क्या फिर हंसाएगी जस्सी की कहानी या इस बार रह जाएंगी उम्मीदें अधूरी?

फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पिछली फिल्म खत्म हुई थी.;

Update: 2025-08-01 08:34 GMT
Son of Sardaar 2 review

साल 2012 में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म ‘सन ऑफ सरदार’ ने खूब धमाल मचाया था. एक साफ-सुथरी कॉमेडी जो हर उम्र के लोगों को पसंद आई थी. अब 13 साल बाद ‘सन ऑफ सरदार 2’ आई है और अजय देवगन एक बार फिर जस्सी बनकर लौटे हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये फिल्म भी उतनी ही मजेदार है? क्या ये फिल्म आज के दर्शकों को उतना ही हंसा पाएगी? चलिए जानते हैं इस फिल्म का पूरा हाल.

कहानी की शुरुआत

फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पिछली फिल्म खत्म हुई थी. जस्सी यानी अजय देवगन की शादी हो चुकी है, लेकिन अब उसकी बीवी नीरू बाजवा उससे तलाक चाहती है. शादी टूटने के बाद जस्सी अकेला और दुखी है. लंदन की गलियों में भटक रहा है. इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है रबिया यानी मृणाल ठाकुर से जो एक पाकिस्तानी है और अपनी बेटी के साथ लंदन में रहती है. अब ट्विस्ट यहां आता है. रबिया की बेटी को एक हिंदुस्तानी लड़के से प्यार हो जाता है, जो संधू परिवार से है. ये परिवार देशभक्त है और पाकिस्तानियों से नफरत करता है. जब रबिया की बेटी का रिश्ता खतरे में पड़ता है. तो जस्सी उसकी मदद करता है और उसका झूठा पिता बन जाता है. वो भी एक सरदार. इसके बाद क्या होता है? कैसे जस्सी और रबिया इस नाटक को निभाते हैं? कैसे जस्सी की पुरानी बीवी फिर से कहानी में आती है और कैसे सब कुछ हंसी-मजाक और ड्रामे के साथ आगे बढ़ता है. ये सब आपको फिल्म में ही देखना होगा।

फिल्म कैसी बनी है?

फिल्म का अंदाज बहुत ही हल्का-फुल्का है. इसमें कोई गहराई नहीं है और न ही कोई बड़ा मैसेज देने की कोशिश की गई है. फिल्म सिर्फ हंसाने के लिए बनाई गई है और इसमें कई जगह अच्छी कॉमेडी है. अगर आप किसी काम की टेंशन से बाहर आकर सिर्फ हंसना चाहते हैं, तो ये फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी उतर सकती है, लेकिन एक बात साफ है. इस फिल्म को देखकर आपको पंजाबी फिल्मों की याद जरूर आएगी. डायरेक्टर विजय कुमार अरोड़ा ने फिल्म को पूरी तरह पंजाबी टच दिया है. चाहे वो सेटिंग हो, किरदारों का अंदाज हो या डायलॉग्स सब कुछ पंजाबी फिल्मों जैसा है.

कमियां कहां- कहां दिखी

जहां कुछ सीन बहुत मजेदार हैं, वहीं कई सीन बेहद बचकाने हैं. कई बार फिल्म के जोक्स इतने कमजोर होते हैं कि हंसी नहीं आती, बल्कि उल्टा लगता है कि ये क्या देख रहे हैं हम? ऐसे जोक्स जिन्हें PJ कहते हैं, फिल्म में बहुत हैं. इसके अलावा कुछ बातें आज के दर्शकों को खटक सकती हैं, जैसे– बेवफाई को मजाक बनाना, चार-चार शादी करने वाले बाप को 'कूल' दिखाना, जस्सी को जरूरत से ज़्यादा भोला दिखाना, इनमें से कई चीजें अब पुरानी हो चुकी हैं और लोग अब ऐसी कॉमेडी से जुड़ नहीं पाते.

निर्देशन की बात करें तो डायरेक्टर विजय कुमार अरोड़ा पंजाबी सिनेमा में बड़ा नाम हैं और उनकी फिल्म ‘हरजीता’ को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है, लेकिन हिंदी में ये उनकी पहली फिल्म है और इसमें उनका अनुभव थोड़ा फीका पड़ गया है. उनका स्टाइल पूरी तरह पंजाबी है, जो सभी दर्शकों को पसंद नहीं आएगा. खासकर तब जब हिंदी सिनेमा में अब ‘रेड’, ‘दृश्यम’, और ‘सरदार उधम’ जैसी स्मार्ट फिल्में बन रही हैं.

अभिनय कैसा रहा?

अजय देवगन ने जस्सी के किरदार में अजय देवगन पूरी फिल्म को अपने कंधों पर लेकर चलते हैं. उनकी कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छी है और कई सीन में वो दिल से हंसाते हैं. मृणाल ठाकुर की बात करें तो इस फिल्म में वो बिल्कुल नए अवतार में दिखीं. बेबाक और आत्मविश्वास से भरी हुई. उनका काम अच्छा है और उनकी उपस्थिति फिल्म में एक ताजगी लाती है. रवि किशन हमेशा की तरह हंसाने में कामयाब रहे हैं. मुकुल देव और विंदू दारा सिंह की जोड़ी तो फिल्म की जान है. इन दोनों को देखकर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो सकते हैं. खास बात ये कि मुकुल देव अब फिल्मों में बहुत कम नजर आते हैं, तो उन्हें स्क्रीन पर देखना थोड़ा इमोशनल भी कर देता है.

देखें या छोड़ दें?

अगर आप हंसी की तलाश में हैं और दिमाग को थोड़ा आराम देना चाहते हैं. तो ‘सन ऑफ सरदार 2’ एकदम सही चुनाव है. इसमें कोई भारी कहानी नहीं है, कोई बड़ा मैसेज नहीं है. सिर्फ हल्की-फुल्की कॉमेडी है, जो आपको 2 घंटे के लिए हंसने का मौका देती है. लेकिन अगर आप स्मार्ट कॉमेडी, गहरी स्क्रिप्ट और नए विचारों वाली फिल्म ढूंढ रहे हैं, तो ये फिल्म आपको निराश कर सकती है. इसमें कई जोक्स आउटडेटेड लगते हैं और कुछ बातें बेहद बनावटी लगती हैं. फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ उन लोगों के लिए है जो अपनी जिंदगी की भागदौड़ से थोड़ा ब्रेक लेना चाहते हैं और सिर्फ हंसना चाहते हैं. फिल्म में एक्टिंग अच्छी है, कॉमेडी ठीक-ठाक है और कहानी बेहद सिंपल है. रेटिंग की अगर बात करें तो इस फिल्म को 3 नंबर मिलेंगे 5 में से. अगर आप कुछ नया नहीं, बल्कि पुरानी स्टाइल की फिल्म से थोड़ी मस्ती करना चाहते हैं. तो एक बार देख सकते हैं.

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