‘वोट चोरी’ पर राहुल का सख्त तेवर, मिस्ड कॉल अभियान से किया बड़ा ऐलान
राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ डिजिटल अभियान शुरू किया, चुनाव आयोग से डिजिटल मतदाता सूची की मांग की है। जबकि बीजेपी ने इसे प्रपंच बताया।;
Rahul Gandhi Campaign against Vote Chori: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इसके तहत उन्होंने एक वेबसाइट लॉन्च की है और लोगों से चुनाव में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ इस मुहिम में शामिल होने की अपील की है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, वोट चोरी ‘एक व्यक्ति, एक वोट के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। चुनाव आयोग से हमारी मांग स्पष्ट है। पारदर्शिता दिखाएं और डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका स्वतंत्र ऑडिट कर सकें।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे http://votechori.in/ecdemand पर जाकर या 9650003420 पर मिस्ड कॉल देकर इस मांग का समर्थन करें।
सोशल मीडिया पर समर्थन
राहुल गांधी के इस पोस्ट के बाद कई लोगों ने सार्वजनिक रूप से अपने समर्थन का ऐलान किया।प्रतीक पाटिल ने लिखा, “मैं #VoteChori के खिलाफ हूं और चुनाव आयोग से डिजिटल मतदाता सूची की राहुल गांधी की मांग का समर्थन करता हूं।”मोहम्मद शादाब खान ने कहा, “मैं #VoteChori के खिलाफ खड़ा हूं। मैं राहुल गांधी की मांग का समर्थन करता हूं।”एक अन्य यूज़र संजय सिंह ने दिए गए नंबर पर मिस्ड कॉल कर स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा मेरा समर्थन आपको है सर।
बीजेपी का जवाब और चुनाव आयोग की मांग
राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने उनसे इस मामले में एक डिक्लेरेशन (घोषणा/शपथ पत्र) देने की मांग की है। बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने चुनाव आयोग की इस अपील को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा।
अमित मालवीय ने लिखा, “अगर राहुल गांधी अपनी विश्वसनीयता को महत्व देते हैं, तो उन्हें घोषणा/शपथ के तहत उन अयोग्य मतदाताओं के नाम पेश करने होंगे, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे मतदाता सूची में शामिल हैं, जैसा कि मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) के तहत अनिवार्य है। ऐसा न करने पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनके पास कोई ठोस आधार नहीं है और वे केवल राजनीतिक नाटक कर रहे थे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह आचरण तथ्यों को तोड़-मरोड़ने, जनता के मन में संदेह पैदा करने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के लिए जिम्मेदार एक संवैधानिक संस्था को बदनाम करने जैसा है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद हानिकारक है।