संसदीय समिति ने 10 लाख शिक्षक पद खाली होने पर जताई चिंता, ठेका नियुक्तियाँ समाप्त करने की सिफारिश

शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने सरकार को निर्देश दिया है कि मार्च 2026 तक स्थायी नियुक्तियाँ की जाएँ और संविदा (contractual) कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाई जाए।;

Update: 2025-08-16 10:40 GMT
केंद्रीय प्रशासन के अधीन आने वाले केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय, जिन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ संसाधनयुक्त सार्वजनिक संस्थानों में गिना जाता है, भी 30-50 प्रतिशत तक शिक्षकों के पद खाली रहने से जूझ रहे हैं।

देशभर की स्कूल शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों की कमी पर संसदीय स्थायी समिति ने गंभीर चिंता जताई है। समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लगभग 10 लाख स्वीकृत शिक्षक पद देशभर में खाली पड़े हैं। समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि इन पदों पर मार्च 2026 तक स्थायी नियुक्तियाँ की जाएँ और संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की प्रथा समाप्त की जाए।

रिक्तियाँ बढ़ रही हैं

शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी समिति की 368वीं रिपोर्ट, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने की, 8 अगस्त को संसद के दोनों सदनों में पेश की गई।

रिपोर्ट का शीर्षक है –“नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) के कामकाज की समीक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण को सहयोग देने वाली पहलें – NEP 2020 में क्षमता निर्माण पर बल के संदर्भ में”।

रिपोर्ट के अनुसार-

2023-24 में स्वीकृत पद 63.26 लाख थे, जो 2024-25 में बढ़कर 69.86 लाख हो गए।

लेकिन खाली पद 2023-24 में 9.59 लाख से बढ़कर 2024-25 में 9.83 लाख हो गए।

स्तरवार स्थिति –

प्राथमिक स्तर पर रिक्तियाँ 7.24 लाख से घटकर 5.72 लाख हो गईं।

माध्यमिक स्तर पर रिक्तियाँ 2.34 लाख से बढ़कर 4.09 लाख से अधिक हो गईं।

यह कमी केवल राज्य सरकारों के स्कूलों तक सीमित नहीं है। बल्कि केंद्रीय विद्यालय (KVs) और जवाहर नवोदय विद्यालय (JNVs) जैसे केंद्रीय संस्थानों में भी 30–50% शिक्षक पद खाली हैं।

ठेका शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक

रिपोर्ट में कहा गया ,“देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक पद खाली हैं। 14.8 लाख स्कूलों में से भारत सरकार केवल लगभग 3,000 स्कूल चलाती है। लेकिन इन स्कूलों में भी 30–50% तक रिक्तियाँ हैं और बार-बार की गई सिफारिशों के बावजूद संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है।”

समिति ने निर्देश दिया कि-

31 मार्च 2026 तक सभी रिक्त पदों को स्थायी/नियमित नियुक्तियों से भरा जाए।

संविदा नियुक्तियाँ बंद की जाएँ।

संविदा भर्ती न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि SC, ST, OBC, EWS, PwD आदि वर्गों के आरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधानों को भी कमजोर करती है।

समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के स्कूलों पर निगरानी

समिति ने SSA (समग्र शिक्षा अभियान) वित्तपोषित स्कूलों की स्थिति पर भी कड़ी टिप्पणी की।

SSA एक ऐसा समेकित कार्यक्रम है जो प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक की शिक्षा को कवर करता है। इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) शामिल हैं।

समिति ने कहा –

पहले की कई सिफारिशों के बावजूद इन स्कूलों में रिक्तियाँ नहीं भरी गईं।

शिक्षकों की सेवानिवृत्ति और स्थायी भर्ती नीति की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और खराब हो रही है।

समिति ने सिफारिश की कि जो राज्य नियमित शिक्षकों से रिक्तियाँ नहीं भरेंगे, उनके SSA फंड में से शिक्षक वेतन का हिस्सा रोका जाए।

SSA स्कूलों में संविदा नियुक्तियों को भी पूरी तरह बंद किया जाए।

संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन

समिति ने कहा कि संविदा शिक्षकों की नियुक्ति, सरकारी नौकरियों में SC, ST, OBC, PwD और EWS वर्गों के आरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

समिति ने सिफारिश की कि SSA वित्तपोषित स्कूलों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति तुरंत बंद की जाए।**

