इस बार बजट के दिन संडे, क्या 1 फरवरी को बजट पेश करेंगे वित्त मंत्री?

केंद्रीय बजट 2017 से हर साल 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है, और 2026 पहला मौका होगा जब यह तारीख रविवार को पड़ेगी।

Update: 2025-12-20 07:32 GMT
2017 में 1 फरवरी को बजट पेश किया गया था और उसके बाद से अब तक यह तारीख कभी रविवार नहीं रही। (फाइल फोटो)

क्या 80वां केंद्रीय बजट रविवार को पेश होगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आठवें बजट की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। 2017 में 1 फरवरी को बजट की तारीख तय होने के बाद से अब तक रविवार कभी बाधा नहीं बने, लेकिन 2026 में स्थिति अलग होने वाली है। सत्ता के गलियारों में बजट की थीम के साथ-साथ उसकी तारीख को लेकर भी उतनी ही चर्चा है।

1 फरवरी 2026 के रविवार होने के साथ-साथ उसी दिन गुरु रविदास जयंती (जन्मदिवस) भी है, जो दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ राज्यों में सरकारी अवकाश है। इसके बावजूद अधिकारियों ने शुक्रवार को संकेत दिए कि केंद्रीय बजट रविवार, 1 फरवरी को ही पेश किया जा सकता है। इस पर पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “इस तरह के फैसले उपयुक्त समय पर कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स द्वारा लिए जाते हैं।”

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि गुरु रविदास जयंती न तो केंद्र सरकार की “सार्वजनिक छुट्टी” है और न ही देश के अधिकांश हिस्सों में। यह दिल्ली और हरियाणा जैसे कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में सार्वजनिक अवकाश है, जबकि केंद्र सरकार के लिए यह केवल “प्रतिबंधित अवकाश” है, न कि सार्वजनिक छुट्टी। गौरतलब है कि 2025 में रविदास जयंती बुधवार, 12 फरवरी को पड़ी थी, जो संसद के बजट सत्र के दौरान थी, और उस दिन दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं हुई थी।

केंद्रीय बजट 2017 में 1 फरवरी को पेश किया गया था और 2026 पहला मौका होगा जब यह तारीख रविवार को पड़ेगी। अधिकारियों का कहना है कि सरकार 2026–27 के केंद्रीय बजट को 1 फरवरी को ही पेश करने की परंपरा बनाए रखने के पक्ष में है, भले ही यह दिन रविवार हो।

वर्ष 2020 और 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट पेश किया था, और उन वर्षों में यह तारीख शनिवार को पड़ी थी।

सूत्रों के मुताबिक, बजट शनिवार, 31 जनवरी को पेश नहीं किया जाएगा, जबकि एक वैकल्पिक तारीख सोमवार, 2 फरवरी हो सकती है।

इतिहास में विशेष परिस्थितियों में संसद की कार्यवाही रविवार को भी हुई है, जैसे 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान और 13 मई 2012 को संसद की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर।

इसी तरह, ऐसे उदाहरण भी रहे हैं जब सार्वजनिक अवकाश के दिन संसद के दोनों सदनों की बैठकें हुई हैं।

13 मई 1957 को, जो बुद्ध पूर्णिमा के कारण अवकाश था, राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया था और उसी दिन लोकसभा व राज्यसभा की अलग-अलग बैठकें भी आयोजित की गई थीं।

राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, “बैठकों की तारीख तय करते समय भारत सरकार के कार्यालयों में लागू प्रतिबंधित अवकाशों को ध्यान में नहीं रखा जाता और उन दिनों भी सदनों की बैठकें निर्धारित की जा सकती हैं।”

हालांकि, कुछ ऐसे अन्य पर्व/अवकाश भी हैं जिनका पालन सदन द्वारा किया जाता है, भले ही वे सरकार के कार्यालयों के लिए सार्वजनिक अवकाश न हों—जैसे रक्षा बंधन।

18 फरवरी 1981 को, जब राज्यसभा की बैठक हो रही थी, उस दिन गुरु रविदास जयंती के अवसर पर अवकाश मनाए जाने को लेकर सदन में एक मुद्दा उठाया गया था।

कुछ चर्चा के बाद, सदन को सुबह 11:06 बजे के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद, राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार, अस्थायी बैठक कैलेंडर में 24 फरवरी 1986 (गुरु रविदास जयंती) को राज्यसभा की बैठक निर्धारित की गई थी। लेकिन 1981 की मिसाल और सभापति के निर्देश को देखते हुए, उस दिन तय की गई बैठक रद्द कर दी गई और सदस्यों को संसदीय बुलेटिन के जरिए इसकी जानकारी दी गई।

2017 से पहले, केंद्रीय बजट फरवरी के आखिरी कार्यदिवस पर पेश किया जाता था।

उस समय की परंपरा यह थी कि यदि 28 या 29 फरवरी रविवार को पड़ता था, तो बजट पेश करने के लिए उससे एक दिन पहले यानी शनिवार को तारीख तय की जाती थी।

1 फरवरी की तारीख इसलिए चुनी गई थी ताकि बजट को 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ ही लागू किया जा सके।

इस अख़बार में पहले प्रकाशित एक विश्लेषण के अनुसार, 1947 से अब तक पेश किए गए 79 केंद्रीय बजटों में केवल दो ऐसे अपवाद रहे हैं, जब फरवरी का आखिरी दिन रविवार को पड़ा, लेकिन संबंधित वित्त मंत्री ने बजट को आगे बढ़ाकर शुक्रवार को पेश करने का फैसला किया।

बाकी सभी मौकों पर, जब फरवरी का अंतिम दिन रविवार रहा, बजट उससे ठीक एक दिन पहले यानी शनिवार को ही पेश किया गया।

वित्त वर्ष 2026–27 का केंद्रीय बजट 1947 के बाद पेश किया जाने वाला 80वां बजट होगा। यह लगातार आठवां बजट होगा, जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। इस मामले में वह मोरारजी देसाई के बराबर होंगी, जिनके नाम अब तक सबसे ज्यादा पूर्ण बजट पेश करने का रिकॉर्ड दर्ज है।

मोरारजी देसाई ने अपने आठ बजट दो अलग-अलग कार्यकाल में पेश किए थे—एक बार प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में और दूसरी बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में। वहीं निर्मला सीतारमण एक ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, लगातार दो सरकारों के दौरान अपना आठवां बजट पेश करेंगी।

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