‘भगवा’ को नहीं मिला ‘भगवान’ का सहारा, जनता ने क्यों दिया जवाब करारा

आम चुनाव 2024 के नतीजे को बीजेपी शायद ही भूल पाए. सवाल यह है कि जिस दल ने 2104 और 2019 में शानदार प्रदर्शन किया था उससे कहां खामी रह गई.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-06-07 06:39 GMT

BJP Performance in General Election 2024: आम चुनाव 2024 के नतीजे आए तो सबकी निगाह भगवा दल बीजेपी के नंबर पर थी. बीजेपी को इस दफा महज 241 सीटों पर संतोष करना पड़ा. यह संख्या 2019 के मुकाबले कम है. 2024 के नतीजों पर पीएम नरेंद्र मोदी ने निवर्तमान मंत्रिमंडल के सदस्यों से कहा कि लोकतंत्र में जीत और हार का सिलसिला तो चलता रहता है. नंबर कम और अधिक आते जाते रहते हैं. लेकिन हमने पिछले 10 वर्षों में जो काम किया है उस पर हमें गर्व करना चाहिए. जनता ने सेवा करने का एक बार और मौका दिया है और हमें जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है. लेकिन यहां दो और बयान गौर करने के लायक हैं. यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जो लोग राम के नाम पर जनता को छलने का काम कर रहे थे. उन्हें प्रभु श्रीराम ने जवाब दे दिया है. इसके साथ ही फैजाबाद से निर्वाचित सपा सांसद अवधेश वर्मा ने कहा कि अयोध्या की जनता ने सबक सिखा दिया है.

फैजाबाद, सीतापुर पर खास नजर
‘भगवा’ को नहीं मिला ‘भगवान’ का सहारा, जनता ने क्यों दिया जवाब करारा. इस टाइटल के विश्लेषण से पहले हम आपको फैजाबाद और सीतापुर संसदीय क्षेत्र के बारे में जानकारी देंगे. फैजाबाद यानी अयोध्या का नाता मर्यादा पुरुषोत्तम राम से है और सीतापुर पड़ोस का जिला है जहां मां सीता धार्मिक यात्रा के लिए गई थीं. लिहाजा ये दोनों संसदीय क्षेत्र सांस्कृतिक और राजनीतिक तौर पर अहम हैं. अयोध्या से सपा के अवधेश वर्मा ने बीजेपी के लल्लू सिंह को हरा दिया. वहीं सीतापुर सीट को कांग्रेस ने जीत ली. सीतापुर सीट की तो दिलचस्प कहानी भी है. इस सीट पर सपा के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. राकेश राठौर नाम के पूर्व बीजेपी विधायक जो अब कांग्रेस में हैं उन्होंने चुनाव लड़ने पर हामी भरी और वो जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. वहीं राम नगरी अयोध्या में नारा चला कि न अयोध्या, न काशी इस बार अवधेश पासी.अब नतीजों से साफ है कि सपा का यह नारा काम कर गया. सवाल यह है कि भगवा को क्या भगवान का साथ नहीं मिला. इस सवाल का जवाब दो तरह से आप समझ सकते हैं.

'भगवा' को मिला आधा प्रसाद
अगर जादुई आंकड़े 272 और 2014 के साथ 2019 में बीजेपी के प्रदर्शन को देखें तो कहा जा सकता है कि भगवा को भगवान का साथ तो मिला. लेकिन उतना प्रसाद नहीं मिला. दूसरा तर्क यूं हो सकता है कि अगर भगवान का साथ ना मिला होता तो बीजेपी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा में अच्छा प्रदर्शन कैसे कर पाती. लेकिन जब हम बात भगवा और भगवान की बात कर रहे हैं तो चर्चा के केंद्र में यूपी है. यूपी में अयोध्या की सीट से बीजेपी का हार जाना कौतुहल का विषय है. देश और दुनिया की मीडिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि भव्य राम मंदिर का निर्माण, अयोध्या में लाखों करोड़ की परियोजना बीजेपी की नैया नहीं पार लगा सकी. इस सवाल के जवाब में विरोधी ही कहते हैं कि क्या आप किसी को उजाड़ कर सुख हासिल कर पाएंगे. जिस तरह से विकास के नाम पर अयोध्या के लोगों की जमीन को औने पौने दाम पर खरीदा गया. दुकानों को तोड़ा गया उससे जबरदस्त रोष था. आखिर उसका खामियाजा बीजेपी क्यों नहीं उठाती. तो क्या बात सिर्फ इतनी सी थी. जी नहीं बात इससे कहीं और आगे की थी.

हार की वजह

  • प्रत्याशियों के चयन में खामी
  • बूथ प्रबंधन में कमी
  • दलबदलुओं पर भरोसा
  • 400 पार के नारे को विपक्ष ने लपका
  • संविधान- आरक्षण पर हमले वाली बात का असर
  • महंगाई,बेरोजगारी का असर
  • अयोध्या में लोग लालफीता शाही से त्रस्त
  • अयोध्या में मुआवजा कम मिलना
  • अयोध्या का असर अवध की सीटों पर

400 पार का नारा कर गया बैकफायर
अयोध्या के रहने वाले संजय पांडे बताते हैं कि चुनावी प्रक्रिया के आगाज के समय ही बीजेपी के एक नेता ने बड़ी गलती कर दी. फैजाबाद से बीजेपी के प्रत्याशी लल्लू सिंह ने जब 400 पार की व्याख्या संविधान बदलने से की वहीं से तस्वीर बदलनी शुरू हो गई. इंडी ब्लॉक के नेता पूरे जोश खरोश के साथ यह जनता को समझाने में कामयाब हुए कि 400 पार का मतलब क्या है, उन्होंने बताया कि 400 पार का अर्थ सीधे तौर पर आरक्षण पर डाका. अगर आपको ध्यान हो तो पीएम मोदी पहले से लेकर सातवें चरण तक जनता को यही समझाते रहे कि उनके जीते जी कोई आरक्षण खत्म नहीं कर सकता. इसके बदले में जब अल्पसंख्यकों के चार फीसद आरक्षण की बात की तो यह समाज पूरी एकजुटता से बीजेपी को हराने में लग गया. आप इसे आंकड़ों के जरिए और मायावती के बयान से समझ भी सकते हैं.

प्रत्याशियों के चयन में गड़बड़ी
इसके अलावा सीटों के चयन में भी बीजेपी ने गड़बड़ी की. अगर बात सिर्फ यूपी की करें तो 49 ऐसे सांसद जिन्हें दोबारा टिकट मिला उनमें सिर्फ 23 सांसद दोबार जीतने में कामायाब रहे.वहीं जिन 15 सीटों पर उम्मीदवारों में बदलाव किया गया उनमें से 10 को जीत मिली.इसके साथ ही बीजेपी ने जिन दलबदलुओं को टिकट दिया था उनका प्रदर्शन भी बेहद कमजोर था. इसके साथ ही बीजेपी जिस तरह से जमीन पर उतर कर बूथ प्रबंधन का काम करती थी वो भी इस दफा कहीं मिसिंग था. 

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