिक कठिनाइयों के चलते उन्हें एक-एक कर अपने रिक्शे बेचने पड़े. 1995 में उनकी पत्नी के बीमार पड़ने के बाद इलाज के लिए उन्हें 20 रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन दुखद रूप से उनकी पत्नी का निधन हो गया.
गोविंद की पढ़ाई और उनके आईएएस बनने का सपना उनके पिता नारायण जैसवाल के लिए सबसे बड़ा उद्देश्य बन गया. जब गोविंद ने 2004-2005 में दिल्ली जाकर UPSC की तैयारी करने का फैसला किया, तो परिवार पर आर्थिक संकट और गहरा गया. अपने बेटे की पढ़ाई के लिए नारायण जैसवाल ने बाकी बचे 14 रिक्शे भी बेच दिए और खुद रिक्शा चलाने लगे.
कठिनाइयों के बावजूद, गोविंद अपने लक्ष्य से कभी नहीं डगमगाए. उनके पास सीमित संसाधन थे, लेकिन उनके इरादे अटूट थे. उनके पिता का त्याग और उनकी खुद की कड़ी मेहनत रंग लाई और 2006 में सिर्फ 22 साल की उम्र में गोविंद ने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर ली और पूरे देश में 48वीं रैंक हासिल की.
आज IAS गोविंद जैसवाल उन हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा हैं, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनकी कहानी साबित करती है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा सफलता के मार्ग में नहीं आ सकती.