कुल मिलाकर समिति ने सरकार से स्पष्ट कहा है कि –

देश में 2026 तक सभी रिक्तियाँ स्थायी रूप से भरी जाएँ।

संविदा भर्ती की प्रथा पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।

आरक्षण व्यवस्था और शिक्षा की गुणवत्ता दोनों को संरक्षित किया जाए।

खुद NCTE में भी खाली पद

शिक्षक शिक्षा मानकों को तय करने और बनाए रखने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) में भी भारी रिक्तियां हैं। समिति ने नोट किया कि ग्रुप A के 54 प्रतिशत, ग्रुप B के 43 प्रतिशत और ग्रुप C के चौंकाने वाले 89 प्रतिशत पद खाली हैं। 2019 से अब तक किसी भी स्थायी शिक्षण या गैर-शिक्षण नियुक्ति नहीं की गई है। समिति ने पाया कि स्थायी भर्ती की जगह NCTE ने अल्पकालिक सलाहकारों पर निर्भरता बढ़ा दी। गैर-शिक्षण संविदा नियुक्तियां 2019 में केवल 4 थीं, जो 2024 तक बढ़कर 34 हो गईं और फिर 2025 के मध्य तक घटकर 13 रह गईं।

मानव संसाधन की कमी

समिति ने कहा,“किसी भी संगठन का सुचारू संचालन और संसद द्वारा दिए गए दायित्वों एवं जिम्मेदारियों का निर्वहन पर्याप्त मानव संसाधन के अभाव में संभव नहीं है। इसलिए समिति ने विभाग/NCTE को सिफारिश की है कि ग्रुप A, B और C के खाली पदों को समयबद्ध तरीके से और अधिकतम 31 मार्च 2026 तक भर दिया जाए ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों और देश में शिक्षकों के प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।”

समिति ने विभाग/NCTE की इस दलील पर भी गंभीर नोट लिया कि “कमी को पूरा करने के लिए अल्पकालिक अनुबंध पर सलाहकार नियुक्त किए गए हैं।” समिति ने विशेष रूप से आपत्ति जताई कि 2019 से लेकर 15 जून 2025 तक NCTE में किसी भी स्थायी शिक्षण, गैर-शिक्षण या प्रशासनिक स्टाफ की भर्ती नहीं हुई। समिति ने विभाग और NCTE को सिफारिश की कि तुरंत स्थायी/नियमित आधार पर खाली पदों को भरा जाए ताकि SC, ST, OBC, EWS और PwD आदि के संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।

संरचनात्मक मुद्दों की पहचान

रिक्तियों से आगे बढ़कर समिति ने शिक्षक शिक्षा नीति में कई संरचनात्मक समस्याओं को भी चिन्हित किया। समिति ने चेतावनी दी कि ड्राफ्ट NCTE विनियम 2025 में कठोर स्तर-विशिष्ट योग्यताएं “नियुक्ति में कठोरता” और राज्यों के भर्ती नियमों से *कानूनी टकराव* पैदा कर सकती हैं। समिति ने अधिक लचीले दो-स्तरीय शिक्षक तैयारी तंत्र की सिफारिश की।

समिति ने कहा, “प्री-प्राइमरी और कक्षा 1-2 के लिए अलग शिक्षक और कक्षा 3-5 के लिए अलग शिक्षक रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, क्योंकि राज्यों के भर्ती नियम अलग-अलग हैं। समिति का मानना है कि शिक्षक शिक्षा के लिए दो व्यापक स्तर होने चाहिए:

प्री-प्राइमरी/प्राथमिक स्तर के शिक्षक (जो सभी विषय पढ़ा सकें) और माध्यमिक स्तर के लिए विषय-विशेषज्ञ शिक्षक।”

इस पद्धति से शिक्षक कई स्तरों और विषयों में काम कर सकेंगे, जिससे तैनाती की कठोरता और शिक्षकों की मांग-आपूर्ति असंतुलन कम होगा।

समिति ने कहा कि एक प्राथमिक शिक्षक कक्षा 1-5 तक बुनियादी कौशल पर ध्यान केंद्रित कर पढ़ा सकता है, जबकि माध्यमिक शिक्षक कक्षा 6-12 में विषय-विशेषज्ञता के साथ पढ़ा सकते हैं। इसलिए समिति ने विभाग/NCTE को सिफारिश की कि ड्राफ्ट NCTE विनियम 2025 की समीक्षा की जाए और अत्यधिक विशेषज्ञता व शिक्षक शिक्षा के विभाजन से जुड़े मुद्दों पर विचार किया जाए।

Tags:    

Similar News