'चीन LAC पर तेजी से तैयार कर रहा इंफ्रास्ट्रक्चर', सीमा विवाद के बीच वायुसेना प्रमुख का बड़ा बयान!

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि चीन एलएसी पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है, खासकर लद्दाख सेक्टर में.

Update: 2024-10-04 18:37 GMT

Line of Actual Control: वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई दफा झड़पें देखने को मिल चुकी हैं. हालांकि, भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही है. सितंबर 2022 में भारत और चीन दोनों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से सैनिकों को वापस बुला लिया था. इसकी वजह से पिछले चार वर्षों में गैलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे टकराव वाले एलएसी पर बफर जोन की स्थापना के साथ समाधान की दिशा में कुछ प्रगति देखी गई है. इसी बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शुक्रवार को कहा कि चीन एलएसी पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है, खासकर लद्दाख सेक्टर में. हालांकि, भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड कर रहा है.

वायुसेना प्रमुख ने चीन की सैन्य वृद्धि और जवाब में भारत की तैयारियों पर अपने विचार शेयर करते हुए कहा कि हमने अपना विश्लेषण किया है. हमारे पास बिना किसी कारण के आक्रामक होने की कोई योजना नहीं है. जब हमें मजबूर किया जाएगा, तभी हम कुछ करेंगे. इसलिए हमारे पास अपनी योजनाएं हैं. एक जगह हम सकारात्मक रूप से कह सकते हैं कि हम उनसे कहीं बेहतर ट्रेनिंग ले रहे हैं. हमारे पास उनसे कहीं बेहतर अनुभव है.

हालांकि, सिंह ने स्वीकार किया कि भारत तकनीक के मामले में चीन से पीछे है और भारत को तकनीक और उत्पादन दर दोनों में बराबरी करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि क्योंकि हमें अपने स्रोतों से पता चलता है कि वे कैसे ट्रेनिंग लेते हैं, वे कितनी अलग-अलग वायु सेनाओं के साथ बातचीत करते हैं और हम कितनों के साथ बातचीत करते हैं. इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि जहां तक मानवीय दृष्टिकोण का सवाल है, जहां तक मशीन के पीछे हमारे लोगों का सवाल है, हम उनसे बहुत आगे हैं. हालांकि, जहां तक तकनीक का सवाल है, हम अभी इतने अच्छे नहीं हो सकते हैं. हम पिछड़ गए हैं. हम कुछ समय पहले तकनीक में भी उनसे बेहतर थे. लेकिन उसमें पिछड़ गए हैं और हमें इसे पकड़ने की जरूरत है. वहीं, जहां तक उत्पादन दरों का सवाल है, हम बहुत पीछे हैं. हमें इसे पकड़ने की जरूरत है और यह समय के साथ होगा. यह रातोंरात नहीं हो सकता है.

एयर चीफ मार्शल ने दुनिया भर में भू-राजनीतिक तनावों और संघर्षों के बीच भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में स्वदेशी हथियार प्रणालियों के महत्व पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना के पास साल 2047 तक भारत में निर्मित पूरी एक लिस्ट होनी चाहिए. जब क्षमता निर्माण की बात आती है, तो एक क्षमता होती है, दूसरी क्षमता होती है. इसलिए क्षमता निर्माण के लिए हमारी मैन्युफैक्चरिंग एजेंसियों के लिए आगे आना और अपनी उत्पादन दर बढ़ाना महत्वपूर्ण हो जाता है. जब संघर्ष की स्थिति आती है, अगर आप अपने हथियार बाहर से हासिल करते हैं तो हमेशा अलग-अलग हित और बदलते हित होंगे, आपके लिए रुकावट पैदा कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि अगर आपको युद्ध लड़ना है तो आपको उन्हें (हथियारों को) भारत में निर्मित करवाना होगा. आप उन्हें खरीदकर उस आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर नहीं रह सकते. यह जरूरी है कि हम इन चीजों का उत्पादन भारत में करें. हम हमेशा के लिए सब कुछ जमा नहीं कर सकते. इन चीजों में जीवन है. अगर हम स्टॉक करते रहेंगे तो हमारे पास बर्बादी होगी.

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