Dipika Kakar ने लिवर कैंसर से जंग पर तोड़ी चुप्पी, कहा- 'रिपोर्ट पढ़ते ही मैं टूट गई...
हाल ही में एक भावुक व्लॉग के जरिए अपनी पूरी बीमारी और इलाज की यात्रा को शेयर किया.;
टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ जो हाल ही में स्टेज 2 लिवर कैंसर से जूझकर एक 14 घंटे की बड़ी सर्जरी से गुज़री हैं. अब धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं और अपने घर लौट आई हैं. उन्होंने हाल ही में एक भावुक व्लॉग के जरिए अपनी पूरी बीमारी और इलाज की यात्रा को शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपने बेटे रूहान से जुदाई, डायग्नोसिस का डर और पति शोएब इब्राहिम के मजबूत साथ की बातें कही.
दीपिका बताती हैं कि जब पहली बार उन्हें ट्यूमर का पता चला, तो वो बहुत घबरा गई थीं. डॉक्टरों ने बताया कि ये एक बड़ी सर्जरी होगी, जिसके बाद आगे का इलाज तय किया जाएगा. सबसे मुश्किल फैसला ये था कि मुझे अपने बेटे रूहान को एक ही रात में ब्रेस्टफीडिंग से छुड़ाना पड़ा. वो रात मैंने बहुत रोते हुए काटी. लेकिन बाद में लगा कि शायद ये जरूरी था, क्योंकि इलाज के दौरान मुझे दवाओं पर रहना था.
दीपिका ने नम आंखों से बताया कि उस पल को याद किया जब वो और शोएब डॉक्टर से रिपोर्ट दिखाने को कोकिलाबेन अस्पताल गए थे. जब रिपोर्ट्स सामने आई और डॉक्टर ने बताया कि ये मैलिग्नेंट है यानी कैंसर है, तो हम दोनों वहीं अस्पताल के कॉरिडोर में खड़े होकर टूट गए. मैंने शोएब को कसकर गले लगा लिया. शोएब भी पहली बार मेरी आंखों के सामने फूट-फूटकर रो पड़े. मुझे अब तक यकीन नहीं होता कि मुझे कैंसर हुआ है… लेकिन जिस तरह से शोएब हर पल मेरे साथ खड़े रहे, वो ताकत मुझे फिर से जीने का हौसला देती है.
दीपिका ने कहा कि शुरुआत में उनके मन में बहुत सारे डर और नकारात्मक विचार थे. सबसे ज्यादा डर उन्हें अपने बेटे रूहान को लेकर था, लेकिन शोएब ने हर वक्त उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने कहा कि सब ठीक होगा. तुम बहादुर हो और तुम्हें कुछ नहीं होगा. दीपिका ने सभी फैंस और शुभचिंतकों का भी आभार जताया, जो लगातार उनके लिए दुआएं, नमाज और पूजा-पाठ कर रहे थे. ICU में रहते हुए भी जब शोएब उन्हें ये बातें बताते थे, तो वो भावुक हो जाती थीं. मुझे गर्व है कि मैंने इतना सच्चा प्यार कमाया है. आप सभी मेरे परिवार जैसे हैं.
दीपिका ने बताया कि ट्यूमर को पूरी तरह शरीर से निकाल दिया गया है और डॉक्टरों ने कहा है कि इलाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सफल हो चुका है. लेकिन अभी ये सफर खत्म नहीं हुआ है. अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है, लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारूंगी. दीपिका कक्कड़ की ये कहानी सिर्फ एक बीमारी से लड़ाई नहीं है, बल्कि ये एक मां, पत्नी और इंसान के रूप में उनके साहस, प्रेम और उम्मीद की मिसाल है. उनके शब्दों में छिपा दर्द और ताकत आज हजारों लोगों को प्रेरित कर रहा है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर साथ में प्यार और हौसला हो तो सब मुमकिन है.