DGCA का बड़ा कदम: इंडिगो के लिए पायलट रेस्ट नियम में ढील

दो दिनों में 550 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित होने से यात्रियों में भारी नाराजगी है। कई एयरपोर्टों पर भीड़, जानकारी का अभाव, खाने-पीने और सहायता की कमी जैसी शिकायतें सामने आई हैं।

Update: 2025-12-05 17:59 GMT
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देश में लगातार बढ़ रही उड़ान कैंसलेशन और देरी की घटनाओं के बीच डीजीसीए (DGCA) ने शुक्रवार (5 दिसंबर) को एक चार सदस्यीय समिति बनाने की घोषणा की है, जो पूरे मामले की व्यापक जांच करेगी। समिति में जॉइंट डायरेक्टर जनरल संजय के. ब्राम्हणे, डिप्टी डायरेक्टर जनरल अमित गुप्ता, सीनियर फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर कैप्टन कपिल मंग्लिक और फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर कैप्टन रामपाल शामिल हैं।

क्रू-रेस्ट नियम वापस

दिन में इससे पहले DGCA ने थकान रोकथाम से जुड़े एक अहम नियम को वापस ले लिया और एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अपने ही फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टरों (FOIs) को अस्थायी तौर पर IndiGo के विमान उड़ाने का निर्देश दिया। यह कदम पायलट यूनियनों को चौंकाने वाला लगा। क्योंकि FOI आमतौर पर अपनी 5 साल की DGCA सेवा के दौरान किसी भी व्यावसायिक उड़ान का संचालन नहीं करते, ताकि किसी तरह का हितों का टकराव न हो। नया आदेश जारी कर DGCA ने वह लाइन हटा दी, जिसमें कहा गया था कि “साप्ताहिक अवकाश की जगह किसी प्रकार की छुट्टी नहीं लगाई जा सकती”—यह नियम पायलटों की अनिवार्य साप्ताहिक छुट्टी को सुरक्षित रखने के लिए लागू किया गया था।

500 से अधिक उड़ानें प्रभावित

इसी बीच इंडिगो दो दिनों में 500 से अधिक उड़ानों में देरी या रद्दीकरण कर चुकी है। कोहरे के मौसम, छुट्टियों की भीड़ और क्रू की भारी कमी के कारण एयरलाइन की संचालन क्षमता पर बड़ा असर पड़ा है। एयरपोर्ट टर्मिनल भरे पड़े हैं, हजारों यात्री फंसे हुए हैं और दूसरी एयरलाइनों ने किराए बढ़ा दिए हैं।

पायलटों का विरोध

पायलट यूनियन ALPA इंडिया ने DGCA पर तीखा आरोप लगाया कि उसने इंडिगो को “चयनात्मक और असुरक्षित छूट” दी है। यूनियन का कहना है कि DGCA ने पहले यह आश्वासन दिया था कि Phase-II के दौरान किसी भी ऑपरेटर को रियायत नहीं दी जाएगी, फिर भी इंडिगो को आराम नियमों में ढील दी गई। यूनियन ने कहा कि इससे सुरक्षा मानकों में बड़ा छेद पड़ा है। साप्ताहिक आराम और रात की ड्यूटी सीमाएं कमजोर हुई हैं। यात्रियों को “बढ़े हुए जोखिम” में डाला गया है। सबसे बड़ा विवाद FOI को इंडिगो के कॉकपिट में भेजने का है। पायलटों ने कहा कि यह सुरक्षा नियमन और निष्पक्षता दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि DGCA के इन कदमों ने नियामक और ऑपरेटर के बीच की रेखा “धुंधली” कर दी है। तमिलनाडु NRT वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन कार्तिकेय शिवसेनाथापति ने इसे “सिस्टम की विफलता” और “मोनोपॉलिस्टिक नीतियों का परिणाम” बताया।

DGCA की सफाई

DGCA प्रमुख फैज अहमद किडवई ने कहा कि सर्दियों के मौसम, भारी यात्री संख्या और ऑपरेशनल दबाव को देखते हुए यह कदम सेवा निरंतरता बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने पायलटों से “पूर्ण सहयोग” की अपील की और कहा कि DGCA FDTL नियमों को “पूरी ईमानदारी” से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्थिति अब भी गंभीर

दो दिनों में 550 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित होने से यात्रियों में भारी नाराज़गी है। कई एयरपोर्टों पर भीड़, जानकारी का अभाव, खाने-पीने और सहायता की कमी जैसी शिकायतें सामने आई हैं। विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति सिर्फ एक “ऑपरेशनल गलती” नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की थकान, कुप्रबंधन और निगरानी की कमजोरी को उजागर करती है।

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