जोरदार हंगामे के बीच लोकसभा में अमित शाह ने संविधान संशोधन समेत 3 बिल किया पेश, JPC को भेजा गया विधेयक
अमित शाह ने कहा कि बिलों को संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव है, इसलिए जल्दबाज़ी का सवाल ही नहीं उठता. शाह ने बिल पेश किए और उन्हें संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव भी रखा जिसे मंजूर कर लिया गया.;
भारी शोर-शराबे और विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम विधेयक संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्रशासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक, 2025, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए. तीनों विधेयकों को आगे की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है.
असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को बताया बिल असंवैधानिक
तीनों विधेयक को पेश किए जाने का विरोध करते हुए AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये बिल असंवैधानिक हैं, देश को पुलिस स्टेट बनाने और चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने की साज़िश हैं. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ये बिल संविधान की बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन करते हैं, अनुच्छेद 21 और Due Process के सिद्धांत को तोड़ते हैं.
मनीष तिमारी बोले, जांच एजेंसियों का होगा राजनीतिक दुरुपयोग
उन्होंने कहा कि ये बिल ‘निर्दोष जब तक दोषी सिद्ध न हो’ की न्यायशास्त्र की मूल भावना के खिलाफ हैं. तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि इससे जांच एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग होगा और लोकतांत्रिक सुरक्षा उपाय खत्म हो जाएंगे. उन्होंने मांग की कि गृह मंत्री शाह बिल को वापस लें. आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि बिल जल्दबाज़ी में और संसदीय नियमों के उल्लंघन के साथ लाए गए हैं.
केसी वेणुगोपाल पर बयान पर अमित शाह का जवाब
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने शाह से पूछा कि जब वे गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए गिरफ्तार हुए थे, तब क्या उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था? शाह ने जवाब दिया कि उन्होंने नैतिकता का पालन किया था और गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था. वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि ये बिल विपक्ष शासित सरकारों को निशाना बनाने और अस्थिर करने के लिए लाए गए हैं.
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी बिलों का विरोध किया और कहा कि शाह को नैतिकता पर बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनकी पार्टी ने महाराष्ट्र में ऐसे व्यक्ति को उपमुख्यमंत्री बनाया है जिसे पहले भ्रष्ट कहा गया था.
संयुक्त समिति को भेजा गया बिल
सरकार ने जवाब दिया, अमित शाह ने कहा कि बिलों को संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव है, इसलिए जल्दबाज़ी का सवाल ही नहीं उठता. लोकसभा अध्यक्ष ने हंगामे के बीच विपक्षी सांसदों के हस्तक्षेप को रोकते हुए शाह से बिल पेश करने को कहा. शाह ने बिल पेश किए और उन्हें संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे मंजूर कर लिया गया.