क्या प्रधानमंत्री अब संसद में बहस के लिए तैयार हैं? कांग्रेस ने उठाए कई सवाल
कांग्रेस का कहना है कि देश की सुरक्षा, विदेश नीति और सीमा पर चीन-पाकिस्तान के साथ हालात जैसे संवेदनशील विषयों पर सभी राजनीतिक दलों को साथ लेना जरूरी है।;
कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि क्या वह अब संसद के आने वाले मानसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश की सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों पर खुली बहस के लिए तैयार हैं? कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री कम से कम सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक कर भारत की चीन और पाकिस्तान को लेकर भविष्य की रणनीति पर चर्चा करेंगे और उन्हें विश्वास में लेंगे?
पहलगाम हमले के बाद उठे सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कम्युनिकेशन जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की, जो पिछले कुछ हफ्तों में 32 देशों की यात्रा पर गए थे, ताकि दुनिया को भारत का यह मैसेज दिया जा सके कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना जरूरी है। अब जब प्रधानमंत्री ने खुद इन दलों से मुलाकात कर ली है तो क्या वे अब संसद में पूरी बहस के लिए तैयार होंगे? कांग्रेस का कहना है कि INDIA गठबंधन ने पहले एक विशेष सत्र की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया।
समीक्षा समिति
जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री पहलगाम हमले के दोषियों, जो पहले भी पुंछ (दिसंबर 2023), गगनगिर और गुलमर्ग (2024) में हमलों में शामिल थे, को सजा दिलाने के लिए ठोस कार्रवाई करेंगे? उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे कारगिल युद्ध के बाद एक समीक्षा समिति बनाई गई थी, उसी तरह ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए। यह समिति भविष्य की युद्ध रणनीतियों, नई सैन्य तकनीकों और संकट के समय संचार की रणनीति पर सुझाव दे सकती है। उन्होंने मांग की कि समिति की रिपोर्ट, आवश्यक संपादन के बाद, संसद में रखी जाए, ठीक वैसे ही जैसे कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट फरवरी 2000 में संसद में पेश की गई थी।
कांग्रेस का स्पष्ट संदेश
कांग्रेस का कहना है कि देश की सुरक्षा, विदेश नीति और सीमा पर चीन-पाकिस्तान के साथ हालात जैसे संवेदनशील विषयों पर सभी राजनीतिक दलों को साथ लेना जरूरी है। सरकार को पारदर्शिता दिखानी चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करते हुए इन विषयों पर संसद में चर्चा करानी चाहिए।