अनुच्छेद 370 हटाने की वर्षगाँठ : घाटी में हाई अलर्ट, महबूबा मुफ़्ती ने लगाया नजरबंद का आरोप

सभी सुरक्षा एजेंसियों को भेजे गए संदेश में पुलिस ने उन्हें 5 अगस्त को "शुष्क दिवस" मनाने की सलाह दी है, जिसमें सुरक्षा काफिलों की आवाजाही नहीं होगी.

Update: 2024-08-05 06:56 GMT

Article 370 Abrogation: जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाये हुए आज पूरे 5 साल हो गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की पांचवीं वर्षगांठ के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और सभी सुरक्षा बलों को सोमवार (5 अगस्त) को काफिले की आवाजाही से बचने का निर्देश दिया गया है. सभी सुरक्षा एजेंसियों को भेजे संदेश में पुलिस ने उन्हें सलाह दी है कि वे 5 अगस्त को "शुष्क दिवस" मनाएं तथा सुरक्षा काफिलों की आवाजाही न होने दें. इस बीच, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि घाटी में कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें नजरबंद कर दिया गया है और उनके पार्टी कार्यालय पर ताला लगा दिया गया है.


अमरनाथ यात्रियों के काफिले की आवाजाही पर भी रोक लगाने का दिया निर्देश
सुरक्षा एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि विभिन्न आधार शिविरों के बीच अमरनाथ तीर्थयात्रियों के काफिलों की आवाजाही नहीं होनी चाहिए. हालांकि, अमरनाथ यात्रा मार्गों और राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए सड़क खोलने का काम सौंपी गई एजेंसियों को सक्रिय तैनाती बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं.

पांचवी वर्षगाँठ
मोदी 2 सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था. इसी दिन जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम भी पेश किया गया था, जिसने तत्कालीन राज्य को लद्दाख और जम्मू और कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया.
जम्मू-कश्मीर में अधिकांश राजनीतिक दल अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की निंदा कर रहे हैं, वहीं भाजपा इस दिन को मनाने के लिए पूरे केंद्र शासित प्रदेश में समारोह आयोजित करेगी, क्योंकि विशेष संवैधानिक प्रावधान को हटाना पार्टी का लंबे समय से चुनावी वादा रहा है.

आतंकी हमले के इनपुट को देखते हुए की गयी है कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
अनुच्छेद 370 को हटाये जाने की पांचवीं वर्षगांठ के लिए ये परामर्श इसलिए जारी किया गया है, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों को इस दिन आतंकवादी हमलों की आशंका है.

कश्मीरी नेताओं ने लगाया नज़र बंद करने का आरोप
उधर कश्मीरी नेताओं ने सुरक्षा बलों और केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाया है कि उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि घाटी में कड़ी सुरक्षा के नाम पर उन्हें नजरबंद कर दिया गया है और उनके पार्टी कार्यालय पर ताला लटका दिया गया है.
मुफ्ती ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे नजरबंद कर दिया गया है और पीडीपी कार्यालय को बंद कर दिया गया है.’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अल्ताफ बुखारी की पार्टी अपनी पार्टी का कार्यालय भी एहतियात के तौर पर दिन भर के लिए बंद कर दिया गया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने दावा किया कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है. सादिक ने 'X' पर एक पोस्ट में कहा, "मुझे घर पर ही नजरबंद रखा गया है, जो पूरी तरह से अनावश्यक था. मुझे किसी काम से बाहर जाना था, लेकिन मेरे गेट के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया. ये अनुचित और गैरकानूनी है."
उन्होंने एक तस्वीर भी पोस्ट की जिसमें शहर के हसनाबाद इलाके में उनके आवास के गेट के बाहर पुलिसकर्मी खड़े दिखाई दे रहे हैं.
एनसी प्रवक्ता ने कहा, "5 अगस्त का दिन असंवैधानिक और अवैध था और हमेशा रहेगा. 5 अगस्त, 2019 को भाजपा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया. संविधान की अनदेखी करके भाजपा ने जम्मू-कश्मीर के साथ संवैधानिक, नैतिक, नैतिक और कानूनी संबंधों को कमजोर किया है."

'अपमानजनक अस्तित्व'
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा कि 5 अगस्त "कश्मीरी लोगों के पूर्ण अशक्तिकरण" की याद दिलाएगा.
लोन ने एक्स पर लिखा, "5 अगस्त हमेशा कश्मीरी लोगों के पूर्ण अशक्तीकरण की एक बदसूरत याद दिलाता रहेगा. पांच साल बाद भी वहां कोई निर्वाचित विधानसभा नहीं है और स्थानीय लोगों को अपने मामलों को चलाने में कोई अधिकार नहीं है. इससे भी ज्यादा दुख की बात ये है कि देश में इतनी शक्तिशाली आवाजें नहीं हैं जो ये सवाल उठा सकें कि जम्मू और कश्मीर को इस तरह के अपमानजनक अस्तित्व के लिए क्यों चुना गया है."

(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)


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