भागवत को खुश करने में जुटे मोदी, कांग्रेस बोली- सत्य से परे हैं प्रधानमंत्री

कांग्रेस ने मोदी पर हमला बोला, कहा भागवत की 75वीं जयंती पर लिखा लेख संघ को खुश करने की बेताब कोशिश है। जयराम रमेश ने गांधी का जिक्र न करने पर तंज कसा।;

Update: 2025-09-11 08:44 GMT
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कांग्रेस ने गुरुवार (11 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। पार्टी का कहना है कि मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को उनके 75वें जन्मदिन पर जो अत्यधिक प्रशंसा भरा लेख लिखा है, वह संघ नेतृत्व को खुश करने की बेताब कोशिश है।

मोदी का लेख

प्रधानमंत्री मोदी ने कई अख़बारों में प्रकाशित अपने लेख में भागवत की वैचारिक गहराई और संवेदनशील नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2009 से RSS प्रमुख के रूप में भागवत का कार्यकाल संगठन की 100 साल की यात्रा का सबसे परिवर्तनकारी चरण रहा है।

मोदी ने भागवत को "वसुधैव कुटुंबकम का जीवंत उदाहरण बताया और कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक बदलाव और सौहार्द तथा भाईचारे की भावना को मज़बूत करने के लिए समर्पित किया है।

कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा प्रधानमंत्री ने संघ नेतृत्व को खुश करने की बेताब कोशिश में मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर अत्यधिक चापलूस जैसी श्रद्धांजलि लिखी है।"

11 सितंबर का संदर्भ

रमेश ने मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने लेख में स्वामी विवेकानंद का 11 सितंबर 1893 का शिकागो भाषण और 11 सितंबर 2001 के अमेरिका में हुए अल-कायदा आतंकी हमले का उल्लेख तो किया, लेकिन 11 सितंबर 1906 को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में महात्मा गांधी द्वारा दिए गए सत्याग्रह के आह्वान को जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर दिया।

जयराम रमेश ने लिखा प्रधानमंत्री ने याद किया कि 11 सितंबर 1893 को विवेकानंद ने शिकागो में अपना अमर भाषण दिया था। उन्होंने यह भी लिखा कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में अल-कायदा का आतंकी हमला हुआ था। लेकिन यह कोई आश्चर्य नहीं कि प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि 11 सितंबर 1906 को महात्मा गांधी ने पहली बार जोहान्सबर्ग में सत्याग्रह का आह्वान किया था। उसी दिन दुनिया ने इस क्रांतिकारी विचार को पहली बार सुना था।

"सत्य से उनका कोई नाता नहीं"

कांग्रेस नेता ने व्यंग्य करते हुए लिखा प्रधानमंत्री से यह उम्मीद करना बहुत ज्यादा है कि वे सत्याग्रह की उत्पत्ति को याद करें, क्योंकि ‘सत्य’ शब्द ही उनके लिए पराया है।"

मोदी पर व्यंग्य

जयराम रमेश ने एक और तंज कसते हुए कहा प्रधानमंत्री, जिन्होंने खुद को ‘गैर-जैविक’ कहा था, अपने प्रवचनों को ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानो वे सीधे भगवान से उतरे हों।

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