Mumtaz ने किया बड़ा खुलासा, Dilip Kumar खुद अपने डायलॉग्स लिखते थे
जब सभी बड़े कलाकार मुमताज के साथ काम करने से मना कर रहे थे. तब दिलीप कुमार ने उनकी मदद की और उन्हें अपनी 1969 की फिल्म राम और श्याम में काम दिया.;
हिंदी सिनेमा के महानायक दिलीप कुमार न केवल शानदार अभिनेता थे, बल्कि वो अपने डायलॉग्स भी खुद लिखा करते थे. ये खुलासा हाल ही में वेटरन एक्ट्रेस मुमताज ने एक इंटरव्यू में किया. उन्होंने बताया कि दिलीप साहब तब तक किसी और के लिखे हुए संवाद नहीं बोलते थे, जब तक निर्देशक विशेष रूप से न कहे.
जब दिलीप कुमार ने मुमताज का साथ दिया
मुमताज ने अपने करियर की शुरुआत में दारा सिंह के साथ कई फिल्में कीं, जिनके कारण उन्हें बी-ग्रेड अभिनेत्री का टैग दे दिया गया था. उस दौर के बड़े अभिनेता उनके साथ काम करने से कतराते थे, लेकिन तब दिलीप कुमार ने उन्हें सहारा दिया और अपनी 1969 की सुपरहिट फिल्म राम और श्याम में कास्ट किया था.
मुमताज ने बताया, दिलीप साहब ने मेरी रील देखी और कहा, ये खूबसूरत है और अच्छा डांस करती है. मैं इसके साथ फिल्म करूंगा. अगर वो उस समय मना कर देते, तो मैं आज एक अभिनेत्री नहीं बन पाती. मुमताज ने बताया कि एक बार जब दिलीप कुमार ने उनके साथ काम करने के लिए हां कहा, उसके बाद किसी ने भी उनके साथ काम करने से इनकार नहीं किया.
उन्होंने आगे कहा, जब दिलीप साहब ने मेरे साथ फिल्म की तब बाकी सबने भी मेरे साथ काम करना शुरू किया. वो बहुत ही सादगीपूर्ण और जमीन से जुड़े इंसान थे. मुमताज ने खुलासा किया कि दिलीप साहब अपने संवाद स्वयं लिखा करते थे. वो किसी और के लिखे डायलॉग नहीं बोलते थे. जब तक कि निर्देशक जोर न दे. उनका संवाद बोलने का अंदाज बिल्कुल अलग और गहरा होता था.
मुमताज ने ये भी बताया कि दिलीप साहब ने राम और श्याम को इसलिए चुना था क्योंकि देवदास जैसी गंभीर फिल्मों के बाद उनकी मानसिक स्थिति थोड़ी बिगड़ गई थी. डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने एक हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म की ताकि मन को शांति मिल सके.
एक पुराने इंटरव्यू में मुमताज ने कहा था कि, मैंने कभी नहीं चुना कि कौन सी फिल्म करनी है. बस आंखें बंद कर काम करती रही. मैंने सोचा, बाकी सब भगवान पर छोड़ देती हूं. मेरा करियर सही तरीके से शुरू नहीं हुआ था, लेकिन दिलीप साहब ने मुझे मौका देकर सब कुछ बदल दिया.
मुमताज की बातें दिलीप कुमार की बेमिसाल इंसानियत, सरलता और कला के प्रति उनकी गहरी समझ को उजागर करती हैं. न केवल उन्होंने मुमताज को एक पहचान दी, बल्कि उन्हें अपने दम पर आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाया. दिलीप कुमार केवल एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक युग थे जिनकी यादें आज भी दिलों में जिंदा हैं.