कॉमनवेल्थ घोटाले में सुरेश कलमाडी को राहत, 13 साल पुराने केस पर पर्दा गिरा

2010 में कॉमनवेल्थ घोटाले में सुरेश कलमाडी आरोपी बनाये गए। लेकिन अब उन्हें राहत मिल गई है। ED की क्लोजर रिपोर्ट को दिल्ली की कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-04-29 02:06 GMT
2010 कॉमनवेल्थ घोटाले में सुरेश कलमाडी के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए गए। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दिल्ली की कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

Suresh Kalmadi News:  दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 13 साल पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति (Commonwealth Games 2010) के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाड़ी, तत्कालीन महासचिव ललित भानोट और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

इस क्लोजर रिपोर्ट के स्वीकार होने के साथ ही 15 साल पुराने कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का पहलू समाप्त हो गया। 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में भ्रष्टाचार के आरोपों ने देश में भारी राजनीतिक हलचल मचाई थी, जिसके चलते कई आपराधिक और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनमें से एक यह मामला भी था।

कलमाड़ी और अन्य पर खेलों के लिए दो महत्वपूर्ण अनुबंधों के आवंटन और निष्पादन में अनियमितता के आरोप लगे थे। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने उल्लेख किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) पहले ही भ्रष्टाचार के मामले को बंद कर चुका है, जिसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। अदालत ने ईडी की उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें आयोजन समिति के तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी विजय कुमार गौतम, तत्कालीन कोषाध्यक्ष ए. के. मट्टो, स्विट्जरलैंड स्थित इवेंट नॉलेज सर्विस (EKS) और इसके सीईओ क्रेग गॉर्डन मैलैचे का भी नाम शामिल था।

जज ने ईडी की दलील को भी दर्ज किया कि जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं पाया गया।"चूंकि जांच के दौरान अभियोजन पक्ष प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 3 के तहत कोई अपराध साबित नहीं कर पाया है, और न ही कोई ऐसा अपराध पाया गया है, इसलिए वर्तमान ईसीआईआर को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। परिणामस्वरूप, ईडी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाता है," अदालत ने कहा।

यह पूरी मनी लॉन्ड्रिंग जांच सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिक मामले के आधार पर शुरू की गई थी।सीबीआई के अनुसार, जिन दो कार्य अनुबंधों की जांच हो रही थी, वे "गेम्स वर्कफोर्स सर्विसेज" और "गेम्स प्लानिंग, प्रोजेक्ट एंड रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज" से संबंधित थे। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आरोपियों द्वारा जानबूझकर और गलत तरीके से अनुबंध आवंटित कर ईकेएस और अर्न्स्ट एंड यंग के गठजोड़ को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया, जिससे आयोजन समिति (OC, CWG) को लगभग ₹30 करोड़ का नुकसान हुआ।

सीबीआई ने जनवरी 2014 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा था कि "जांच के दौरान कोई आपराधिक साक्ष्य सामने नहीं आया" और प्राथमिकी में लगाए गए आरोप आरोपियों पर सिद्ध नहीं हो सके।

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