जाति जनगणना: BJP को राजनीतिक लाभ लेने से रोकने की कोशिश में कांग्रेस

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर जाति जनगणना पर स्पष्ट टाइमलाइन की मांग कर रहे हैं।;

Update: 2025-05-04 14:07 GMT
कांग्रेस चाहती है कि राहुल गांधी को उस "वास्तविक शक्ति" के रूप में प्रस्तुत किया जाए, जिन्होंने इस मुद्दे पर एक अड़ियल मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर किया। | फ़ाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जाति जनगणना कराने की कांग्रेस की वर्षों पुरानी मांग मान लेने के बाद, अब कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस फैसले का राजनीतिक श्रेय बीजेपी न ले जाए। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस मुद्दे पर बीजेपी की "पाखंडपूर्ण नीति" को उजागर करते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को असली नायक के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है, जिन्होंने इस विषय पर मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर किया।

अब तक केंद्र ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि जनगणना कब कराई जाएगी और जातिगत गणना के लिए किस पद्धति का उपयोग किया जाएगा। कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि पार्टी को अभी से सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ताकि जनगणना के बाद उठाए जाने वाले कदमों को लेकर बीजेपी जवाबदेह रहे।

"नैरेटिव पर कब्जा जरूरी"

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने द फेडरल से कहा, "हमें जाति जनगणना पर नैरेटिव का नेतृत्व करना होगा। जनता पहले से जानती है कि बीजेपी कभी इसके पक्ष में नहीं थी और राहुल गांधी और कांग्रेस ही पिछले 11 वर्षों से इसके लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम आत्मसंतुष्ट हो जाएं।

बीजेपी निश्चित रूप से इसे मोदी द्वारा लिया गया ऐतिहासिक निर्णय बताने की कोशिश करेगी और हमें आक्रामक रूप से यह याद दिलाना होगा कि राहुल गांधी ने ही लोकसभा में मोदी से कहा था कि ‘हम आपसे यह करवा लेंगे, और अगर आप नहीं करेंगे तो जब हम सत्ता में आएंगे तो खुद करेंगे।’”

राहुल गांधी पहले ही यह कह चुके हैं कि जाति जनगणना केवल विकास के एक नए मॉडल की पहली सीढ़ी है। उन्होंने केंद्र से मांग की है कि वह अपने फैसले को लागू करने की स्पष्ट टाइमलाइन दे।

साथ ही, राहुल ने यह भी मांग की है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लगाए गए 50% की सीमा को खत्म करे, और संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू करे।

कांग्रेस कार्य समिति ने दिया समर्थन

राहुल गांधी की इन मांगों को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने 2 मई को पारित एक प्रस्ताव में समर्थन दिया, जिसमें जाति जनगणना से जुड़ी तमाम मुद्दों पर संसद में तत्काल बहस की मांग की गई।

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ये मांगें न केवल कांग्रेस बल्कि जातिगत गणना के अन्य समर्थकों (जैसे कि INDIA गठबंधन के सदस्य दलों) को भी इस मुद्दे पर राजनीतिक दिशा तय करने का अवसर देंगी, और बीजेपी को मोदी को अकेला श्रेय देने से रोका जा सकेगा।

CWC बैठक के अगले दिन, कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने पार्टी की सभी राज्य और जिला इकाइयों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि वे "चौपाल बैठकों" का आयोजन करें, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, वकील, दुकानदार, स्वयं सहायता समूह (SHG) सदस्य, और बहुजन समुदाय के लोग भाग लें।

इन बैठकों में कांग्रेस की ऐतिहासिक और वर्तमान प्रतिबद्धता के साथ-साथ जातिगत गणना के लिए राहुल गांधी की भूमिका को उजागर किया जाए।

बीजेपी की पोल खोलने की रणनीति

परिपत्र में यह भी कहा गया कि पार्टी कार्यकर्ता "संविधान बचाओ रैलियों" के दौरान CWC की मांगों को ज़ोरदार ढंग से उठाएं और बीजेपी की 'बहुजन विरोधी विचारधारा', जाति गणना का विरोध और सामाजिक न्याय को दबाने के प्रयासों को उजागर करें।

इसी तरह, AICC और राज्य इकाइयों के सोशल मीडिया सेल को निर्देश दिया गया है कि वे X, Instagram, और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर राहुल गांधी और CWC के जाति जनगणना संबंधी नेतृत्व को उजागर करें, और बीजेपी के जाति विरोधी रिकॉर्ड तथा बहुजन विरोधी कार्रवाइयों को सामने लाएं।

नारा: "सरकार तुम्हारी, सिस्टम हमारा"

कांग्रेस अब "सरकार तुम्हारी, सिस्टम हमारा" नारे को आगे बढ़ाना चाहती है ताकि यह दिखाया जा सके कि कैसे राहुल गांधी ने मोदी सरकार को बार-बार प्रमुख विधायी और नीतिगत मुद्दों पर पलटी मारने को मजबूर किया।

चाहे वह भूमि अधिग्रहण विधेयक, तीन कृषि कानूनों की वापसी या अब जाति जनगणना की मांग हो — कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और सचिन पायलट इन सबको राहुल की दृढ़ता का परिणाम बता रहे हैं।

तेलंगाना मॉडल को प्रमोट करेगी कांग्रेस

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस केंद्र को यह सुझाव देगी कि जातिगत गणना के लिए "तेलंगाना मॉडल" सबसे उपयुक्त है।

30 अप्रैल को जब केंद्र की CCPA (कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स) ने जातिगत गणना को मंजूरी दी, तब राहुल गांधी ने कहा कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार द्वारा अपनाया गया परामर्श मॉडल बिहार के नौकरशाही मॉडल से बेहतर था।

गौरतलब है कि कांग्रेस बिहार सरकार में जूनियर पार्टनर थी जब वहां 2023 में जाति सर्वे पूरा किया गया था। हालांकि, राहुल गांधी ने बिहार मॉडल की आलोचना की और कहा कि इससे पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों व जनजातियों को अपेक्षित लाभ नहीं मिले।

पसमांदा मुसलमानों पर फोकस

अफवाह है कि बीजेपी जाति जनगणना के जरिए पसमांदा मुसलमानों (जो कि मुस्लिम आबादी का 80% माने जाते हैं) को पिछड़ी जाति में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने का प्रयास कर सकती है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी बीजेपी के इस संभावित अभियान को शुरू होने से पहले ही कुंद करना चाहती है।

पूर्व सांसद और पसमांदा मुस्लिम महाज़ के संस्थापक अली अनवर अंसारी ने द फेडरल से कहा, "बीजेपी मुसलमानों को आरक्षण देने की सबसे बड़ी विरोधी रही है। यह कहना कि अब वह पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है — यह भ्रमित करने वाला और खतरनाक है।"

उन्होंने कहा, "जब भी कांग्रेस या कोई विपक्षी दल पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण देने की कोशिश करता है — जो पहले से कई राज्यों में पिछड़ी जातियों में शामिल हैं — बीजेपी कहती है कि संविधान धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं देता। जबकि यह आरक्षण धर्म के कारण नहीं, जाति के आधार पर मांगा जाता है।

राहुल गांधी ही हैं जो लगातार संविधान के तहत पसमांदा मुसलमानों को उनका हक दिलाने की मांग कर रहे हैं, और हम इस संदेश को पसमांदा समाज तक ले जाएंगे।"

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