दुआ पदुकोण सिंह: आखिर क्यों सेलिब्रिटी बच्चों से उम्मीद की जाती है- वे 'कल्चरल प्रतीक' बनें?

जब दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने अपनी बेटी का नाम “दुआ पादुकोण सिंह” रखा तो इससे सोशल मीडिया पर विवाद पैदा खड़ा हो गया और लोग तरह-तरह की राय देने लगे.

Update: 2024-11-08 17:41 GMT

Deepika Padukone Ranveer Singh Daughter Name: बॉलीवुड के पावर कपल की बेटी के नाम के चुनाव ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. आइए जानते हैं कि यह हलचल नाम, परंपरा और पहचान के बारे में क्या कहती है.

जब दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने दिवाली पर अपनी बेटी “दुआ पादुकोण सिंह” का परिचय दिया तो वे शायद एक सामूहिक जश्न की उम्मीद कर रहे थे. इसके बजाय, उन्होंने एक विवाद को जन्म दे दिया. अचानक सोशल मीडिया पर हर किसी की उनके बेटी के नाम को लेकर राय बन गई. किसी यूजर ने X पर लिखा कि “दुआ? जैसे पॉप स्टार दुआ लीपा?” किसी ने लिखा कि “प्रार्थना क्यों नहीं? वे हिंदू नहीं हैं क्या?”. इसके बाद बच्चे के नाम ने राष्ट्रीय पहचान, परंपरा और निष्ठा जैसे गहरे सवालों को उठा दिया.

“दुआ”— एक सुंदर दो अक्षरों का नाम, जिसका मूल अरबी में है और जिसका अर्थ “प्रार्थना” है. इस नाम ने उस प्रकार की बहस को जन्म दिया, जो आमतौर पर चुनावी सीज़न में होती है. कौन जानता था कि 2024 में अपने नवजात शिशु का नाम रखना एक राजनीतिक कार्य बन सकता है? आखिरकार यह बॉलीवुड है तो थोड़ा ड्रामा तो होना ही है.

दक्षिणपंथी सोशल मीडिया यूजर्स नाराज हो गए: एक टिप्पणीकार ने लिखा कि “दुआ? एक मुस्लिम नाम क्यों?”. जैसे रणवीर और दीपिका ने अभी-अभी देश की पूरी सांस्कृतिक संरचना को खत्म करने की योजना की घोषणा कर दी हो. अन्य प्रतिक्रियाओं में यह संकेत मिला (या यूं कहें कि मांग) कि कपल के हिंदू धर्म के कारण उन्हें कुछ और अधिक हिंदू जैसा नाम चुनना चाहिए था. फिर आए भाषाई जासूस. “अगर उन्हें ‘प्रार्थना’ चाहिए थी तो ‘प्रार्थना’ क्यों नहीं चुना? आखिरकार, हिंदी तो राष्ट्रीय भाषा है!” अब, उन्हें कौन बताएगा कि भाषा प्रेम की तरह एक ही मानक का पालन नहीं करती? या यह कि बॉलीवुड ने खुद भारत की सीमाओं से परे भाषाओं और संस्कृतियों से उदारतापूर्वक उधार लिया है?

भाषाएं वास्तव में जुड़ी हुई हैं

सच कहें तो अगर दीपिका और रणवीर ने अपनी बेटी का नाम प्रार्थना या लक्ष्मी या कोई अन्य पारंपरिक हिंदू नाम रखा होता तो यह घोषणा शायद गर्मजोशी से भरे बधाई संदेशों, कुछ दिल वाले इमोजी और शायद भविष्य की स्टार संभावना पर एक-दो टिप्पणियों के साथ स्वीकार की जाती. लेकिन “दुआ”? ओह, यह साहस! यह नाम सुनने में विश्वव्यापी लगता है, बहुसांस्कृतिक, एक शांत रात में कॉस्मोपॉलिटनिज़्म की फुसफुसाहट जैसा. लेकिन इसे चुनकर रणवीर और दीपिका ने अनजाने में दक्षिणपंथी ट्रोल्स के क्रॉसफ़ायर में कदम रख दिया है. यह सवाल उठता है कि क्या अब सेलिब्रिटी बच्चों से जन्म से ही सांस्कृतिक प्रतीक बनने की उम्मीद की जाए? ऐसा लगता है कि नाम का चुनाव अब माता-पिता के स्नेह या व्यक्तिगत महत्व का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का सूचक बन गया है. फ़ॉर्मूला और डायपर को भूल जाइए. असली सवाल यह है कि क्या उनका नाम उनकी “जड़ों” का सम्मान करता है. लेकिन जैसा कि एक सोशल मीडिया यूजर्स ने समझदारी से कहा कि शायद यह हमारी चिंता की बात नहीं है?” सही कहा.

