SABKA BIMA BILL 2025: 100% FDI, क्या सुलझा पाएगी भारत की बीमा समस्याएं
बिल के आलोचकों का कहना है कि जब लोगों की आय स्थिर या कम है तो FDI सीमा बढ़ाने से बीमा पैठ में ज्यादा मदद नहीं होगी।
भारत में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) और बीमा पैठ (penetration) बढ़ाने के लिए लाया गया 'सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) बिल, 2025' लोकसभा और राज्यसभा में पास कर दिया गया। बिल तीन प्रमुख कानूनों में संशोधन करता है: बीमा अधिनियम, 1938, LIC अधिनियम, 1956 और IRDA अधिनियम, 1999।
बिल के दो मुख्य प्रावधान हैं:-
1. FDI सीमा को 100% तक बढ़ाना– पहले यह 74% थी।
2. IRDAI को अधिक अधिकार देना– बीमा बाजार को नियंत्रित करने, खोज और जब्ती के साथ-साथ अनुचित लाभ वापस लेने की शक्ति।
बीमा क्षेत्र में FDI का नया प्रयास
बीमा क्षेत्र में FDI 1999 में 26% सीमा के साथ खुला था, जिसे 2015 में 49% और 2021 में 74% तक बढ़ाया गया। अब इसे 100% किया जा रहा है। हालांकि, बीमा क्षेत्र में FDI का प्रभाव अभी भी सीमित रहा है। दिसंबर 2014 से जनवरी 2024 तक कुल FDI inflow केवल ₹53,900 करोड़ था, जबकि समान अवधि में कुल इक्विटी FDI ₹33,03,104 करोड़ था। यानी बीमा में FDI केवल 1.6% रहा।
केंद्रित बीमा मॉडल
विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी बीमा कंपनियां भारत में निवेश करने में हिचकिचाती हैं। क्योंकि यहां का बीमा व्यवसाय एजेंट नेटवर्क पर आधारित है। अनुमान है कि बीमा व्यवसाय का लगभग 50% एजेंट्स के माध्यम से आता है। सरकार ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि सभी बीमा एजेंटों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, जिससे विदेशी कंपनियों के 100% FDI लाने की योजना पर असर पड़ेगा या नहीं, यह देखना बाकी है।
IRDAI को दिए गए अधिकार
बिल IRDAI को एजेंट्स और इंटरमीडियरीज के कमीशन को सीमित करने का अधिकार देता है। इसमें बैंकों, NBFCs और अन्य फिनटेक्स शामिल हैं। IRDAI को खोज, जब्ती, अनुचित लाभ वसूली का अधिकार देने से उद्योग में चिंता बढ़ सकती है।
खराब बीमा पैठ और निवेश
बीमा पैठ दशकों से कम रही है। DFS की रिपोर्ट के अनुसार, FY15 में यह 3.3% थी, जो FY25 में केवल 3.7% हुई। जीवन बीमा 2.8% और गैर-जीवन बीमा 1% है। OECD देशों का औसत 2024 में 6.2% था। बीमा उद्योग का निवेश भी धीमा है: FY15 में ₹24.08 लाख करोड़ से बढ़कर FY24 में ₹67.57 लाख करोड़ हुआ। हालांकि, 22 सितंबर 2025 से सभी बीमा उत्पादों पर GST 18% माफ़ होने से बीमा प्रीमियम में 20-24% की वृद्धि देखी गई।
उपभोक्ताओं के हित पर सवाल
कई विशेषज्ञ बिल से असंतुष्ट हैं। Value Research के CEO धीरेंद्र कुमार का कहना है कि बिल उपभोक्ताओं की अनदेखी करता है। उनके अनुसार वास्तविक मुद्दा है खराब डिज़ाइन वाले बीमा उत्पाद और कम रिटर्न।
FDI सीमा बढ़ने से क्या फायदा?
बिल के आलोचकों का कहना है कि जब लोगों की आय स्थिर या कम है तो FDI सीमा बढ़ाने से बीमा पैठ में ज्यादा मदद नहीं होगी। भारत में 813.5 मिलियन लोग (लगभग 58% जनसंख्या) मुफ्त राशन पर निर्भर हैं और कई महिलाएं एवं किसान नकद सहायता प्राप्त कर रहे हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि पहले घरेलू आय बढ़ानी होगी, जिससे बीमा पैठ अपने आप बढ़ेगी, चाहे FDI सीमा कितनी भी हो।