राज्यपालों की नियुक्ति: मणिपुर में शांति बहाली का प्रयास या बिहार के मुसलमानों को लुभाने की कवायद

Governor appointment: केंद्र पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर भेजकर स्थिति को अपने हाथ में लेना चाहता है. वहीं, खान की नियुक्ति 2025 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए की गई है.;

By :  Gyan Verma
Update: 2024-12-25 14:27 GMT

New appointment of Governor: हाल ही में पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Ajay Kumar Bhalla) और आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) को क्रमशः मणिपुर और बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया जाना कोई और राजनीतिक घटनाक्रम नहीं है, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा की रणनीतिक राजनीतिक योजना का हिस्सा है. मणिपुर में, यह एन बीरेन सिंह सरकार के लिए एक संदेश है कि नई दिल्ली अब से संघर्ष-ग्रस्त राज्य में स्थिति को सीधे नियंत्रित करेगी. जबकि बिहार में, जहां नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, खान (Arif Mohammad Khan) की नियुक्ति मुस्लिम समुदाय के लिए एक आश्वासन है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

महत्वपूर्ण नियुक्ति

संवैधानिक पद पर भल्ला (Ajay Kumar Bhalla) की नियुक्ति इसलिए भी दिलचस्प है. क्योंकि वे अब तक के सबसे लंबे समय तक केंद्रीय गृह सचिव रहे हैं और उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के साथ करीब पांच साल तक काम किया है. मणिपुर (Manipur) में उनका राज्यपाल होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि केंद्रीय गृह सचिव के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. मणिपुर (Manipur) में पिछले एक वर्ष से जारी जातीय हिंसा ने संकट को समाप्त करने में बीरेन सिंह के नेतृत्व और दक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं, जिसके कारण भाजपा और एनडीए के भीतर से एक विकल्प की मांग उठने लगी है.

मुख्यमंत्री पर विश्वास की कमी

पूर्वोत्तर में एनडीए के प्रमुख घटक नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी संकट के समाधान में सरकार की अक्षमता का हवाला देते हुए गठबंधन छोड़ दिया. एनपीपी के अलावा, राज्य में भाजपा के एक अन्य महत्वपूर्ण सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भी मुख्यमंत्री पद से बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की है. एनपीपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मणिपुर के पूर्व पुलिस महानिदेशक युमनाम जॉयकुमार सिंह ने द फेडरल से कहा कि भल्ला की नियुक्ति सिर्फ़ पहला कदम है. हमें नहीं पता कि वह मणिपुर (Manipur) के लोगों के विभिन्न वर्गों को समझते हैं या नहीं. इसलिए सिर्फ़ एक पूर्व गृह सचिव (Ajay Kumar Bhalla) को राज्यपाल नियुक्त करना पर्याप्त नहीं हो सकता. हम इंतज़ार करके देखना चाहेंगे.

बीरेन सिंह को संदेश

इस समय, भल्ला (Ajay Kumar Bhalla) की नियुक्ति करके केंद्र ने मुख्यमंत्री को एक कड़ा संदेश दिया है कि वह मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए अपनी पसंद के व्यक्ति की नियुक्ति कर रहा है. मणिपुर में स्थिति को सुधारने के लिए भाजपा पर, जहां एनडीए सहयोगियों की ओर से दबाव है. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कई मौकों पर केंद्र सरकार पर राज्य में हिंसा की श्रृंखला को समाप्त करने के लिए कदम उठाने का दबाव बनाया है.

प्रमुख मुद्दों का समाधान

शिलांग स्थित नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के आरके सतपथी ने द फेडरल से कहा कि राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया पहला कदम है. नए राज्यपाल के लिए कई और चुनौतियां हैं. उनकी नियुक्ति से मणिपुर की समस्याएं खत्म नहीं होने वाली हैं. असली मुद्दे हिंसा में वृद्धि, विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और आरक्षण का मुद्दा है. नए राज्यपाल को हिंसा के चक्र को रोकने के लिए भूमिगत कार्यकर्ताओं सहित सभी हितधारकों से बात करनी होगी और यह कोई आसान काम नहीं है.

बिहार में मुस्लिम पहुंच

इस बीच, खान (Arif Mohammad Khan) की बिहार (Bihar) के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति 2025 में विधानसभा चुनावों से पहले हुई है. हालांकि, खान का केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सरकार के साथ कई मुद्दों पर मतभेद रहा है. लेकिन भाजपा-एनडीए नेतृत्व का मानना है कि बिहार (Bihar) के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति से राज्य में एनडीए को ही मदद मिलेगी.

जनता दल (यूनाइटेड) या जेडी (यू) के एक वरिष्ठ नेता ने द फेडरल को बताया कि आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) की नियुक्ति बिहार (Bihar) के लोगों के लिए चुनाव से पहले एक बड़ा संदेश है. यह बिहार के मुस्लिम समुदाय के लिए एक सीधा संदेश है कि भाजपा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ काम कर रही है और भविष्य में भी ऐसा करने को तैयार है. यह नियुक्ति मुस्लिम समुदाय के प्रति भाजपा-एनडीए की पहुंच को दर्शाती है जिसका चुनाव से पहले एनडीए पर सकारात्मक प्रभाव पड़ना चाहिए.

वैसे तो खान (Arif Mohammad Khan) पहले भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के क्रियान्वयन और अनुच्छेद 370 को हटाने के समर्थन को लेकर विवादों में रहे हैं. लेकिन जेडी(यू) के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि ये मुद्दे एनडीए के सहयोगियों के बीच समस्या का कारण नहीं बनेंगे. जेडी(यू) को यह भी उम्मीद है कि खान (Arif Mohammad Khan) संवैधानिक पद पर होने के कारण इस तरह की राजनीतिक टिप्पणी करने से बचेंगे. जद(यू) के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि खान (Arif Mohammad Khan) की नियुक्ति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार को मुस्लिम समुदाय के विभिन्न वर्गों से बातचीत करके उनकी ओर अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी.

नीतीश की चुनौती

नीतीश कुमार सरकार के लिए असली चुनौती यह है कि अगर वह मुस्लिम समुदाय तक नहीं पहुंच पाती है तो वह न केवल अपना महत्वपूर्ण मतदाता आधार खो देगी, बल्कि 18 प्रतिशत मुस्लिम वोट भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के बीच इंडिया ब्लॉक गठबंधन को चला जाएगा. जेडी(यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरविंद निषाद ने द फेडरल से कहा कि राज्यपाल पर टिप्पणी करना उचित नहीं है. क्योंकि यह एक संवैधानिक पद है. राज्यपाल का पद राजनीति से ऊपर होता है और आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) मुस्लिम समुदाय के जाने-माने बुद्धिजीवी हैं और समुदाय में सुधार की बात करते हैं.

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