बसपा सुप्रीमो मायावती ने कोटे में कोटा पर चुप रहने के लिए सपा, कांग्रेस को घेरा
अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था।
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-08-24 08:43 GMT
Mayawati on Quota in Quota : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार (24 अगस्त) को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सोच "आरक्षण विरोधी" है.
उन्होंने हिंदी में 'X' पर कई पोस्ट में सवाल उठाते हुए कहा, "सपा, कांग्रेस और अन्य दलों का चाल, चरित्र और चेहरा हमेशा से आरक्षण विरोधी रहा है, जो भारत बंद का समर्थन न करने से साबित होता है. वैसे भी आरक्षण को लेकर उनके बयानों से यह स्पष्ट नहीं होता कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं या विरोध में? ऐसा भ्रम क्यों है?"
मायावती ने 'X' पर एक पोस्ट में लिखा कि सपा, कांग्रेस और अन्य दल स्वार्थ और मजबूरी के चलते एससी/एसटी आरक्षण के समर्थन में बोलते हैं लेकिन एसटी/एससी आरक्षण के वर्गीकरण और क्रीमी लेयर के संबंध में एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुप हैं.
ये चुप्पी उनकी आरक्षण विरोधी सोच को दर्शाती है: मायावती
मायावती ने कहा कि कांग्रेस/सपा आदि की चुप्पी उनकी आरक्षण विरोधी सोच को दर्शाती है और ऐसे में सतर्क रहना जरूरी है.
मायावती ने दावा किया कि अब सपा, कांग्रेस व अन्य दल फिर से आरक्षण के खिलाफ अंदरूनी तौर पर एकजुट होते दिख रहे हैं और ऐसे में न केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जाति बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी अपने आरक्षण, संविधान व जाति जनगणना की रक्षा की लड़ाई बहुत समझदारी से अपने बल पर लड़नी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 से फैसला सुनाया
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से 1 अगस्त को फैसला सुनाया कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों में अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जा सके.
बहुमत से लिए गए निर्णय में कहा गया कि राज्यों द्वारा उप-वर्गीकरण को मानकों और आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिए.
अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था.
( एजेंसी इनपुट्स के साथ )