ओवैसी का तुर्की को चेतावनी: पाकिस्तान का समर्थन बंद करो, भारत में ज़्यादा मुस्लिम

Boycott Turkey: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.;

Update: 2025-05-17 16:46 GMT

Owaisi Turkey Statement: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन की कड़ी आलोचना की और अंकारा से आग्रह किया कि वह अपने रुख पर पुनर्विचार करे. ओवैसी ने कहा कि भारत में मुसलमानों की संख्या पाकिस्तान से कहीं अधिक है. ऐसे में तुर्की को ऐतिहासिक रिश्तों को ध्यान में रखते हुए संतुलित रवैया अपनाना चाहिए.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद भवन परिसर में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा कि तुर्की को पाकिस्तान का आंख मूंदकर समर्थन नहीं करना चाहिए. हम उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि भारत और तुर्की के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. भारत के हैदराबाद और रामपुर जैसे रियासतों के लोग कभी तुर्की के इसबैंक (Isbank) में जमा कर चुके हैं. यहां तक कि 1990 तक लद्दाख क्षेत्र में तुर्की भाषा पढ़ाई जाती थी. उन्होंने कहा कि भारत में 22 करोड़ से अधिक मुसलमान हैं और तुर्की को यह समझना चाहिए कि इस्लाम का प्रतिनिधित्व केवल पाकिस्तान नहीं करता.

ओवैसी ने कहा कि 1920 तक उत्तरी तुर्की के लोग लद्दाख होकर मुंबई जाते थे हज के लिए. यह बताता है कि भारत और तुर्की के बीच कितने गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध रहे हैं. पाकिस्तान को मुस्लिम देश बताकर दुनिया को गुमराह किया जा रहा है. भारत में उससे ज़्यादा मुसलमान हैं और पाकिस्तान का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं.

तुर्की और अज़रबैजान के बहिष्कार की मांग

ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया पर बहिष्कार अभियान चल रहा है और इसके परिणामस्वरूप कई शैक्षणिक समझौते रद्द, पर्यटन योजनाएं स्थगित और चेलेबी एविएशन का लाइसेंस भी निलंबित किया गया है. वहीं, लोगों ने यह भी याद दिलाया कि 2023 के भूकंप के दौरान भारत ने तुर्की को मानवीय सहायता दी थी. लेकिन तुर्की ने भारत के समर्थन में खड़े होने के बजाय पाकिस्तान का पक्ष लिया है. अब तक भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन शैक्षणिक संस्थानों और आम जनता की ओर से कड़ा रुख देखने को मिला है.

Tags:    

Similar News