जिन्हें “मुस्लिम” नाम से आपत्ति है, उन्हें यह जानकर झटका लग सकता है कि उर्दू, हिंदी और संस्कृत ने हमेशा से एक-दूसरे के मध्य दीवारें नहीं खींची हैं. इन भाषाओं के सदियों से घुलने-मिलने और एक-दूसरे से उधार लेने का एक लंबा इतिहास रहा है. अगर “दुआ” — जिसका मूल, हां, अरबी में है — “पर्याप्त भारतीय” महसूस नहीं होता तो यह दीपिका और रणवीर की गलती नहीं है. भाषाई शुद्धतावादियों को यह सुनकर धक्का लग सकता है. लेकिन शब्द भी कुछ-कुछ बॉलीवुड की तरह होते हैं: गड़बड़, मिश्रित और अक्सर शानदार रूप से अव्यवस्थित. नाम व्यक्तिगत होते हैं. एक व्यक्ति के सपनों और आशाओं की एक शांत स्वीकृति. लेकिन हम ऐसे युग में रहते हैं, जहां एक बच्चे का नाम सांस्कृतिक पहचान पर बहस का मुद्दा बन सकता है. कभी रणवीर ने जब अपने उपनाम को “पादुकोण” करने की संभावना जताई थी तो कुछ लोग चौंक गए थे. अब, “दुआ” के साथ उन्होंने सच में ऐसा कर दिया.

प्रेम, लेबल नहीं

तो फिर इतनी हाय-तौबा क्यों? इस बहस के मूल में सांस्कृतिक स्वामित्व पर एक आसक्ति है कि अगर कोई सेलिब्रिटी कोई निर्णय लेता है तो उसे “प्रामाणिकता” के एक उच्च मानक पर खरा उतरना चाहिए, जो परंपरा के आदर्शीकृत संस्करण को दर्शाता हो. लेकिन नामों की भी अपनी कहानियां होती हैं. जैसे इंसानों की. चाहे जैसे भी आप इसे देखें, “दुआ” एक प्यारा, कोमल नाम है, जो आशा से गूंजता है. लेकिन हम कब से एकरूपता की इतनी मांग करने लगे? ज़रा सोचिए अगर दुनिया के महान साहित्यिक पात्रों को भी ऐसी ही जांच से गुजरना पड़ता. क्या स्कारलेट ओ'हारा को बहुत दक्षिणी माना जाता? जय गैट्सबी को बहुत दिखावटी? क्या हमें शेक्सपियर से कहना चाहिए कि जूलियट को कुछ और अंग्रेजी नाम दे दें, ताकि उसकी इतालवी जड़ें ब्रिटिश पहचान को न चुनौती दें?

दीपिका और रणवीर का “दुआ” जैसा नाम चुनना, जो क्रॉस-कल्चरल और मनमोहक है, शायद उनके अपने विश्व दृष्टिकोण का संकेत है: एक ऐसा संसार, जहां हिंदी, उर्दू, और अंग्रेजी बिना किसी तनाव के सह-अस्तित्व में रह सकती हैं, जहां नाम किसी भूमिका में बंधे नहीं होते और जहां हमारी पहचान धार्मिक या भाषाई विभाजनों से इतनी स्पष्ट रूप से विभाजित नहीं होती. शायद वह यह दिखाना चाहते हैं कि परंपरा कोई बंद डिब्बा नहीं है, बल्कि एक ख़ज़ाना है, जिसमें कुछ नया समाने की जगह है.

तो चलिए छोटी दुआ पदुकोण सिंह के लिए एक वर्चुअल गिलास उठाते हैं और उम्मीद करते हैं कि शायद अगली पीढ़ी दुनिया को वैसे ही गले लगा सके. जैसा यह है: सुंदर विरोधाभासों से भरी हुई. क्योंकि एक ऐसी दुनिया में जहां नाम सिर्फ नाम होते हैं, हम सभी अपनी मर्ज़ी से जीने के लिए स्वतंत्र हैं या अपने बच्चों का नाम जैसा चाहें रखने के लिए. चीयर्स, दुआ!

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